भगवान शिव के गले में नर मुंड माला का रहस्य

Shiv Ke Gale Me Narmund Mala Rahasya . शिव इस जगत के संहारक है | इसी कारण इन्हे महाकाल , कालो का काल आदि नामो से भी संबोधित किया जाता है | हमने पहले के लेख में बताया था की शिव और शिवलिंग की पूजा भस्म से होती है जिसका कारण है की भस्म जीव की अंतिम यात्रा का घोतक है |

shiv gale me narmund mala


अर्धनारीश्वर शिव को तभी श्मशान वासी , भस्म रमैया आदि भी बोलते है | यह अपने गलो में नर मुंड माला धारण किये हुए है | इन्हे ही तंत्र का सबसे बड़ा तांत्रिक और जनक भी कहा जाता है | आज हम जानेंगे की क्यों शिव जी ने नरमुंड माला धारण किया हुआ है | क्या है नरमुंडो की धारण करने की कहानी . 

शिव से प्रेरित होकर अघोरी साधू और नागा साधू भी तंत्र साधना में नरमुंड को धारण करते है . 

भगवान शिव के गले में नरमुंड नही बल्कि मादामुंड की माला है इसमे एक एक मुंड माता सती का है अब तक सती 107 बार मृत्यु को प्राप्त कर चुकी है . शिव ने उनकी याद के लिए उन्हें एक माला के रूप में पहन रखा है .

शिव के गले में नर मुंड माला की पौराणिक कथा

एक बार नारद जी शिव स्थली कैलाश पर्वत पर आकर सती माता को उकसाने लगे की शिव जी अमर है पर आपको बार बार शरीर त्याग करना पड़ता है | उन्होंने ती माता से शिव जी के गले में पड़ी नरमुंड माला का रहस्य भी बताया की उसमे फिरोये हुए मुंड आपके ही है | नारद के चले जाने पर पार्वती का मन विचलित हो गया | उन्होंने शिव के आने के बाद उनसे मुंड माला का राज पूछा |

शिव बोले यह आपका 108 वां जन्म है। इससे पहले आप 107 बार जन्म लेकर शरीर त्याग चुकी हैं और ये सभी मुंड उन पूर्व जन्मों की निशानी है। इस माला में अभी एक मुंड की कमी है इसके बाद यह माला पूर्ण हो जाएगी। शिव की इस बात को सुनकर सती ने शिव से कहा मैं बार-बार जन्म लेकर शरीर त्याग करती हूं लेकिन आप शरीर त्याग क्यों नहीं करते।

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शिव हंसते हुए बोले ‘मुझे अमर कथा प्राप्त है जो मुझे अमर बनाती है ।’ तब सती ने भी अमर कथा सुनकर खुद को अमर करना चाहा । भगवान भूतभावन उन्हें कथा गुप्त जगह अमरनाथ में सुनाने लगे पर बीच में ही सती माँ को निद्रा आ गयी और वो इस कथा से वंचित रह गयी | .  यही कारण था की उन्हें दक्ष के यज्ञ कुंड में कूदकर अपने शरीर का त्याग करना पड़ा। मृत सती के मुंड को लेकर शिवजी ने अपनी माला को अब पूर्ण 108 का किया |

सती ने अगला जन्म पार्वती के रूप में हुआ। इस जन्म में पार्वती को अमरत्व प्राप्त होगा और फिर उन्हें शरीर त्याग नहीं करना पड़ा।

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सारांश 

  1. तो दोस्तों यहा आपने जाना कि भगवान शिव के गले में नरमुंड माला क्यों है और इसके पीछे की क्या पौराणिक कहानी है  . आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी. 

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