काशी के कोतवाल के मंदिर


Kashi Bhairav Temples Location  . भगवान शिव ने इनकी घोर तपस्या लेकर बह्र्म हत्या से मुक्त कर दिया और फिर इन्हे काशी का कोतवाल नियुक्त कर दिया | हर काशी वाले व्यक्ति को ये ही उनके पापकर्म के लिए दंड देते है | 

काशी कोतवाल मंदिर कौनसे है


कोतवाल काल भैरव की काशी में आठ चौकिया स्थापित की है और इनके इस नगरी (वाराणसी ) में आठ मंदिर है जो निम्न है . यहा हम इन मंदिरों में विराजमान भैरव के नाम और साथ ही उनके पते की भी जानकारी दे रहे है . 

काशी के आठ भैरव मंदिर और उनका स्थान 

रुरु भैरव : यह आनंद भैरव भी कहलाते है | इनका मंदिर बी 4 /16 हनुमान घाट पर | यह मंदिर सुबह पांच से दस बजे तक व शाम को पांच बजे से रात साढे़ नौ बजे तक खुला रहता है।

चंड भैरव : दुर्गा घाट पर B.27/2 पर स्थित है | पास में ही है देवी माँ दुर्गा का मंदिर |

असितांग भैरव : यह मंदिर काशी में K 52/39 पर महामृत्युंजय मंदिर के करीब है | दिन भर भक्त इस मंदिर में दर्शन प्राप्त कर सकते है |

कपाली भैरव : कपाली भैरव मंदिर 1/123 अलईपुर में स्थित है। यह लाल भैरव के नाम से भी पूजे जाते है | मंदिर सुबह 6 से 11 और शाम को 6 से 9 तक दर्शनार्थ खुला रहता है |

लाट भैरव -कपाली भैरव काशी नगरी मंदिर


क्रोधन भैरव : यह मंदिर कामख्या मंदिर के पास B 31/126 पर स्थित है | इन्हे आदि भैरव के नाम से भी जाना जाता है | मंदिर सुबह 5 से 12 और फिर शाम को 4 बजे से रात्रि 12 तक खुला रहता है |

उन्मत्त भैरव : पंचक्रोशी गाँव के देवरा गाँव में इनका मंदिर है | काशी से यह मंदिर लगभग 10 किमी की दुरी पर है |

उन्मंत भैरव काशी

     

संहार भैरव : पाटन दरवाजा गाय घाट के पास A 1/82 पर है यह मंदिर |

भीषण भैरव : इनका मंदिर K 63/28 के पास स्थित है | सुबह 6 से 10 और शाम को 6 से 8 तक यह मंदिर खुला रहता है |

काशी में भैरव के चमत्कार की कहानी 

औरंगजेब के शासन काल में जब काशी में मुग़ल सैनिको ने काशी विश्वनाथ मंदिर को  नुकसान  पहुँचाया तब इस काशी नगरी  के कोतवाल काल भैरव के मंदिर की तरफ भी रुख कर लिया | जनश्रुतियों की माने तो जब औरंगज़ेब के सैनिक उस मंदिर के करीब पहुंचे तब अचानक पागल कुत्तो का बड़ा भारी झुण्ड पता नही कहाँ से आ गया और उन्होंने उन सैनिको पर हमला बोल दिया |

जिन जिन सैनिको को उन कुत्तो ने काटा वे उसी समय पागल हो गये और अपने ही साथी सैनिको को काटने लग गये | यह मंजर बड़ा ही कौफनाक था | अन्य  सैनिक यह देखकर  इधर उधर अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे |

इस वर्तांत से काशी के कोतवाल की महिमा दूर दूर तक फैल गयी | यह कुत्ते भैरव जी की सेना ही थी क्योकि भैरव की मुख्य सवारी स्वान (कुत्ते) ही माने जाते है |


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