क्यों हनुमान जी को पवनपुत्र बोला जाता है

Kyo Hanuman Ji Kahlate Hai Pawan Putra . रामायण , रामचरितमानस और हनुमान पुराण में बताया गया है की हनुमान जी के माता पिता अंजना और वानर राज केसरी थे | फिर भी इन्हे पवन पुत्र के नाम से समस्त संसार जानता है | वायु देव भी क्या हनुमान जी के पिता थे ?

हनुमान क्यों है पवन पुत्र


यदि ऐसा है तो इसके पीछे क्या कारण है हनुमान को पवनसुत पवनपुत्र बोलने का ?

कैसे पवन पुत्र बने हनुमान

हनुमंत पुराण में बताये गये एक लेख के अनुसार केसरी राज के साथ विवाह करने के बाद भी कई सालो तक अंजना के पुत्र सुख की प्राप्ति नही हुई | वह मंतग मुनि के पास जाकर पुत्र प्राप्ति का मार्ग पूछने लगी | ऋषि ने बताया की वृषभाचल पर्वत पर भगवान वेंकटेश्वर की पूजा अर्चना और तपस्या करो | फिर गंगा तट पर स्नान करके वायु देव को प्रसन्न करो | तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी क्योकि इससे वायु देव तुम्हे स्वयं दर्शन देंगे और तुम्हारी मनोकामना को पूर्ण करेंगे . 

अंजना की तपस्या

मुनि के बताये मार्ग के अनुसार पुत्र की कामना में अंजना ने सभी तप पूर्ण श्रद्धा, विश्वास और धैर्य से किये और वायु देव को प्रसन्न करने में सफल रही | वायु देव ने उन्हें दर्शन देकर आशीष दिया की उनका ही रूप उनके पुत्र के रूप में अवतरित होगा | उसी रूप और शक्ति के प्रभाव से उनका पुत्र हवा में अनोखी क्रियाये कर पायेगा जिससे राम कार्य पूर्ण होगा . 

वायु देव पवन पुत्र हनुमान की कहानी


पवन देव का अंजना को गर्भवती करना

एक बार अति सुन्दर रूपवती अंजना पुष्पों की फुलवारी के बीच खेल रही थी | तभी अचानक तेज हवा के झोंके ने उनके वस्त्र खिसका दिए | उन्हें अनुभव हुआ की कोई उनके अंगो को स्पर्श कर रहा है | अंजना क्रोधित हो गयी तभी पवन देव प्रकट हुए | उन्होंने बताया की वे अव्यक्त रूप से मानसिक संकल्प द्वारा उसे पुत्र प्रदान कर रहे है | इस तरह माँ अंजना गर्भवती हो गयी और उन्होंने हनुमान के रूप में महाशक्तिशाली पुत्र को जन्म दिया |

इसी कारण हनुमान को पवनपुत्र , केसरीनंदन आदि नामो से जाना जाता है |

वायु देव ने पुत्र की रक्षा के लिए ला दी थी तबाई 

बाल समय रवि भक्ष लियो तब , लीनो लोक भयो अंधीहारो

अर्थात - बचपन में एक बार हनुमान जी सूर्य को फल समझ कर निगल लिया था और हर तरफ अँधेरा छा गया था .

 इससे कुपित होकर देवराज  इंद्र ने उस बालक पर अपने शक्तिशाली वज्र से प्रहार कर दिया . वो प्रहार इतना तेज था की छोटे से हनुमान जी धरती पर मूर्छित होकर पड़ गये . 

यह बात जब पवन देव को पता चली तो वे बहुत ज्यादा क्रोधित हो गये और उन्होंने अपनी पूरी पवन को रोक लिया 

हवा के रुकने से हर जगह त्राहिमाम त्राहिमान होने लग गया . सभी जीवो के जीवन  पर संकट आ गया तब इस अनहोनी को रोकने के लिए सभी देवी देवताओ ने हनुमान जी को नाना प्रकार की शक्तियां दी और इससे पवन देव प्रसन्न हुए और फिर से हवा चलने लगी . 

हनुमान जी के सबसे प्रसिद्ध मंदिर 

हनुमान जी के चमत्कारी मंत्रो का जाप दूर लाता है मंगल 

सुन्दरकाण्ड करते समय ध्यान रखे जरुरी नियम

हनुमान जी को चमेली के तेल और सिंदूर का चोला

सारांश 

  1.  तो दोस्तों आपने जाना कि क्यों हनुमान जी को पवन पुत्र हनुमान भी कहा जाता है और कैसे पवन देव का पिता का संबध हनुमान जी से है . 

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