चौंसठ योगिनी माता तांत्रिक मंदिर उज्जैन

Shree Chousath Yogini Mataji Mandir Ujjain . भारत के धार्मिक और पौराणिक शहरों में उज्जैन (अवंतिका) नगरी को भी प्रमुख स्थान दिया गया है | यहा शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक केंद्र रूप में महाकाल ज्योतिर्लिंग विद्यमान है | यहा एक शक्तिपीठ के रूप में महाकाल मंदिर के पास ही हरसिद्धि देवी का प्रसिद्ध मंदिर है | पर हम आज जिस मंदिर की बात करने वाले है वो है चौंसठ योगिनी माता का मंदिर | यह उज्जैन के पुराने शहर के नयापुरा क्षेत्र में स्तिथ है |

चौंसठ योगिनी माता मंदिर



चौंसठ योगिनी देवी क्या है

चौसठ योगिनी का अर्थ है चौसठ (64) देवियाँ जो माँ काली की अंशावतार है और माँ काली की शक्तियों में सहायक है . भैरवी साधना में इन सभी देवियों का विशेष महत्व होता है . तंत्र साधना में इन सभी देवियों के रूप में पूजा होती है .

तंत्र साधना का सिद्ध स्थान और मंदिर का इतिहास 

योगिनियो और भैरव को तंत्र शास्त्र में मुख्य स्थान दिया गया है | किसी भी सिद्धि के लिए इनकी कृपा प्राप्त करना जरुरी होता है | यह मंदिर प्राचीनकाल से विक्रमादित्य के समय का है और तांत्रिको में प्रसिद्ध है | इसे एक समय में तांत्रिक विश्वविद्यालय भी कहा जाता था जहा कई तांत्रिक अनुष्ठान करके तांत्रिक सिद्धियां प्राप्त की जाती थी |

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चौंसठ प्रतिमाये नही

मंदिर के नाम के आधार पर भक्तो तो यह लगता है की इस मंदिर में देवी के सहभागी योगिनियो की 64 चौंसठ मूर्तियाँ विधमान होगी , पर ऐसा नही है | यहा योगिनियो की प्रतिमाये तो बहुत है पर वो संख्या में चौंसठ नही है |

चौसठ योगिनी मन्दिर उज्जैन सिद्ध तंत्र स्थान


नवरात्रि पर उमड़ता है जन सैलाब

वैसे तो वर्ष भर ही माँ के भक्तो के लिए यह मंदिर खुला रहता है पर माँ दुर्गा के महोत्सव नवरात्रि पर काफी मात्रा में भक्त दर्शन करने उज्जैन के इस मंदिर में आते है | सैकड़ों श्रद्धालु माँ को प्रसाद चढ़ाकर शुभता की कामना करते है |

॥ जय माँ चौंसठ योगिनी ॥

चौसठ योगिनी मंत्र 

चौसठ योगनियों के मंत्र…

1)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री काली नित्य सिद्धमाता स्वाहा।

2)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कपलिनी नागलक्ष्मी स्वाहा।

3)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कुला देवी स्वर्णदेहा स्वाहा।

4)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कुरुकुल्ला रसनाथा स्वाहा।

5)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री विरोधिनी विलासिनी स्वाहा।

6)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री विप्रचित्ता रक्तप्रिया स्वाहा।

7)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री उग्र रक्त भोग रूपा स्वाहा।

8)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री उग्रप्रभा शुक्रनाथा स्वाहा।

9)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री दीपा मुक्तिः रक्ता देहा स्वाहा।

10)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नीला भुक्ति रक्त स्पर्शा स्वाहा।

11)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री घना महा जगदम्बा स्वाहा।

12)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री बलाका काम सेविता स्वाहा।

13)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मातृ देवी आत्मविद्या स्वाहा।

14)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मुद्रा पूर्णा रजतकृपा स्वाहा।

15)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मिता तंत्र कौला दीक्षा स्वाहा।

16)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री महाकाली सिद्धेश्वरी स्वाहा।

17)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कामेश्वरी सर्वशक्ति स्वाहा।

18)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री भगमालिनी तारिणी स्वाहा।

19)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नित्यकलींना तंत्रार्पिता स्वाहा।

20)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री भैरुण्ड तत्त्व उत्तमा स्वाहा।

21)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री वह्निवासिनी शासिनि स्वाहा।

22)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री महवज्रेश्वरी रक्त देवी स्वाहा।

23)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री शिवदूती आदि शक्ति स्वाहा।

24)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री त्वरिता ऊर्ध्वरेतादा स्वाहा।

25)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कुलसुंदरी कामिनी स्वाहा।

26)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नीलपताका सिद्धिदा स्वाहा।

27)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नित्य जनन स्वरूपिणी स्वाहा।

28)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री विजया देवी वसुदा स्वाहा।

29)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री सर्वमङ्गला तन्त्रदा स्वाहा।

30)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री ज्वालामालिनी नागिनी स्वाहा।

31)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री चित्रा देवी रक्तपुजा स्वाहा।

32)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री ललिता कन्या शुक्रदा स्वाहा।

33)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री डाकिनी मदसालिनी स्वाहा।

34)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री राकिनी पापराशिनी स्वाहा।

35)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री लाकिनी सर्वतन्त्रेसी स्वाहा।

36)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री काकिनी नागनार्तिकी स्वाहा।

37)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री शाकिनी मित्ररूपिणी स्वाहा।

38)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री हाकिनी मनोहारिणी स्वाहा।

39)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री तारा योग रक्ता पूर्णा स्वाहा।

40)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री षोडशी लतिका देवी स्वाहा।

41)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री भुवनेश्वरी मंत्रिणी स्वाहा।

42)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री छिन्नमस्ता योनिवेगा स्वाहा।

43)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री भैरवी सत्य सुकरिणी स्वाहा।

44)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री धूमावती कुण्डलिनी स्वाहा।

45)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री बगलामुखी गुरु मूर्ति स्वाहा।

46)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मातंगी कांटा युवती स्वाहा।

47)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कमला शुक्ल संस्थिता स्वाहा।

48)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री प्रकृति ब्रह्मेन्द्री देवी स्वाहा।

49)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री गायत्री नित्यचित्रिणी स्वाहा।

50)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री मोहिनी माता योगिनी स्वाहा।

51)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री सरस्वती स्वर्गदेवी स्वाहा।

52)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री अन्नपूर्णी शिवसंगी स्वाहा।

53)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री नारसिंही वामदेवी स्वाहा।

54)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री गंगा योनि स्वरूपिणी स्वाहा।

55)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री अपराजिता समाप्तिदा स्वाहा।

56)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री चामुंडा परि अंगनाथा स्वाहा।

57)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री वाराही सत्येकाकिनी स्वाहा।

58)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री कौमारी क्रिया शक्तिनि स्वाहा।

59)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री इन्द्राणी मुक्ति नियन्त्रिणी स्वाहा।

60)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री ब्रह्माणी आनन्दा मूर्ती स्वाहा।

61)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री वैष्णवी सत्य रूपिणी स्वाहा।

62)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री माहेश्वरी पराशक्ति स्वाहा।

63)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री लक्ष्मी मनोरमायोनि स्वाहा।

64)―ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्री दुर्गा सच्चिदानंद स्वाहा।



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