लक्ष्मी जी की आरती और चालीसा पाठ हिंदी में 


Lakshmi Ji Aarti Aur Chalisa . धन की देवी लक्ष्मी जी की पूजा के लिए दीपावली और शरद पूर्णिमा की रात मुख्य मानी जाती है . कहते है इस रात को लक्ष्मी जी अपनी सवारी उल्लू पर बैठकर धरती पर आती है और देखती है कि कौन कौन उनकी भक्ति में लीन है

माँ लक्ष्मी धन की देवी है और जिन पर उनकी कृपा हो उन्हें धन की कभी कमी नही होती है .

लक्ष्मी चालीसा पाठ

दीपावली पर लक्ष्मी को प्रसन्न करने के 51 उपाय

॥ श्री लक्ष्मी जी आरती हिंदी लिरिक्स  ॥

ॐ जय लक्ष्मी माता

मैया जय लक्ष्मी माता | 

तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥ 

ॐ जय लक्ष्मी माता.... 

 उमा ,रमा,ब्रम्हाणी, तुम जग की माता | 

सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥ 

.ॐ जय लक्ष्मी माता.... 

दुर्गारुप निरंजन, सुख संपत्ति दाता | 

 जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि सिद्धी धन पाता ॥ 

ॐ जय लक्ष्मी माता.... 

तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता | 

कर्मप्रभाव प्रकाशनी, भवनिधि की त्राता ॥ 

ॐ जय लक्ष्मी माता.... 

 जिस घर तुम रहती हो , ताँहि में हैं सद् गुण आता | 

सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥ 

ॐ जय लक्ष्मी माता.... 

तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता |

 खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥ 

ॐ जय लक्ष्मी माता.... 

शुभ गुण मंदिर सुंदर क्षीरनिधि जाता | 

रत्न चतुर्दश तुम बिन ,कोई नहीं पाता ॥ 

ॐ जय लक्ष्मी माता.... 

 महालक्ष्मी जी की आरती ,जो कोई नर गाता | 

उँर आंनद समाता,पाप उतर जाता ॥

 ॐ जय लक्ष्मी माता.... 

स्थिर चर जगत बचावै ,कर्म प्रेर ल्याता | 

 रामप्रताप मैया जी की शुभ दृष्टि पाता ॥

 ॐ जय लक्ष्मी माता.... 

ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता | 

तुमको निसदिन सेवत, 

हर विष्णु विधाता ॥ 

ॐ जय लक्ष्मी माता...

महालक्ष्मी जी का एक ऐसा मंदिर, जहां प्रसाद के रूप में मिलते हैं सोने चांदी

॥ श्री लक्ष्मी चालीसा पाठ हिंदी में ॥

॥ दोहा ॥

मातु लक्ष्मी करी कृपा , करो ह्रदय मई वास
मनोकामना सिद्ध करी , पुरवहु मेरी आस

Goddess Lakshmi Chalisa
॥ चौपाई ॥

सिन्धु सुता मैं सुमिरौ तोही । ज्ञान बुद्घि विघा दो मोही ॥
तुम समान नहिं कोई उपकारी । सब विधि पुरवहु आस हमारी ॥
जय जय जगत जननि जगदम्बा । सबकी तुम ही हो अवलम्बा ॥
तुम ही हो सब घट घट वासी । विनती यही हमारी खासी ॥
जगजननी जय सिन्धु कुमारी । दीनन की तुम हो हितकारी ॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी । कृपा करौ जग जननि भवानी ॥
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी ॥
कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी । जगजननी विनती सुन मोरी ॥

ज्ञान बुद्घि जय सुख की दाता । संकट हरो हमारी माता ॥
क्षीरसिन्धु जब विष्णु मथायो । चौदह रत्न सिन्धु में पायो ॥
चौदह रत्न में तुम सुखरासी । सेवा कियो प्रभु बनि दासी ॥
जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा । रुप बदल तहं सेवा कीन्हा ॥
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा । लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा ॥
तब तुम प्रगट जनकपुर माहीं । सेवा कियो हृदय पुलकाहीं ॥
अपनाया तोहि अन्तर्यामी । विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी ॥
तुम सम प्रबल शक्ति नहीं आनी । कहं लौ महिमा कहौं बखानी ॥
मन क्रम वचन करै सेवकाई । मन इच्छित वांछित फल पाई ॥
तजि छल कपट और चतुराई । पूजहिं विविध भांति मनलाई ॥
और हाल मैं कहौं बुझाई । जो यह पाठ करै मन लाई ॥
ताको कोई कष्ट न होई । मन इच्छित पावै फल सोई ॥
त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि । त्रिविध ताप भव बंधन हारिणी ॥
जो चालीसा पढ़ै पढ़ावै । ध्यान लगाकर सुनै सुनावै ॥
ताकौ कोई न रोग सतावै । पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै ॥
पुत्रहीन अरु संपति हीना । अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना ॥
विप्र बोलाय कै पाठ करावै । शंका दिल में कभी न लावै ॥
पाठ करावै दिन चालीसा । ता पर कृपा करैं गौरीसा ॥

सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै । कमी नहीं काहू की आवै ॥
बारह मास करै जो पूजा । तेहि सम धन्य और नहिं दूजा ॥
प्रतिदिन पाठ करै मन माही । उन सम कोइ जग में कहुं नाहीं ॥
बहुविधि क्या मैं करौं बड़ाई । लेय परीक्षा ध्यान लगाई ॥
करि विश्वास करै व्रत नेमा । होय सिद्घ उपजै उर प्रेमा ॥
जय जय जय लक्ष्मी भवानी । सब में व्यापित हो गुण खानी ॥
तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं । तुम सम कोउ दयालु कहुं नाहिं ॥
मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै । संकट काटि भक्ति मोहि दीजै ॥
भूल चूक करि क्षमा हमारी । दर्शन दजै दशा निहारी ॥
बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी । तुमहि अछत दुःख सहते भारी ॥
नहिं मोहिं ज्ञान बुद्घि है तन में । सब जानत हो अपने मन में ॥
रुप चतुर्भुज करके धारण । कष्ट मोर अब करहु निवारण ॥
केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई । ज्ञान बुद्घि मोहि नहिं अधिकाई ॥

॥ दोहा ॥

त्राहि त्राहि दुख हारिणी, हरो वेगि सब त्रास । जयति जयति जय लक्ष्मी, करो शत्रु को नाश ॥ रामदास धरि ध्यान नित, विनय करत कर जोर । मातु लक्ष्मी दास पर, करहु दया की कोर ॥

कनकधारा स्त्रोत का पाठ इस विधि से करे , माँ लक्ष्मी भर देगी तिजोरियां

सारांश 

  1. यहा आप पाएंगे लक्ष्मी जी की आरती और चालीसा का हिंदी पाठ पूर्ण लिरिक्स के रूप में जिसे आप लक्ष्मी जी भक्ति पूजा में काम में ले सकते है . आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी. 


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