लाखो छिद्र वाला शिवलिंग लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर

Lakshmaneshwar Shivling Lakho Chodra . छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 120 किलोमीटर दूर और शिवरीनारायण से 3 किलोमीटर दूर खरौद में एक दुर्लभ शिवलिंग स्थापित है ! जिसे लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है ! यहा का शिवलिंग अन्य शिवलिंगों से अलग है और इसी कारण इस शिवलिंग के अन्य शिवलिंगों में अलग पहचान है |

laakho chidra wala shivling

➜ चमत्कारी मंदिर जहाँ दीपक की लौ से निकलती है केसर 

कैसे है यह शिवलिंग अन्य शिवलिंगों से अलग :

रामायण के समय के इस मंदिर में जो शिवलिंग है उसमे लाखो छिद्र है |

संस्कृत में लाख को लक्ष कहा जाता है अत: इस शिवलिंग का दूसरा नाम लक्षलिंग भी है | ऐसा शिवलिंग खरौद नगर के अलावा ओर कही नही है | कहते है इस शिवलिंग के लाखो छिद्र में से के छिद्र ऐसा भी है जो सीधे पाताल तक जाता है | इस पाताल जाने वाले छिद्र में कितना भी पानी डालो , पानी रुकने का नाम नही लेता |

Laakho Ched Wala Shivling

कैसे और किसने की इस शिवलिंग की स्थापना :

श्री राम और लक्ष्मण को रावण की हत्या करने पर ब्रह्म हत्या का पाप लग चूका था | इस पाप की मुक्ति के लिए रामेश्वर में शिवलिंग स्थापित करके पूजा करना चाहते है | लक्ष्मणजी को सभी प्रमुख तीर्थो से जल लाने का कार्य दिया जाता है | जब लक्ष्मण जी गुप्त तीर्थ शिवरीनारायण से जल लेकर लौटने लगते है तो वे बीमार हो जाते है | भाई राम के पास समय पर पहुँच जाये इसलिए वे शिवलिंग स्थापित करके शिवजी की पूजा करते है |

उनकी पूजा से प्रसन्न होकर शिवजी उन्हें दर्शन देते है और यह शिवलिंग लक्ष्मणेश्वर के नाम से शिव भक्तो में प्रसिद्द हो गया |

आप सभी जानते है कि लक्ष्मण शेषनाग का अवतार थे अत: नागेश्वर शिव के शिवलिंग की स्थापना दुनिया के सबसे बड़े नाग शेषनाग के द्वारा ही गयी थी अत: इसका कितना ज्यादा महत्व होगा आप समझे सकते है . 

बाद में राजा खड्गदेव ने पुनः इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था ! बताया जाता है की यह मंदिर छठी शताब्दी का बना हुआ है |

मंदिर के बाहर राजा खड्गदेव और उनकी धर्मपत्नी की हाथ जोड़े हुए मूर्ति है |

➜ चमत्कारी कुंड जहाँ ताली बजाने से पानी ऊपर उठने लगता है 

क्यों पड़ा इस जगह का नाम खरौद :

रामायण काल में श्री राम ने इस जगह दो राक्षस खर और दूषण का वध किया था , इसी कारण इस जगह को श्री राम की कीर्ति के रूप में खरौद कहा जाता है | यह नगर रामायणकालीन कई प्रसंगों का साक्षी रहा है अत: यहा अनेक प्राचीन मंदिर है . 

सावन मास में यहा भरता है मेला 

जब सावन का महिना शुरू होता है तो दूर दूर से शिव भक्त इस चमत्कारी और सर्वसिद्धि फल दायक मंदिर में शिव जी के दर्शन करने आते है . यहा हर सावन के महीने में मेला भरता है .

विशेष परम्परा

इस मंदिर को लेकर एक विशेष परम्परा है . कहते है की जो भक्त यहा लाखो चावल के दाने एक कपडे की थैली में डालकर  चढ़ाता है , उसकी सभी मनोकामनाए शिव जी पूरी करते है . 

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सारांश 

  1. रामायणकालीन वो शिवलिंग जिसमे है लाखो छिद्र और दूर से देखने पर इसकी आकृति एक बहुत सारे पहाड़ो और घाटियों की झलक दिखाती है . इस लक्षछिद्र शिवलिंग को स्वयं राम जी के भाई लक्ष्मण जी ने स्थापित किया था जो स्वयं शेष नाग का अवतार थे . आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी .  

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