भगवान और उनके अर्पण करने वाले पुष्प

Kis Devi Devta Ko Kounsa Phool Chadhana Chahiye . 

पुष्प ईश्वर को पूजा में चढ़ाये जाते है | पुष्प सुगंध और सुन्दरता का प्रतीक है | हर देवी देवताओ को अलग अलग उनके अनुसार पुष्प अर्पण किये जाते है | यहा हम जानेंगे कि किस देवी देवता की पूजा में कौनसे फूलो को काम में लेना चाहिए जिससे वे प्रसन्न होते है . 

kis devta ko kounse phool chadhane chahiye

पूजा में काम लिए जाने वाले 5 शुभ फुल कौनसे है

किस देवी देवता को कौनसा पुष्प चढ़ाये

माँ काली – इनको अड़हुल का पुष्प अति प्रिय है। कहते है 108 लाल अड़हुल के फूल अर्पित करने से माँ प्रसन्न होकर भक्तो की मुरादे पुरी करती है |

भगवान श्रीगणेश- इन्हे कोई भी पुष्प अर्पित कर सकते है | इनसे सबसे प्रिय तीन या पञ्च पत्ती वाली दूर्वा है | इन्हे कभी भी तुलसी के पत्ते ना चढ़ाये |

भगवान शिव- भगवान शंकर को धतूरे के फूल, हरसिंगार, व नागकेसर के सफेद पुष्प, सूखे कमल गट्टे, कनेर, कुसुम, आक, कुश आदि के फूल चढ़ाने का विधान है। इन्हे कभी भी केवड़े के पुष्प ना चढ़ाये ।

माँ दुर्गा- इनको लाल गुलाब के पुष्प से पूजा कारण सर्वश्रेष्ठ है।

हनुमान जी- इनको लाल पुष्प जैसे लाल गुलाब , गेंदा बहुत प्रिय है। चमेली का तेल भी इन्हे जल्द प्रसन्न करता है |

शनि देव-  भगवान शनि देव को  गहरे रंग के पुष्प चढाने चाहिए | नीले लाजवंती के पुष्प इन्हे प्रिय है |

भगवान विष्णु- इन्हें कमल, मौलसिरी, जूही, कदम्ब, केवड़ा, चमेली, अशोक, मालती, वासंती, चंपा, वैजयंती के पुष्प विशेष प्रिय हैं। विष्णु भगवान तुलसी पत्तो से अति शीघ्र प्रसन्न होते है ।

माँ सरस्वती- विद्यादायिनी माँ सरस्वती को श्वेत पर पीले पुष्प अति प्रिय है | इन्हे सफेद गुलाब, सफेद कनेर या पीले

भगवान श्रीकृष्ण- चणक, मालती, कुमुद, करवरी, पलाश व वनमाला के फूल कृष्णा को प्रसन्न करते है ।

भगवती गौरी पार्वती – शिवप्रिया को बेला, सफेद कमल, पलाश, चंपा के फूल के अलावा शिवजी को प्रसन्न करने वाले पुष्प अति प्रिय है ।

विष्णुप्रिया लक्ष्मीजी मां लक्ष्मी को पीला पुष्प , श्वेत कमल और लाल गुलाब बहूत प्रसन्न करते है |

अर्पण करने वाले पुष्पों से जुडी मुख्य बाते :

भगवान की पूजा कभी भी सूखे बासी और मुरझाये हुए फूलों से न करें।

कहते है की कमल का पुष्प 10 से 15 दिन तक बासी नहीं माना जाता है अत इसे इस काल अवधि से पूर्व पूजन में काम ले सकते है |

सिर्फ पुष्पों में चंपा की कली ही देवी देवताओ को अर्पित कर सकते है , इसके अलावा को कोई कली अर्पण ना करे |

पुष्पों को दोनों हाथो से विन्रम रूप से उन्हें अर्पण करे | पुष्प शुद्ध और आप भी शुद्ध रूप में रहे |

तुलसी के पत्तों को 11 दिनों तक बासी नहीं माना जाता है। इसकी पत्तियों पर हर रोज जल छिड़कर पुन: भगवान को अर्पित किया जा सकता है।

शास्त्रों के अनुसार शिवजी को प्रिय बिल्व पत्र छह माह तक बासी नहीं माने जाते हैं। अत: इन्हें जल छिड़क कर पुन: शिवलिंग पर अर्पित किया जा सकता है।

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