गणेश की कथा कहानी – कैलाश को लंका जाने से रोका

Ganesh Ravana Hindi Story . गणेश बुद्धि के महान देवता है | एक बार अपनी बुद्धि से उन्होंने रावण को अमर होने से ऐसे ही रोका था | आइये पढ़े गणेश और रावण की त्रेतायुगी कथा |

गणेश ने छला रावण को


जैसा की आप सभी भागवत प्रेमियो को पता है कि लंकापति रावण भगवान शिव का परम् भक्त था । भोलेनाथ की कृपा से ही वो इतना शक्तिशाली बना था । बलवान होने के साथ साथ वह महान पंडित और ज्ञानी भी था । उसने शिव तांडव स्त्रोत की रचना कुछ पलों में ही कर दी थी ।

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रावण भोलेनाथ को कैलाश से लंका ले जाना चाहता था

रावण को अपनी शिव भक्ति पर बहुत ज्यादा अंहकार था । वो चाहता था कि उसके आराध्य शिव उसके साथ ही लंका में रहे । उसने इसके लिए घोर तपस्या की | एक एक करके अपने दस बार शीश काट कर भोलेनाथ के चरणों में चढ़ाये | आखिर में शिवजी ने उन्हें दर्शन दिए और उससे प्रसन्न होकर वरदान मांगने को कहने लगे |

रावण ने शिव शंकर से विनती की , “प्रभु , आप शिवलिंग के रूप में मेरी लंका में विराजमान रहे ” |
भोलेनाथ अपने इस परम भक्त की इच्छा को टाल नही पाए और एक शिवलिंग को प्रकट कर दिए |

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रावण ने शिवलिंग को उठाया और लंका की तरफ जाने लगे ।

सभी देवी देवता भयभीत हो गए । वे सभी जानते थे की यदि शिव लंका में रहने लगे तो रावण अजेय हो जायेगा । कोई भी लंका को जीत नही पायेगा | जिस नगरी में शिव रूप में शिवलिंग स्थापित हो वो नगरी कैसे परास्त हो सकती है . 

तब देवताओ को श्री गणेश जी का ध्यान आया तो छोटे से बालक पर परम बुद्धिमानी थे . देवताओ को को विश्वास था कि गणेश जी रावण के मार्ग में विध्न डाल सकते है और उसके इरादों पर पानी फेर सकते है . 

देवताओ ने सारी बात गणेश जी को बता दी . 

बुध्दि के देवता गणेश ने निकाला हल


बुद्धि के देवता ने अपना रूप एक ग्वाले का किया और रावण के मार्ग में खड़े हो गए । उन्होंने अपनी माया से रावण को लघुशंका लगा दी । रावण से अब रुका नही जा रहा था । उसने सोचा क्यों ना इस ग्वाले के हाथों में इस शिवलिंग को रखकर लघुशंका से निवरत्त हो आये | गणेश जी तो चाहते ही थी की यह शिवलिंग कैसे ना कैसे लंका तक नही पहुंचे |

रावण और गणेश की कहानी -ग्वाला गौकर्ण शिवलिंग


रावण के जाते ही गणेश जी ने उस शिवलिंग को जमीन पर रख दिया | जब रावण फिर से आया तो उसने देखा की ग्वाला तो गायब है और शिवलिंग धरती पर रखा हुआ है |

रावण अत्यंत क्रोधित हुआ और पूरी शक्ति से उस शिवलिंग को उठाने लगा | पर वो उसे उठा नही सका |

इस तरह शिव की कृपा रूपी शिवलिंग लंका जाने से बच गया |

रावण ने क्रोध में दबा दिया शिवलिंग 

रावण पुरजोर बल लगाकर भी शिवलिंग को उठा नही पाया तो उसने अपने अंगूठे के जोर से शिवलिंग को दबा दिया , जिससे वो शिवलिंग आधा जमीन में धंस गया और उसके ऊपर का आकार भी बदल गया . अंगूठे के दवाब से उस पर एक गाय के कर्ण का निशान बन गया .

गोला गौकर्ण शिवलिंग


आज भी दिखाई देता है यह  शिवलिंग 

यह शिवलिंग आज भी आप देख सकते है . इसका नाम ग्वाला गोकर्णनाथ शिवलिंग है . यह शिवलिंग लखीमपुर खीरी के पास ही है . लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश में एक जिला है . यह नेपाल से जुड़ा हुआ है .

Conclusion (निष्कर्ष ) 

पौराणिक कहानी जिसमे आपने जाना कि बुद्धि के देवता श्री गणेश ने कैसे अपनी बुद्धि से रावण को ठग लिया और कैलाश को लंका जाने से रोका . 

आशा करता हूँ यह आर्टिकल आपको अच्छा लगा होगा . 

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