कामधेनु गाय सभी इच्छाओ को पूर्ण करने वाली माता

Koun Hai Kamdhenu Gaay in Hindi . पुराणों में वर्णन मिलता है की कामधेनु एक दैविक गाय थी जिसके दर्शन मात्र से सभी दुःख दूर हो जाते थे | काम मतलब इच्छा और धेनु मतलब पूर्ण करना अत: कामधेनु मतलब इच्छा को पूर्ण करने वाली | इसे सुरभि भी कहा जाता है | इस गौ का दूध अमृत तुल्य होता है | दैवीय शक्तियाँ से पूर्ण गाय (गौ माँ ) में सभी 33 कोटि देवी देवताओ का वास रहता है |

kaamdhenu gau maa mahtav


माता स्वरूपिणी सभी का पालन करने वाली मानी जाती है | इसके दर्शन मात्र से मनुष्य के जन्मो जन्म के पाप नष्ट हो जाते है .  महिमा मुख से पूर्ण रूप से बताना मुश्किल है | जैसे देवताओ में विष्णु , पहाड़ो में हिमालय , नदियों में गंगा . तीर्थो में पुष्कर , पुरियो में कैलाश की महिमा है वैसे ही गौ माँ में कामधेनु की मान्यता है . 

 पुराणों में बहुत से कथाये है जिसके माध्यम से पता चलता है कि इस चमत्कारी गौ माँ के लिए बहुत से युद्ध हुए थे . 

 कैसे प्रकट हुई कामधेनु गौ माँ 

हम सभी जानते है कि देवताओ और दैत्यों ने सागर को मथा था .  समुन्द्र मंथन से कई दुर्लभ चीज निकली थी जिसमे से एक थी कामधेनु सुरभि गौ माता . इस गाय माता के चारो तरह हरे , सफेद , लाल और पीले रंग की सैकड़ो गाये थे . उस गाय के समूह को देखकर देवता और ऋषि मुनि बहुत प्रसन्न हुए . कामधेनु माँ के अवतरण पर ऋषियों ने देवताओ और असुरो से विनती करी कि वे इन सभी गौ माओ का दान ब्राहमणों को कर दे . 


भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए देवताओ और दानवो ने गौ दान किया और इस तरह ये गाये ब्राहमणों को मिली . 

तो दोस्तों यह थी कामधेनु गाय के जन्म की कहानी . 

कैसी दिखती है कामधेनु गाय 


पुराणों के अनुसार यह गाय एक गौ माँ के रूप में ही दिखती है . पर इसका मुख एक नारी की तरह है . उस नारी ने मुख से श्रंगार कर रखा है और उसके चेहरे से ममता झलक रही है . इसके शरीर पर सोने चांदी हीरे मोती के गहने है . चारो पैरो में पाजेम . गले में माला . इसके थनों में अमृत दूध भरा हुआ है . इसके शरीर पर रंग बिरंगे पंख लगे हुए है . 


पूजा में हवन और यज्ञ का महत्व और लाभ 

इस चमत्कारिक गाय से जुडी भिन्न भिन्न कथाये है |

एक कथा परशुराम जी के पिता जमदग्नि ऋषि जी की थी जिनके पास कामधेनु गाय थी | राजा सहस्त्रार्जुन इसी गाय को लेने के लिए आश्रम पर हमला कर दिया पर गाय स्वर्ग की तरफ चली गयी | भगवान परशुराम ने तब सहस्त्रार्जुन का वध किया |

अन्य कथा :

विश्वामित्र और महर्षि वसिष्ठ के बीच भी कामधेनु गाय को लेकर युद्ध हुआ | महर्षि वसिष्ठ के पास यह गाय थी जिसे विश्वामित्र लेने चाहते थे |

कामधेनु गाय से जुड़ा मुख्य मंत्र :

प्रातः स्नान करके गौ माँ पर गंगा जल छिडके | फिर अक्षत पुष्प से गौ की पूजा करे | गौ को भोग लगाकर यह मंत्र पढ़े |

ॐ सर्वदेवमये देवि लोकानां शुभनन्दिनि।
मातर्ममाभिषितं सफलं कुरु नन्दिनि।।

गंगा में अस्थि विसर्जन करने के बाद कहाँ जाती है 

 

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