इस स्थान पर हुआ था शिव पार्वती का विवाह

Know About Wedding Destination of Lord Shiva and Parvati

शिव और शक्ति ने मिलकर यह सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड बनाया है | शक्ति ने पार्वती के रूप में फिर से जन्म लेकर शिव जी की घोर तपस्या की और उन्हें प्रसन्न कर उनसे विवाह रचाने का वर माँगा | आज हम आपको उसी स्थान के बारे में बताने वाले है जहा भगवान शिव और पार्वती माँ का विवाह रचाया गया |

शिव पार्वती विवाह स्थली


उत्तराखंड राज्य में रूद्रप्रयाग एक स्थान ऐसा है जिसके बारे में कहा जाता है की इसी स्थान पर महादेव और पार्वती का विवाह हुआ था | यहा इस मंदिर में एक ऐसी अग्नि भी जल रही है जिसका नाम त्रियुगी है.

तीन युगों से जल रही है अग्नि 

मान्यता है की इस अग्नि को सदियों पहले स्वयं शिव पार्वती ने अपने हाथो से प्रज्ज्वलित किया था और वो लगातार आज तक जल रही है | इसी कारण इसका नाम त्रियुगी रखा गया है | इस अग्नि की भस्म को अत्यंत पवित्र और कल्याणकारी माना जाता है | भक्त शिव पार्वती प्रतिमा के धोक खाकर इस भस्म से तिलक लगाते है |

तीन युगों से जल रही है अग्नि

यहा आने वाले श्रद्दालु इसमे लकड़ी डालकर इसकी अग्नि को लगातार जलाये रखते है . 

हालाकि यह मंदिर नारायण भगवान का है अत: भक्तजन इस अग्नि को त्रियुगीनारायण के नाम से भी पुकारते है | कहते है आदि गुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर की स्थापना की थी | यहा भगवान विष्णु के अवतार वामन देवता की पूजा की जाती है | यहा भगवान विष्णु ने स्वयं यह विवाह सम्पन्न करवाया था जिसमे हजारो संत भी शामिल हुए थे . 

कहाँ है त्रियुगी नारायण का मंदिर 

यह मंदिर उत्तराखंड में केदारनाथ जाने वाले मार्ग पर है . भक्त लोग पहले यहा इस मंदिर में आकर पास बने कुण्ड में स्नान करते है फिर इस मंदिर में दर्शन करते है . इसके बाद वे आगे केदारनाथ की यात्रा करते है . 

➜ वो जगह जहाँ लिखी गयी थी महाभारत -व्यास पोथी उत्तराखंड 

➜ पञ्च केदारो के दर्शन से पूरे होते है केदारनाथ के दर्शन 

किसने बनाया यह मंदिर

भगवान विष्णु के अवतार श्री वामन का यह मंदिर हिमालय (राजा हिमवान ) ने त्रेता में बनवाया था . आप सोच सकते है कि यह मंदिर कितना पुराना है . हिमवान की पुत्री ही थी पार्वती जिसका विवाह फिर शिव जी यह हुआ था . 

triyugi_narayani_mandir

यहा है सात  कुण्ड 

स्थानीय लोग बताते है कि इस मंदिर के आस पास चार कुण्ड है , पहला ब्रहम कुण्ड , दूसरा रूद्र कुण्ड , तीसरा विष्णु कुण्ड और चौथा सरस्वती कुण्ड .

इसके अलावा तीन कुण्ड है जो है नारद कुण्ड , सूर्य कुण्ड और अमृत कुण्ड . 

कुण्ड यात्रा


कहते है कि भगवान के स्नान के लिए अमृत कुण्ड का जल काम में लिया जाता है जबकि सूर्य कुण्ड के जल से भगवान का भोग तैयार किया जाता है. सरस्वती कुण्ड से पितरो को जल दान किया जाता है और बाकि कुण्ड में भक्त करते है स्नान . 

यहा विवाह भी होते है ? 

जिस स्थान पर ब्रहमांड की सबसे सुन्दर जोड़ी शिव पार्वती का विवाह हो , वो उनके मानने वालो के लिए भी अति उत्तम जगह है . यह कारण है विवाह की शुभ रस्म पूरी करने के लिए लोग अपने परिवारजानो के साथ यहाँ आते है और दिव्य मंत्रोचार के बीच विवाह करते है . 

यहा ऐसी मान्यता है कि ऐसे विवाह पर स्वयं शिव जी और पार्वती जी अपनी कृपा बरसाती है और आगे सुखद वैवाहिक जीवन बीतता है . 

Other Similar Posts

पूर्णिमा के दिन किये जाने वाले टोटके और उपाय

सारांश 

  1. तो दोस्तों आपने जाना बहुत ही प्राचीन और पौराणिक महत्व वाले  त्रियुगी मंदिर के बारे में जहाँ शिव और पार्वती ने विवाह किया था . इस मंदिर का आज भी एक चमत्कार है कि इसमे कई युगों से आज भी अग्नि जल रही है .  आशा करता हूँ आपको यह आर्टिकल जरुर पसंद आया होगा . 

यमनोत्री धाम की यात्रा से जुड़ी रोचक बाते

➜ उत्तराखंड के चार धाम कौनसे है

Post a Comment

Previous Post Next Post