झंडेवाली माँ मंदिर दिल्ली

Jhandewali Maa Temple Delhi .  झंडेवाली माँ का मंदिर दिल्ली में है और भक्तो में प्रसिद्द है | दूर दूर से भक्त माँ के दर्शन करने और परम लौकिक शांति पाने आते है | कहते है इस पावन जगह पर शांति की गंगा बहती है | आप कितनी भी परेशानियों में हो , माँ के इस आँगन में आकर आपको सुकून मिलता है | अत्यधिक श्रद्धालुओं की भीड़ इस मंदिर में नवरात्रि के दिनों में देश भर से उमड़ती है |

झंडे वाली माँ का दरबार


कहाँ है यह मंदिर स्थित :

यह झंडे वाली माँ का मंदिर दिल्ली में झंडेवालान व पहाड़गंज के बीच है | इस मंदिर का विकास इसके बनने के बाद लगातार चल रहा है | यहा का वातावरण प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर शांत और रमणीय है जो की परम शांति का प्रतीक है |

jhande wali maa ka darbar


क्यों कहते है इन्हे झंडेवाली माँ :

यह मंदिर महान भक्त बद्रीदास द्वारा बनाया गया था | उन्होंने मंदिर के शिखर पर एक ऊँचा झंडा लहरवाया जिससे की दूर से भी भक्त माँ के इस मंदिर के होने को देख सके | धीरे धीरे इसी झंडे को देखकर बहुत भक्त इस मंदिर में आने लगे और समय के साथ यह मंदिर विख्यात हो गया झंडे वाली माँ के नाम से |

kahan hai jhandewali maa ka darbar


झंडेवाली माँ के मंदिर बनाने का कारण :

बहुत साल पहले यही एक दानवीर व्यापारी हुए जिनका नाम बद्रीदास था | वे माँ वैष्णो के परम भक्त थे | वे अमीर होने के साथ साथ दीन दुखियो की सेवा करने वाले अनन्य भक्त थे | उनके अच्छे गुणों के कारण लोग उन्हें बद्री भक्त कह कर पुकारते थे |

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एक बार वे इस परम शांति वाली हरियाली जगह पर साधना कर रहे थे | उन्हें आभास हुआ की इस जगह कोई माँ का मंदिर जमीन के अन्दर दबा हुआ है | शायद यह उनकी भक्ति का चमत्कार था की उन्हें यह आभास हुआ | 

उन्होंने उस जगह की खुदाई कराई | खुदाई में माँ की एक अति प्राचीन मूरत मिली पर उनके हाथ खंडित हो गये थे | बद्रीदास जानते थे की इस खंडित मूरत की पूजा नही हो सकती और देवी माँ चाहती भी है उनकी पूजा इस रूप में हो | इसलिए उन्होंने उस खंडित मूरत हो वही एकग गुफा में रहने दिया और उसके ऊपर एक नव मंदिर का निर्माण करके देवी माँ की नयी मूर्ति की विधि पूर्वक प्राण-प्रतिष्ठा करवाई |

 माँ के हाथ चांदी के के लगाये गये है क्योकि मूरत के हाथ खंडित थे | उन्होंने माँ से विनती की वो प्राचीन खंडित मूर्ति की सभी शक्तियाँ नयी मूर्ति भी भर दे | इस तरह यह मंदिर बना और आज भी बद्री भक्त के वंशज इस मंदिर में सेवक के रूप में कार्य करते है |

सारांश 

  1. तो दोस्तों आपने जाना झंडेवाली माँ के मंदिर के बारे में . हमने बताया मंदिर का इतिहास  . आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी. 

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