वृन्दावन के प्रेमानंद जी महाराज का जीवन परिचय और रोचक बातें 


Know About Premanand Ji Maharaj and Biography in Hindi . भारत में बहुत से प्रसिद्ध संत है और उनके लाखो करोडो अनुनायी है , इनका नाम राधे के परम भक्तो में लिया जाता है . बड़े बड़े सेलेब्रिटी इनके फॉलोवर्स है

आज हम बात करने वाले है वृन्दावन के प्रेमानंद जी महाराज की , साथ ही जानेंगे कि क्यों इतने प्रसिद्ध है वृन्दावन के प्रेमानंद जी महाराज .

प्रेमानंद जी महाराज रोचक बातें

प्रेमानंद जी का बाल्यकाल और माता पिता

प्रेमानंद जी का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर के पास अखरी गांव में हुआ था . इनके पिता का नाम शंभु पांडेय और माँ का नाम रमा देवी था . माता पिता ने इनका नाम अनिरुद्ध पांडेय रखा था .

ब्राह्मण परिवार में जन्मे अनिरुद्ध का बाल्यकाल भक्ति और ईश्वरीय आराधना के बीच गुजरा . इनके दादा पिता और घर के सभी सदस्य धार्मिक प्रवृति के थे . उनके बीच इनके भी मन में भक्ति और हिन्दू धर्म के लिए कुछ करने के बीज बचपन में ही पनप गये .

घर में भागवत गीता के पाठ नित्य दिवस होते ही रहते थे . दादा जी फिर गृहस्थ आश्रम से सन्यास ले लिए और फिर उनके पिता भी अपने पिता की राह पर चलते हुए सन्यास ले लिए .

इन सब बातो का अनिरुद्ध पर बहुत प्रभाव पड़ा .


जन्म स्थान कानपूर अखरी गांव 
पिता का नाम शंभु पांडेय
माता  का नाम रमा देवी 
विवाह  अविवाहित 
वर्तमान निवास वृन्दावन 
पद धार्मिक गुरु 

प्रेमानंद जी दीक्षा

जब अनिरुद्ध सिर्फ 13 साल के थे तब उन्होंने राधावल्लभी संप्रदाय में दीक्षा ले ली . इन्हे नया नाम मिला जो था आर्यन ब्रह्मचारी . राधावल्लभी संप्रदाय में श्री राधे को पूजा जाता है और जो राधे को पूजता है श्री कृष्ण की कृपा उन पर स्वत: ही हो जाती है . इसके बाद प्रेमानंद जी ने अपना सम्पूर्ण जीवन राधा नाम प्रचार में लगा दिया .

वृन्दावन में कहाँ है प्रेमानंद जी का आश्रम ?

 Premanand Ji Maharaj Vrandawan प्रेमानंद जी का आश्रम वृन्दावन में रमणेरती मार्ग में राधा निकुंज आश्रम के नाम से जाना जाता है .

बीमारी के बाद भी चमत्कार

ऐसा बताया जाता है कि प्रेमानंद जी महाराज की दोनों किडनियां खराब हो चुकी है , इसके बाद भी वे अपने भक्तो से मिलते है और घंटो तक उपदेश देते है . दोनों किडनी खराब होने के बाद लोग जहाँ मौत के करीब पहुँच जाते है वही चमत्कारी संत प्रेमानंद जी सामान्य तरीके से ही अपने नित्य कार्य कर रहे है .17 साल से बिना स्वस्थ किडनी के समय निकालना किसी चमत्कार से कम नही है . 


प्रेमानंद जी महाराज


लोगो का प्रबल विश्वास है कि यह उस संत की आध्यातिम्क शक्ति से संभव हो सका है . 

पीले रंग से है अति प्रेम

यदि आपने इनके विडियो देखे होंगे तो आपने यह जरुर गौर किया होगा कि प्रेमानंद जी पीले रंग से अति प्रेम है . इनके आश्रम में इनके आस पास ज्यादातर आपको पीले रंग ही दिखाई देंगे . पीले रंग के वस्त्र , माथे पर पीले चन्दन का लेप , भक्तो के लिए पीले रंग के ही मास्क . 

प्रेमानंद जी के उपदेश


कहते है कि श्री कृष्ण पीताम्बरी धोती पहनते थे अत:  प्रेमानंद जी महाराज भी पीले रंग को बहुत महत्व देते है . इसके अलावा पीला रंग माँ बगलामुखी का है जो स्तम्भन की देवी है . अत: पील रंग के वातावरण में जो व्यक्ति पीले वस्त्र पहन कर कुछ बोलता है तो उसका इम्पैक्ट सामने वाले पर बहुत ज्यादा होता है . इन सब कारणों से पीले रंग का हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्व है . 

अत: यही कारण है कि प्रेमानंद जी महाराज के उपदेश लोगो के दिल में उतर जाते है  . 

वृन्दावन की परिक्रमा

30 सालो से प्रेमानंद जी महाराज यहा निवास कर रहे है . और पहले वे हर सुबह 3 बजे से सूर्य उदय तक वृन्दावन की परिक्रमा करते है  . हजारो लोग राह में उनके दर्शन करने के लिए खड़े रहते थे और उनके दर्शन और आशीर्वाद को प्राप्त करते थे . उनके साथ राधा नाम कीर्तन करने वाले बहुत से अनुनायी होते है . रास्ते में वे भक्तो का हाथ जोड़ कर अभिनंदन करते है . 

प्रेमानंद जी राधे राधे सुबह

जगह जगह भक्त उनकी राह में फुल बिछाकर स्वागत करते है . रात भर भक्त जागे रहते है कि अब बाबा प्रेमानंद जी के दर्शन उन्हें हो पायेंगे .


सारांश 

  1. वृंदावन के प्रेमानंद जी महाराज से जुड़ीं रोचक बातो में आपने जाना उनकी बायोग्राफी के बारे में  . किस तरह से ये अपने अनुनाईयो में प्रसिद्ध है और क्यों इन्हे चमत्कारी संत कहा जाता है .  आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी.

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