अलोपी शक्तिपीठ देवी माँ का अनोखा मंदिर , जहाँ ना कोई मूर्ति ना ही कोई फोटो 

Alopi Shakipeeh Hindi Rochak Baate  . यहा गिरी थी सती की कलाई और हो गयी थी गायब | मूर्ति की नही पालने की होती है पूजा |

आप सभी जानते है की शक्तिपीठो का निर्माण वही हुआ है जहाँ माँ सती के जलते हुए अंग गिरे थे , जहाँ जैसा अंग गिरा वहा उसी के अनुसार शक्तिपीठ बन गया .

alopi shaktipeeth ki kahani


आज हम ऐसे ही एक शक्तिपीठ की बात बताने वाले है जहाँ किसी मूर्ति की पूजा नही होती है . नाम ही है अलोपी . 

अलोपी देवी के मंदिर में ना कोई प्रतिमा है , ना ही कोई मूर्ति और ना ही कोइ यन्त्र बस है तो एक पालना जिसके ऊपर लाल रंग का कपड़ा बिछा हुआ है | पौराणिक कथाओ के अनुसार यहा माँ सती के दाए हाथ की कलाई गिरी थी | मंदिर परिसर में एक पवित्र कुंड है जिसमे चमत्कारी जल पाया जाता है | इसमे स्नान करने का धार्मिक महत्व है .

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कहाँ है अलोपी शक्तिपीठ 

अलोपी देवी मंदिर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में प्रयागराज के अलोपीबाग में स्थित एक मंदिर है ।  यह पवित्र  संगम तट  के निकट है, जहाँ गंगा , यमुना और अप्रत्यक्ष सरस्वती नदियाँ मिलती हैं। कुम्भ मेला इस स्थान के नजदीक भरता है . अत: कुम्भ के दिनों में यहा अपार भक्तो की भीड़ आती है . 

अलोपी शक्तिपीठ


यहा कलाई पर बांधा रक्षा सूत्र करता है रक्षा :

आस्था से पूर्ण इस मंदिर की अनोखी मान्यता है, इस मंदिर प्रांगण में भक्तो के कलाई पर बांधा धागा बहुत शक्तिशाली समझा जाता है | ऐसी मान्यता है की इस रक्षा सूत्र को धारण करने वाले को माँ नकारात्मक उर्जा से रक्षा प्रदान करती है |

अलोपी शंकर के नाम से प्रसिद्ध है मंदिर :

यह सती माता का मंदिर अलोपी शंकर के नाम से प्रसिद्ध है | अलोपी का अर्थ जो अलोप हो गयी | इस जगह माँ सती के दाई कलाई गिरी थी और फिर गायब हो गयी थी इसलिए इसका नाम अलोपी पड़ा | शंकर भगवान शिव है अत: दोनों शब्द मिलाके मंदिर कहलाया अलोपी शंकर |

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