ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व और वट पूर्णिमा व्रत और किये जाने वाले उपाय

हिन्दू धर्म में साल में आने वाली सभी पूर्णिमा का ही महत्व है पर जयेष्ट मास में आने वाली पूर्णिमा अपना अलग महत्व रखती है | इस दिन गंगा के चमत्कारी जल से स्नान करके यदि कोई व्यक्ति पूजा अर्चना और दान करता है तो उसे भविष्य में अच्छे फल की प्राप्ति होती है | भारत के कुछ प्रान्तों में ज्येष्ठ पूर्णिमा पर वट वृक्ष की पूजा की जाती है और व्रत धारण करके वट पूर्णिमा व्रत किया जाता है | यह वैसे ही है जैसे वट सावित्री व्रत होता है |

जयेष्ट पूर्णिमा का महत्व


इस पूर्णिमा का एक महत्व यह भी है की इस दिन से अमरनाथ की यात्रा गंगा जल लेकर शुरू की जाती है |

कब शुरू होगी ज्येष्ठ पूर्णिमा

ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि (अधिक मास) – 29 मई 2018

पूर्णिमा तिथि आरंभ – 18:41 बजे से (28 मई 2018)

पूर्णिमा तिथि समाप्त – 19:49 बजे तक (29 मई 2018)

वट पूर्णिमा व्रत विधि विधान

धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है की वट वृक्ष में त्रिदेवो का वास होता है | महिलाये इस पेड़ को जल से सींचती है | इस ‍दिन सुहागिन औरते वट की पूजा-अर्चना करती है और सूत लपेटते हुए 108 बार परिक्रमा करके सुख समृधि की कामना करती है | इस पूजा के बाद किया जाने वाला व्रत मनोकामना पूर्ण करने वाले और सुख-सौभाग्य में वृद्धि करने वाला बताया गया है | 

महिलाये विशेष रूप से अपनी पति की लम्बी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए वट वृक्ष की पूजा अर्चना करती है और व्रत रखती है . जानवरों में कछुआ और पेड़ो में बरगद सबसे ज्यादा उम्र पाने वाले होते है . अत: इनकी पूजा करने से ये अपने गुण पूजा करने वालो को प्रदान करते है . 

कहते है सावित्री ने अपने पति सत्यवान  के प्राणों को फिर से लाने के लिए वट वृक्ष के निचे ही यमराज की तपस्या की थी . पतिव्रत धर्म की मिशाल सावित्री से प्रसन्न होकर यमराज ने उनके पति के प्राणों को फिर से लौटा दिया और उन्हें शत पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया .  

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सारांश 

  1. तो दोस्तों आपने जाना वट सावित्री व्रत के बारे में जो कि जयेष्ट मास की पूर्णिमा पर आता है . इस दिन सुहागिन महिलाये अपने पति की दीर्घायु के लिए वट वृक्ष की पूजा अर्चना और व्रत करती है . आशा करता हूँ यह पोस्ट आपको अच्छी लगी होगी . 

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