साई सत्चरित्र का महत्व 

Importance of Sai SatCharitra in Hindi . 

साई बाबा की महान लीलाओ का दर्पण है साई सत्चरित्र ग्रन्थ | बाबा ने अपने भक्तो को बताया था कि जो साई की लीलाओ का नित प्रतिदिन विश्वास के साथ पान करता है , उनके करीब हमेशा साई नाथ रहते है और उनके दुखो को हरते है | अब साई सत्चरित्र से बड़ा कोई ग्रन्थ नही है जो साई की लीलाओ का चित्रण कर सके |

यह साई बाबा का चरित्र ज्योतिस्तम्भ की तरह भव सागर को पार कराने में सहायक है |

साई सत्चरित्र का महत्व और महिमा

समुन्द्र में अनेक स्थानों पर ज्योतिस्तम्भ बनाये जाते है जिससे की जहाज और नावे उस ज्योतिस्तम्भ की रोशनी में मार्ग में आने वाली विपत्तियों को भांप कर सुरक्षित निकल सके | उसी तरह इस कलियुग में साई बाबा का यह सतचरित्र भव सागर पार कराने के एक मुख्य स्त्रोत है |

यह पाठ पठन और श्रवन करने से सांसारिक मोह के बंधन ढीले हो जाते है , जीव को अपने अस्तित्व का सही बोध होने लगता है और उसका पथ सद मार्गी हो जाता है | तामसिक गुणों का नाश होकर वो ऐसे सुखो को प्राप्त करता है जिसमे दुसरो की ख़ुशी छिपी हो | तब साई नाथ उनके सुखो का स्वत ही ध्यान रखते है |

बाबा साई का पाठ


सतयुग में शम तथा दम , त्रेता में त्याग , द्वापर में पूजन का तो कलियुग में भगवत्कीर्तन का अत्यंत महत्व बताया गया है | कथा श्रवन और हरी कीर्तन से इन्द्रियों की लोभ आशक्ति नष्ट होती है |

साई सत्चरित्र के मूल ग्रन्थ को मराठी भाषा में कै. श्री गोविन्दराव रघुनाथ दाभोलकर (हेमाडपन्त ) जी ने लिखा था जो अब लगभग सभी भाषायो में बदल दिया गया है |

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sai Satchaitra

साई और शिर्डी में बिताये गये उनको समय को जानने की यह सबसे उत्तम किताब है . 

यदि आप साई सत्चरित्र का नित्य पाठ करते है तो आप साई को जानते है और साई के करीब जाते है . यह किताब बताती है कि साईं कितने महान और भक्त प्रिय थे . उनके मन में करुणा का सागर था . 

साई सत्चरित्र के लाभ ?

- साईं सत्चरित्र पहली और सबसे उत्तम किताब से जिससे आप साई बाबा और उनकी लीलाओ को जान सकते है . 

कहते है बिना साई कृपा के इस पुस्तक नही लिखी जा सकती थी . 

-इस किताब के लेखक ने साई जी को बहुत करीब से देखा था और उनकी शरण में रह कर इस किताब को लिखा था . 

- इस किताब के जरिये आपको जीवन में जरुरी शिक्षाए प्राप्त होती है . 

- साई सत्चरित्र जिस घर में रखी रहती है और जिस घर में इसका श्रद्दा और सबुरी के साथ पाठ किया जाता है वहाँ साई जी की अनंत कृपा बरसती है . 




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