अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं हनुमान जी श्लोक और अर्थ

Atulit Baldhaamam Hemshailabhadeham Sundarkand Shlok . यदि हनुमान जी की महिमा के बारे में जानना चाहिए तो यह 4 लाइन का श्लोक गागर में सागर की तरह बहुत ही अच्छे ढंग से इनकी महानता और वीरता को इंगित करता है |

अतुलित बलधाम हेमशैलाभ्देह्म

गोस्वामी तुलसीदास जी ने सुन्दरकाण्ड के शुरूआती दोहे में इस मंत्ररूपी श्लोक को लिखा है जिसमे हनुमान जी के शरीर , उनके गुणों की प्रशंसा की है . आइये जानते है अतुलित बलधाम श्लोक और उसके अर्थ को . 

दोस्तों जब कोई मंत्र या श्लोक को हम जपते है या गाते है और यदि उसके एक एक शब्द का हमें अर्थ पता हो तो उस रूप की महिमा हमारी आँखों के सामने उतर जाती है . आप सोच सकते है कि ऐसे में हमें उसका कितना ज्यादा फल मिलता है . 

इसलिए सुन्दरकाण्ड पढ़े या रामायण उसका हिंदी अर्थ भी हमें जरुर समझना चाहिए . 

पढ़े :- हनुमान जी के पुत्र मकरध्वज के जन्म की कथा

अतुलित बलधामं श्लोक 

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं, दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।

सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं, रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।

अतुलित बलधामं श्लोक हिंदी अर्थ और भावार्थ 

अतुलित बल धाम – ऐसा बल जिसकी कोई तुलना नही करे , वो बल जो द्रौण गिरी को हिमालय से लंका 3 घंटे में हवा में उड़ा कर ले आये | ऐसा बल जो पंचमुखी रूप धारण कर राम और लक्ष्मण के प्राणों पर आये संकट को दूर कर दे . 

हेमशैलाभदेहं – जिनका शरीर स्वर्णिम पर्वत के समान महा विशाल है | उनका रूप देखने वाले को हनुमान जी का शरीर एक सोने के पहाड़ सा लगे . 

दनुजवनकृशानुं – रावण की सेना में राक्षसों , दैत्यों के वन को आपने अग्नि बनकर स्वाहा कर दिया | यह प्रसंग हमने सुन्दरकाण्ड में देखा था कि कैसे एक वानर ने पूरी लंका में खलबली मचा दी थी . 

ज्ञानिनामग्रगण्यम्‌ – ज्ञानियों में आप अग्रगण्य है क्योकि आपको सबसे बड़े परमार्थ सुख “राम ” की ही लालसा रही है | इसी कारण आप अजर अमर है | आपने अपने बुद्धि बल से कई बार राम लक्ष्मण पर आये संकट हर लिए |

सुरसा को आपने जिस बुद्धि कर्म से परास्त किया वो आपके महाज्ञानी होने का घोतक है . 

हनुमान जी अतुलित बल धाम हेम शैलाभदेयम


सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं – सम्पूर्ण गुण आप में समाये हुए है और आप वानरों के स्वामी है |

रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि -श्री राम के प्रिय अर्थात रामेष्ट  और  वायु पुत्र हनुमान जी आपको और आपकी भक्ति को बारम्बार प्रणाम है |

हनुमान जी रूद्र के अंशावतार है जिनका जन्म ही राम कार्य को पूर्ण करने के लिए हुआ है | वह कार्य आज तक समाप्त नही हुआ और ना ही भविष्य में होगा | इसी कारण ये अष्ट चिरंजिवियो में से एक है | माता सीता से इन्होने वरदान प्राप्त किया है की प्रलय के अंत तक यह धरती पर रहकर श्री राम नाम का गुणगान करते रहेंगे |

अष्ट सिद्धि और नव निधि के दाता इन्हे गोस्वामी तुलसीदास जी की रामचरिमानस में बताया गया है | यह अष्ट सिद्धि सिर्फ दो ही देवताओ को प्राप्त है एक हनुमान जी और दुसरे गौरी सूत श्री गणेश जी |

सारांश 

  1. तो दोस्तों आपने जाना कि सुन्दरकाण्ड में आये हनुमान महिमा को बताने वाले दोहे अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृशानुं का हिंदी अर्थ और भावार्थ .  आशा करता हूँ कि आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी .

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