भगवान चित्रगुप्त की पूजा विधि

Chitragupt Puja Vidhi . चित्रगुप्त धर्मराज यमराज के सहायक देवता है जो अपने दरबार में मनुष्यों के पाप-पुण्य का लेखा-जोखा रखते थे | भगवान चित्रगुप्त का जन्म ब्रह्माजी के अंश से हुआ है. हम सभी जानते है कि व्यक्ति की उम्र पूरी हो जाने पर उसे यमराज के दूत लेकर जाते है . चित्रगुप्त जी अपने बही खाते में देखकर यह बताते है कि उस व्यक्ति के कर्म कैसे थे और वो स्वर्ग या नर्क में कहाँ जायेगा . 

चित्रगुप्त यमराज के सहयोगी है जो जीव आत्मा के कर्मो का लेखा जोखा बहियों में रख कर रखते है और उसके आधार पर उसकी आत्मा को आगे की यात्रा करनी पड़ती है  

चित्रगुप्त पूजा विधि


कैसे हुआ चित्रगुप्त का जन्म

चित्रगुप्त के जन्म की कथा काफी रोचक है। जब यमराज ने अपने सहयोगी की मांग की, तो ब्रह्मा ध्यान में चले गए। उनकी एक हजार वर्ष की तपस्या के बाद एक पुरूष उत्पन्न हुआ। इस पुरूष का जन्म ब्रह्मा जी की काया से हुआ था। इसलिए ये कायस्थ कहलाये और इनका नाम चित्रगुप्त पड़ा।

चित्रगुप्त जन्मोत्सव

वैशाख शुक्ल सप्तमी के दिन ही चैत्रगुप्त जी का जन्मोत्सव मनाया जाता है . दिवाली के बाद भाई दूज दिन के साथ साथ चित्रगुप्त भगवान की भी पूजा की जाती है . व्यापारी वर्ग नए बहियों पर ‘श्री’ लिखकर कार्य प्रारंभ करते है . कायस्थ समाज चित्रगुप्त की पूजा करते है . हम सभी जानते है कि चित्रगुप्त मुख्य रूप से लिखने वाले देवता है और उनकी कलम लगातार चलती रहती है .

अत: इनकी पूजा में मुख्य रूप से कलम की पूजा अर्चना की जाती है . कलम को चित्रगुप्त भगवान मानकर पूजा जाता है .

चित्रगुप्त कौन है


– घर में पूजा स्थान को अच्छे से साफ कर के एक चोकी पर कपड़ा बिछा कर भगवान चित्रगुप्त जी की फोटो रखें.

– अब चोकी पर घी का दीपक जला कर पंचोपचार पूजन करे .

– भगवान चित्रगुप्त की आरती और चालिसा का पाठ करे .

– अब परिवार के सभी सदस्य अपनी किताब, कलम की पूजा कर चित्रगुप्त जी के सामने रख दें.

– इसके बाद पहले पन्ने पर रोली से स्वस्तिक बना कर उस पर पुष्प और अक्षत चढ़ाये .

कायस्थ समाज के इष्ट देव है चित्रगुप्त 

भारत में कायस्थ समाज के इष्ट देव है भगवान चित्रगुप्त और इसी कारण इनकी सबसे ज्यादा पूजा अर्चना कायस्थ समाज के लोग ही करते है . इसका कारण भी इनके जन्म से जुड़ा हुआ है . 

जब ब्रह्मा जी से  यमराज ने अपने सहयोगी की मांग कि तो ब्रह्मा जी की काया से एक बालक का जन्म हुआ और उसका नाम कायस्थ रखा गया . यही कायस्थ फिर चित्रगुप्त कहलाया और जन्म मरण के लेखो का हिसाब यमराज के सहयोगी के रूप में रखने लगा . इसी कारण ये कायस्थ समाज के इष्ट देवता बने .  

सारांश 

  1.  कब किया जाता है यमराज के बहीखाते को सँभालने वाले चित्रगुप्त जी की पूजा अर्चना . क्यों भाई दूज से जुडी है चित्रगुप्त जी की पूजा .  आशा करता हूँ कि आपको यह आर्टिकल जरुर पसंद आया होगा .

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