भैरव जी के सभी रूप


Bhairav Ji Ke Sabhi Roop in Hindi

भैरव के कई रूप है कुछ इसे कुछ 12 तो कोई आठ और कुछ 9 रूप बताते है | यह जो नौवा रूप है वो भविष्य भैरव का बताया गया है जिससे गुप्त भैरव के नाम से भी जाना जाता है | यह भैरव भविष्य में आने वाली मुसीबतों को ख़त्म करने वाले है |

भैरव जी के सभी रूप कौनसे है


जो भैरव के 12 स्वरुप बताते है उनमे से दो सौम्य , एक तामस , एक महाकाल और अन्य 8 रूप राजस है |
इसके अलावा अन्य भैरव रूप निम्न है :

तंत्रशास्त्र में राजस अष्ट-भैरव का उल्लेख है जो निम्न है – असितांग , रुरु , चंड , क्रोध, उन्मत्त, कपाली , भीषण और संहार-भैरव ।



यह आठ भैरव आठ दिशाओ का प्रतिनिधित्व करते है | हर दिशा में भैरव के निचे आठ और भैरव होते है अर्थात 8 *8 =64 भैरव | यह सभी काल भैरव के प्रतिनिधित्व में है |

बटुक और बाल भैरव (Batuk Baal Bhairav) :

यह दोनों रूप ही सौम्य है | इन्हे गृहस्ती वाले भी पूजते है | बाल भैरव का रूप छ –सात वर्ष के बालक का है तथा बटुक भैरव रूप पंद्रह सौलह साल के किशोर का है |

बटुक भैरव जी का रूप


स्वर्णाकर्षण भैरव (Swarnakashan Bhairav) :

इसमे भैरव पूर्ण श्रृंगार में दिखते है | इस रूप में उनके हाथ में बह्रमा का कटा शीश और डमरू नही है | सिर पर स्वर्ण मुकुट और शरीर पर विभिन्न आभूषण शोभायमान है | यह पालन पोषण करने वाले भैरव है | धन भैरव और लौकिक सुख प्रदान करने वाले भैरव है |

महाकाल भैरव (Mahakaal Bhairav ):

शिव के महाकाल रूप की तरह ही यह भैरव महाकाल के नाम से जाने जाते है | ये काल और यमराज को नियंत्रित करते है | इन्हे काल भैरव के नाम से भी जाना जाता है | इस रूप में इनके चार हाथ है जिनमे त्रिशूल , डमरू ,खप्पर और बह्रमा जी का कटा पांचवा शीश है |

रोद्र एवं भयंकर भैरव (Rodra Bhayankar Bhairav ):

खून से रंगे हुए , ज्वालामुखी की आग जैसे धधकते हुए नरमुंड माला धारी यह भैरव शमशान वासी है , बहुत ही उग्र है | यह रात को जलती हुई चिताओ में योगिनियो के साथ नाचा करते है | तांत्रिक और अघोरी शमशान में ही रात्रि में इनकी साधना करते है |

भयंकर भैरव जी


इन्हे शराब , मांस , मुर्गा और कटहल की  बलि दी जाती है |


सारांश 

  1. तो मित्रो इस पोस्ट में आपने तामसिक देवता श्री भैरव जी के सभी रूपों के बारे में जाना और उनमे अंतर भी जाना . आशा करता हूँ कि अब आप इन सभी में अंतर जान गये होंगे . सभी में से सबसे सौम्य रूप बटुक भैरव जी का है और सबसे विध्वंश रूप भयंकर भैरव जी का . 

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