कौन है भगवान दत्तात्रेय

Who is Dattatrey . भगवान दत्तात्रेय गुरु वंश के प्रथम गुरु , साधना करने वाले और योगी थे । त्रिदेवो की शक्ति इनमे समाहित थी | शैव मत वाले इन्हे शिवजी का अवतार तो वैष्णव मत वाले इन्हे विष्णु का अवतार बताते है |

koun hai dattatrey


अलग अलग धर्म ग्रंथो में इनकी अलग अलग पहचान बताई गयी है | इन्हे ब्रह्मा, विष्णु और महेश के सम्मिलित अवतार के रूप में बताया गया हैं। कही इन्हे ब्रह्माजी के मानस पुत्र ऋषि अत्रि और अनुसूइया का पुत्र बताया गया हैं | इनके भाई चन्द्र देवता और ऋषि दुर्वासा है | कही यह भी भी उल्लेख मिलता है की यह विष्णु के अंश अवतार थे | इन्होने जीवन में गुरु की महत्ता को बताया है | गुरु बिना न ज्ञान मिल सकता है ना ही भगवान | हजारो सालो तक घोर तपस्या करके इन्होने परम ज्ञान की प्राप्ति की और वही ज्ञान अपने शिष्यों में बाँटकर इसी परम्परा को आगे बढाया |

गुरु दत्तात्रेय ने हर छोटी बड़ी चीज से ज्ञान प्राप्त किया | इन्होने अपने जीवन में मुख्यत 24 गुरु बनाये जो कीट पतंग जानवर इंसान आदि थे | माउन्ट आबू के गुरु शिखर पर्वत को दत्तात्रेय की तपोभूमि के रूप में जाना जाता है जहा आज भी पहाड़ की ऊंचाई पर इनका मंदिर स्थापित है |

Dattatrey Bhagwaan


दत्तात्रेय का रूप : 

इनके रूप की बात करे तो इनकी फोटो और मूर्ति में तीन मुख और छ हाथ दिखाई देते है . कहते है कि ये तीन मुख्य ब्रह्मा विष्णु और महेश के ही घोतक है . 

दत्तात्रेय के जन्म की कथा : 


तीनो महादेवियो (सावित्री , लक्ष्मी और पार्वती ) को नारद के भड़काने पर देवी अनसूया के पतिव्रत धर्म व गुणों से जलन होने लगी . तीनो ने अनसूया की परीक्षा के लिए अपने अपने पतियों को एक साथ उसके पास भेजा .

तीनो देवता साधू का वेश धारण कर भिक्षा मांगने अनसूया के आश्रम आये और भिक्षा मांगने लगे . देवी अनसूया ने अपने तपोबल से उन्हें पहचान लिया . तीनो साधू ने भिक्षा के लिए एक शर्त रखी कि वो देवी पूर्ण नग्न होकर उन्हें भिक्षा दे तभी वो भिक्षा को स्वीकार करेंगे .

देवी ने भी अपनी बुद्धिता का प्रयोग कर अपने तपोबल से उन्हें छोटे छोटे नवजात शिशु में बदल दिया और उन्हें नग्न होकर उन्हें अपना दूध पिलाने लगी . 

तीनो बच्चो की शक्ति समाहित होकर एक नव शिशु का जन्म हुआ जो दत्तात्रेय कहलाया . तीनो देवता अनसूया से प्रसन्न होकर उन्हें अपने अपने धाम चले गये . इस तरह इस कहानी से पता चलता है कि किस तरह दत्तात्रेय का जन्म हुआ और क्यों उनमे शिव , विष्णु और ब्रह्मा जी का अंश है . 

दत्तात्रेय जयन्ती :

मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है। इस साल 2023 में यह 26 दिसम्बर को मनाई जा रही है |शास्त्रानुसार इस तिथि को भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था ।

दत्तात्रेय के 24 गुरु :

इन्होने पृथ्वी को परोपकार की भावना से , कबूतर , पिंगला वेश्या , भौरा , सागर, वायु , सूर्य , पतंगा , बालक , आग , चाँद , आकाश , अजगर , साँप , कीड़ा , जल , मधुमक्की , कुरर पक्षी , मकड़ी , हिरण , हाथी , मछली ,तीर बनाने वाला और कुवारी कन्या को अपना गुरु बनाया |

दत्तात्रेय चरण पादुका 

ऐसा माना जाता था कि गूर दत्तात्रेय हर दिन काशी के मणिकर्णिका घाट पर जाकर गंगा जी में स्नान किया करते थे , वहां इनके चरण पादुका के चिन्ह भी है जहाँ लोग आकर माथा टेकते है .

इसके अलावा कर्नाटक के बेलगाम में भी इनके पादुका के निशान है जहाँ भक्त आकर इनकी गुरु रूप में पूजा करते है . 

सारांश 

  1. कौन है दत्तात्रेय भगवान . क्या है इनके जन्म की कहानी . क्यों गुरु दत्तात्रेय को तीन देवो (ब्रह्मा , विष्णु और महेश ) का अंशावतार कहा जाता है .  आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी. 

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