क्यों और कैसे बने भैरव काशी के कोतवाल

Story that tells How Bhairav Become Kashi Kotwal .

काशी में मनुष्यों के कर्मो के लेख के आधार पर दण्ड और आशीष देना का कार्य काशी के कोतवाल भैरव की करते है | यहा ना तो शनि देव और ना ही यमराज का कार्य है | यह सब विश्वनाथ शिव के ही एक रूप भैरव नाथ का कार्य काज है | यह उन्हें महादेव से वरदान मिला | काशी में ही उन्हें ब्रहम हत्या पाप से मुक्ति मिली थी | आइये जानते है भैरव के काशी के कोतवाल बनने की पूरी पौराणिक कथा |

भैरव काशी कोतवाल कैसे बने

जब सभी साधु संतो और देवताओ के समक्ष ब्रह्माजी का पांचवा शीश शिव के बारे में गलत शब्द बोल रहा था तब एक दिव्य शिवलिंग से एक बालक भैरव का जन्म हुआ जिसका उद्देश्य ब्रह्माजी के झूठे अहंकार को ख़त्म करना था |

भैरव नाथ को लगा ब्रह्म हत्या का पाप

जब भैरव ने अपने नाखुनो से ब्रह्मा का पांचवा शीश काट कर अपने हाथ में धारण कर लिया तब शिवजी प्रकट हुए | उन्होंने भैरव को बताया की तुम ब्रहम हत्या पाप के भागी हो | और इस पाप ले लिए तुम्हे भी आम व्यक्ति की तरह दुःख भोगना पड़ेगा | अत: इस पाप से मुक्ति के लिए तुम्हे त्रैलोक्य का भ्रमण करना पड़ेगा | जिस स्थान पर यह शीश तुम्हारे हाथ से स्वत: ही छुट जायेगा वही पर तुम इस पाप से मुक्त हो जाओगे |


यह कह कर भगवान शिव ने एक अत्यंत तेजस्वी और विकराल रुपी कन्या को प्रकट किया जो अपने लम्बी लाल जीभ से रक्त का पान कर रही थी | उसके हाथ में खप्पर में खून भरा था और दुसरे हाथ में अति तीक्ष्ण तलवार थी | यह कन्या ब्रहम हत्या ही थी जिसे शिव ने भैरव के पीछे छोड़ दिया था | जो इन्हे कही भी सुख पूर्वक बेठने नहीं देगी |

शिव नगरी में बने काशी के कोतवाल

भैरव शिव आदेश अनुसार और अपने पापो की मुक्ति के लिए तीनो लोको की यात्रा पर निकल पड़े | अनंत काल तक यह यात्रा चलती रही और ब्रहम हत्या नामक वह कन्या उनका पीछा करती रही | एक दिन भैरव जी काशी नगरी में प्रवेश कर गये | उस नगरी में उस कन्या का प्रवेश करना शिव आदेश के अनुसार मना था |

kaashi bhairav kotwal


और इस तरह उस कन्या से इनका पीछा छुट गया | काशी में गंगा तट पर एक स्थान पर भैरव से ब्रह्माजी का शीश छुट गया और वे हमेशा के लिए इस पाप से मुक्त हो गये | यह स्थान कपाल मोचन के नाम से प्रसिद्ध हुआ |

काशी के कोतवाल भैरव  के यहा आठ मुख्य मंदिर है जहाँ यह अलग अलग भैरव रूप में पूजे जाते है . 

भगवान शिव ने अपने परम धाम काशी में ही भैरव को कोतवाल का पद प्रदान कर दिया | काशी में आज भी भैरव का वास है | इसके अलावा उज्जैन नगरी में काल भैरव का प्रसिद्ध मंदिर है |

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