भैरव की भैरवीया

क्या होते है भैरव और भैरवी ?  भैरव के  साथ भैरवी पूजन का भी विधान है | हर शक्तिपीठ पर माँ के हर रूप के साथ कोई ना कोई भैरव विद्यमान है | आप जितने भी शक्तिपीठो में जायेंगे आपको हर शक्ति (भैरवी ) के साथ भैरव भी उस पीठ में दिखाई देंगे | ये दोनों एक दुसरे के बिना अपूर्ण है और एक दुसरे की शक्ति है . 

bhairav ki bhairviyaan kounsi hai


महाकाल के बिना महाकाली अपूर्ण है इसी तरह शिव का अर्धनारीश्वर रूप भी यही बोध कराता है की स्त्री और पुरुष शक्ति दोनों का ही महत्त्व है | भैरव की पूजा पूर्ण तभी होती है जब साथ में भैरवी की पूजा भी की जाये |

भैरवी भैरव भक्तो की साधना में मदद करके उनकी पूजा अर्चना को सफल बनाने में सहायक है |


भैरव शिव को तो भैरवी माता पार्वती को दर्शाते है 

भैरव की आठ भैरवीयो के नाम :

भैरव जी की सहायक 8 भैरवियाँ निमं है :- (1) श्री भैरवी , (2) महा भैरवी , (3) सिंह भैरवी , (4) धूम्र भैरवी, (5) भीम भैरवी, (6) उन्मत्त भैरवी , (7) वशीकरण भैरवी और (8) मोहन भैरवी

नमस्कार मंत्र

ॐ श्री भैरव्यै , ॐ मं महाभैरव्यै , ॐ सिं सिंह भैरव्यै , ॐ धूं धूम्र भैरव्यै, ॐ भीं भीम भैरव्यै , ॐ उं उन्मत्त भैरव्यै , ॐ वं वशीकरण भैरव्यै , ॐ मों मोहन भैरव्यै |

पूजा करते समय इनके चरणों की पूजा इस तरह करे |

  • ॐ श्री भैरव्यै नमः श्री भैरव्यै पदुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः
  • ॐ श्री भैरव्यै नमः महाभैरवी पदुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः
  • ॐ सिं सिंह भैरव्यै नमः श्री सिंह भैरवी पदुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः
  • ॐ धूं धूम्र भैरव्यै धूम्र भैरवी पदुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः
  • ॐ भीं भीम भैरव्यै भीम भैरवी पदुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः
  • ॐ उं उन्मत्त भैरव्यै उन्मत्त भैरवी पदुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः
  • ॐ वं वशीकरण भैरव्यै वशीकरण भैरवी पदुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः
  • ॐ मों मोहन भैरव्यै मोहन भैरवी पदुकाम पूजयामि तर्पयामि नमः

भैरवीयो से जुड़ी है कई साधनाए 

यदि तंत्र में साधना की बात की जाये तो बहुत सी साधनाए इन भैरवियो से जुड़ी हुई है . इसमे मुख्य है भैरवी चक्र साधना , 

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