भगवान श्री कृष्ण के प्रिय भोग कौनसे है

Bhagwaan Shri Krishna Ke Priya Bhog अपने आराध्य देवी देवता की पूजा में प्रसाद या भोग का विशेष महत्व है | हमने पहले आपको बताया था कि किस देवता को कौनसा भोग सबसे प्रिय होता है .  इसे हम पूजा पाठ की भाषा में नैवेद्य कहते है | हमारे धर्म में यह प्रबल मान्यता है कि हमारे द्वारा की गयी पूजा देवी देवता स्वीकार करते है और हम उन्हें जो भोग अर्पित करते है वो उसे जरुर अद्रश्य रूप में खाते है | वे तब अत्यंत प्रसन्न होते है जब हम उनकी पसंद का भोग उन्हें अर्पित करते है | जन्माष्टमी के पावन अवसर पर चलिए आज हम बात करते है भगवान श्री कृष्ण के प्रिय भोग या प्रसाद की | ये भोग भगवान श्री कृष्ण को बहुत प्रसन्न करते है

krishna ke priya bhog


विशेष नोट : विष्णु और कृष्ण भगवान के भोग में तुलसी के पत्ते जरुर रखे अन्यथा भोग अपूर्ण रहता है |

– माखन मिश्री का भोग :

माखन मिश्री का भोग भगवान श्री कृष्ण को उनके बचपन से ही अत्यंत प्रिय है | उन्हें कितना भी माखन खिला दो फिर भी इससे उनका पेट नही भरता था | वे पड़ोस के घरो में चोरी चुपके मटकी से माखन चुरा कर खा जाते थे | अपनी इस लत के कारण उन्हें बचपन में ‘माखन चोर ‘ के नाम से भी जाना जाता था | यदि आपके घर के मंदिर में लड्डू गोपाल जी विराजित है तो हर दिन उन्हें सुबह माखन मिश्री का भोग जरुर अर्पित करे |

कैसे बनाये माखन मिश्री का भोग

दही से घी बनाते समय जो मलाई ऊपर आ जाती है , उसे माखन कहा जाता है | इसमे पीसी हुई मिश्री मिला दे | यदि इसमे आप पंचमेवा पिस कर डाल देंगे तो यह अत्यंत स्वादिष्ट हो जाएगी |

इसकी दूसरी विधि यह है की ताजा मलाई ले उसमे मिश्री डाल कर मिक्सी में पिस ले |

खीर का भोग

एकादशी पर चावल खाना मना है | इस दिन चावल या चावल से बनी चीजे खाने से दोष लगता है | अत: एकादशी को छोड़कर आप अन्य दिनों में कृष्ण भगवान के खीर का भोग भी लगा सकते है | खीर में पंचमेवा और केसर डालना ना भूले | इस भोग से कान्हा बहुत प्रसन्न होते है |

धनिया पंजीरी का भोग

पिसे हुए धनिये में शुद्ध घी , पिसे हुए पञ्चमेवे , बुरा चीनी आदि मिलाकर जो प्रसाद तैयार किया जाता है उसे धनिया पंजीरी कहा जाता है | इसमे आप साथ में केले , सेब , अनार और अंगूर को भी डाल सकते है | यह जनमष्टमी के अवसर पर सबसे प्रिय प्रसाद में काम में लिया जाता है |

मावे के पेड़े :

भगवान श्री कृष्ण को शुद्ध दूध के पेड़े भी प्यारे है | बहुत सारे मंदिरों में उनके दूध के पेड़ो का भोग भक्तो द्वारा अर्पित किया जाता है |

56 भोग प्रसाद :

आपने 56 भोग के बारे में जरुर सुन रखा होगा | आपको पता है इस भोग की शुरुआत श्री कृष्ण के समय ही हुई थी | उनके बाल्यकाल में जब एक बार ब्रजवासियों से नाराज होकर इन्द्र ने मुसलाधार वर्षा की थी तब श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को 7 दिन तक भूखे रहकर अपनी छोटी अंगुली से उठा कर ब्रजवासियों के प्राणों की रक्षा की थी | इन्द्र को तब हार माननी पड़ी | उस उम्र में कृष्ण भगवान एक दिन में 8 बार भोजन करते थे | तब ब्रजवासियों ने 7 दिन के भूखे श्री कृष्ण को 8*7= 56 प्रकार के व्यंजन खिलाये थे | तब से भगवान के 56 भोग लगाने की परम्परा शुरू हुई थी |

पंचामृत :

पांच अमृत जब मिले तो बने पंचामृत | पंचामृत बनाने के लिए आपको दूध , शहद , गाय का शुद्ध घी , बुरा , दही |

कान्हा का बचपन गौ और गोपालो के बीच बिता है | वे खुद भी ग्वाल बनकर गायो को गोवर्धन पर्वत पर चराते थे | गौ दूध से बने मिष्टान उन्हें बहुत लुभाते है | पंचामृत कृष्णा को बहुत खुश करती है |

आशा है कृष्ण को चढ़ाये जाने प्रसाद से जुड़ा यह लेख आपको अत्यंत पसंद आया होगा | यदि आपके पास भी कोई इस लेख से जुडी जानकारी है तो कमेंट में जरुर लिखे |

|| जय श्री कृष्णा ||

सारांश 

  1.  तो दोस्तों इस आर्टिकल में आपने जाना कि भगवान श्री कृष्ण के प्रिय भोग कौनसे है और उन्हें भक्त प्रसाद के रूप में क्या चढाते है . आशा करता हूँ कि यह आर्टिकल आपको ज्ञानवर्धक लगा होगा . 


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