गोलू देवता मंदिर

Chitai Golu Devta Temple Uttrakhand . देव भूमि के इस अनोखे मंदिर में सिर्फ़ चिट्ठी भेजने से पूरी होती हैं मुरादें

उत्तराखंड देव भूमि मंदिरों का शहर है | यह धरती भारत के सबसे सुन्दर प्राकृतिक सौन्दर्य साथ साथ हिन्दू धर्म के इतिहास से जुडी हुई है .  इस भूमि का सम्बन्ध भगवान शिव , माँ दुर्गा ,विष्णु और अन्य देवी देवताओ से है | यहा चप्पे चप्पे पर मंदिर स्थापित है | विश्व विख्यात केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम इसी धरती पर है . गंगोत्री और यमुनोत्री के दर्शन भी यहा से होते है .   इसके अलावा यहा क्षेत्रीय लोक देवता के भी मुख्य मंदिर है इनमे से एक है गोलू देवता का प्रसिद्ध मंदिर | इन्हे चितई गोलू देवता भी कहा जाता है . 

किलकारी भैरव मंदिर दिल्ली के बारे में जाने 

Golu Devta ka mandir


गोलू देवता एक परिचय :

गोलू देवता को गौर भैरव का ही रूप माना जाता है | इन्हे सन्यासी योध्या के नाम से भी जाना जाता है | भैरव के आठ रूपों में से एक है गौर भैरव जो भगवान  शिव के गण है . 

इनकी प्रतिमा में इन्हे घोड़े पर विराजमान दिखाया गया है | एक हाथ में तलवार न्याय के लिए धारण कर रखी है | यह न्याय के देवता है और यहा भक्त न्याय की तलाश में इस मंदिर में दूर दूर से आते है | कहते है इस मंदिर में चिट्टी भेजने से ही मन की मुरादे पूरी हो जाती है |

गोलू देवता का मंदिर उत्तराखंड


कहलाता है घंटी वाला मंदिर :

इस मंदिर के साथ एक रोचक चीज और भी जुडी हुई है | यहा भक्त जिस कामना से मंदिर में आते है वे इस मंदिर में अर्जी के साथ घंटी भी बांध कर जाते है | उनका विश्वास है घंटी की आवाज के साथ गोलू देवता उनकी इच्छा जल्दी पूर्ण करेंगे | यहा आपको मंदिर के आस पास हजारो घंटियाँ बंधी हुई दिखाई देगी . यह मंदिर इसी कारण दुनिया भर में घंटी वाला मंदिर कहलाता है . 

न्याय और इच्छापूर्ति के लिए भेजी जाती है चिट्टियां

घंटी के अलावा यहा भक्त किसी न्याय के लिए या फिर अपराध क्षमा के लिए देश भर से चिट्टियां भेजते है . ऐसी मान्यता है कि गोलू देवता सभी की चिट्टियां पढ़ते है तुरंत न्याय करते है . इसी मान्यता के कारण इस मंदिर को चिट्टियो वाला मंदिर भी कहा जाता है . गोलू देव चिट्टी जल्दी पड़े इसके लिए साथ में एक घंटी भी मंदिर में भेजी जाती है .

कहाँ है यह मंदिर और कैसे जाये  :

उत्तराखंड के अल्मोड़ा और नैनीताल जिले में स्थित ‘गोलू देवता’ मंदिर | यह अल्मोड़ा से सिर्फ 15 किमी की दुरी पर है . इसके पास ही 2 किमी की दुरी पर बिनसर वन्यजीव अभ्यारण भी है .  यदि बात करे इस मंदिर की नैनीताल से दुरी की तो यह 72 किमी की दुरी पर है . जबकि हल्दानी से यह 100 किमी की दुरी पर है . 

Post a Comment

Previous Post Next Post