जगन्नाथपूरी रथयात्रा से जुडी रोचक बाते

भारत की सबसे बड़ी विश्व प्रसिद्ध  रथयात्रा ओड़िसा के जगन्नाथ पूरी मंदिर में हर साल निकाली जाती है जिसमे लाखो भक्त शामिल होते है . इसे देखने देश विदेश से भक्त आते है .   भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की प्रतिमाओं को तीन अलग-अलग दिव्य रथों में नगर भ्रमण करवाया जाता है | यह रथ यात्रा दो किमी की दुरी पर गुंडिचा मंदिर पर समाप्त होती है | लाखो भक्त इस धार्मिक रथ यात्रा का हिस्सा बन कर पूण्य के भागी बनते है |

रथयात्रा की जगन्नाथ


गुंडिचा मंदिर में करते है 7 दिन आराम :

जगन्नाथ भगवान अपने भाई और बहिन के साथ गुंडिचा मंदिर में सात दिन विश्राम करते है | मान्यता है की यह उनकी मौसी का घर है और यही पर विश्वकर्मा ने इन तीनो मूर्तियों का निर्माण किया था | कहते है कि जगन्नाथ भगवान की लकड़ी की मूर्ति में श्री कृष्ण का दिल रखा हुआ है .  12 साल के बाद जब जगन्नाथ की मूर्ति बदली जाती है तब इस दिल को बिना देखे नयी  मूर्ति में शिफ्ट किया जाता है .  

jagnnath rath yatra puri

जगन्नाथपूरी रथ यात्रा कब निकलेगी 2023

Jagannath Temple Rath Yatra 2023 Dates . इस साल 2023 में आषाढ़ माह के  शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि से शुरू होती है  . यदि तारीख की बात करे तो 

आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि 19 जून 2023 को सुबह 11.25 से अगले दिन 20 जून 2023 दोपहर 01.07 बजे तक रहेगी

 जगन्नाथपूरी रथ यात्रा से जुडी रोचक बातें  

Importance of Jagannath Puri Rathyatra

  1. रथ का रंग : तीन रथो में सबसे बड़ा रथ भगवान जगन्नाथ का होता है जिसक रंग लाल या पीले रंग का होता है |
  2. रथ को रखते है हल्का : इन तीनो रथो का हल्के वजन का बनाया जाता है , इसी कारण नीम या नारियल के पेड़ की लकड़ी निर्माण में काम में ली जाती है |
  3. घरो में पूजा नही : रथयात्रा के दिनों में लोग घरो में पूजा नही करते , ना ही उपवास रखते है |
  4. रथ में नही होती कील : तीनो रथो के निर्माण में कोई भी कील या बोल्ट काम में भी लिया जाता है |
  5. रथयात्रा शुरू होने का दिन : रथयात्रा आषाढ़ माह की शुक्लपक्ष की द्वितीया तिथि से शुरू की जाती है | धूम धाम से गाजे बाजे के साथ तीनो प्रभु रथ में सवार होकर सवारी करते है | सोने की झाड़ू से मार्ग को साफ़ किया जाता है |
  6. रथो के नाम : बलरामजी के रथ को   ” तालध्वज ” , जिसका रंग लाल और हरा होता है। देवी सुभद्रा के रथ को ” दर्पदलन ” , जो काले नीले और लाल रंग का होता है, जबकि भगवान जगन्नाथ के रथ को ” नंदीघोष ” या ” गरुड़ध्वज ”  कहते हैं। इसका रंग लाल और पीला होता है।
  7. रथो पर रक्षा के प्रतीक : जगन्नाथ भगवान के रथ पर हनुमान और नरसिंह भगवान के प्रतीक होते है | सुदर्शन चक्र भी प्रतीक रूप में होता है | बलरामजी के रथ पर शिवजी प्रतीक रूप में होते है | सुभद्रा जी के रथ की रक्षक माँ दुर्गा व सारथी अर्जुन होते है |
  8. रथयात्रा का पुनः मंदिर में आना : रथ यात्रा पुनः दशमी को जगन्नाथपुरी मंदिर में आ जाती है , पर तीनो देवताओ को अगले दिन एकादशी के दिन ही स्नान कराके मंदिर में लाया जाता है |

सारांश 

  1.  तो दोस्तों विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर की रथ यात्रा के बारे में आपने जाना . हमने यहा आपको बताया कि कब यह यात्रा ओड़िसा के पूरी से निकलती है और इसका क्या महत्व है .  आशा करता हूँ की आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी . 

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