दुर्गा सप्तशती अध्याय 12 -देवी माँ के पाठ का महात्मन 

Durga Saptshati Adhyay 12  . Durga Saptshati Paath Mahatmn .  माँ दुर्गा की महिमा बताने वाला पाठ दुर्गा सप्तशती 13 अध्यायों में है . इसमे 12 वा अध्याय हमें बताता है दुर्गा सप्तशती पाठ के द्वारा जब माँ कात्यायनी की महिमा और उनकी शक्तियों को जानते है तो इससे माँ की असीम कृपा हम पर पड़ती है . 

दुर्गा सप्तशती अध्याय 12


अनेक कन्याओ से घिरी तीन आँखों वाली सिंह पर सवार माँ दुर्गा का ध्यान करना शक्ति प्रदान करता है . उनके शरीर के अंगो से जो प्रभा निकलती है वो  बिजली के समान है . 

शुम्भ और निशुम्भ का वध दुर्गा द्वारा 

आठ भुजाओ वाली माँ के हाथो में त्रिशूल , खडग , तलवार , धनुष , पाश आदि अस्त्र शस्त्र सोभित है . 

देवी देवताओ को बताती है जो मन की आँखों से इस तरह नित्य रोज माँ के दर्शन करता है उसके सारे कष्टों को माँ दूर कर देती है . 

माँ कात्यायनी कहती है कि जो मेरे इस दुर्गा सप्तशती के पाठो के माध्यम से धूम्रविलोचन वध , चंड मुंड वध , रक्तबीज और महिषासुर वध की कथाओं का पान करेगा उस पर मेरी विशेष कृपा रहेगी . 

यह पाठ पथ अष्टमी , नवमी और चतुर्दशी को जो मन से करेगा उसे अधिकतम फल प्राप्त होगा . 

जो यह पाठ करेंगे वो बीमारियों दुखो से दूर रहेंगे . 

यह कह कर देवी अंतर्धान हो गयी और सभी देवता निर्भय होकर अपने अपने कार्यो में लग गये . 

जो दैत्य युद्ध में बच गये थे वे पाताल लोक में जाकर छिप गये . 

इस तरह समय समय पर देवी माँ अवतार लेकर इस जगत से बुराइयों का पतन करती है . 

महाप्रलय के कारण वो महामारी का रूप धारण कर करके प्रलय भी ला देती है . 

वे ही अजन्मा होकर बार बार फिर से विश्व में जीवन का संचार करती है . 

सारांश 

  1. तो दोस्तों दुर्गा सप्तशती अध्याय 12 से आपने जाना कि देवी चरित्र दुर्गा सप्तशती पढने का क्या महात्मन है और कैसे हम इस पाठ से फल प्राप्त कर सकते है . आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी. 

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