हिन्दू धर्म में 10 सबसे पवित्र और पूजनीय वृक्ष

हिंदू धर्म का वृक्ष से गहरा नाता है। वृक्ष की रक्षा के लिए कई लोगो ने अपनी जान तक दी है | ये पेड़ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में सदियों से मनुष्यों को अन्न फल फुल लकड़ी और शरण देते आये है |

हिन्दू धर्म में पवित्र पेड़ कौनसे है


शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति एक पीपल, एक नीम, दस इमली, तीन कैथ, तीन बेल, तीन आंवला और पांच आम के वृक्ष लगाता है, वह पुण्यात्मा होता है और कभी नरक के दर्शन नहीं करता। इसी तरह धर्म शास्त्रों में सभी तरह से वृक्ष सहित प्रकृति के सभी तत्वों के महत्व की विवेचना की गई है।

यहां प्रस्तुत है ऐसे दस वृक्ष जिनकी रक्षा करना हर हिंदू का कर्तव्य है और इनको घर के आसपास लगाने से सुख, शांति और समृद्धि की अनुभूति होती है। किसी भी प्रकार का रोग और शोक नहीं होता। यह सकारात्मक उर्जा को बढ़ाने वाले पेड़ है |

1 पीपल का पेड़ : हिंदू धर्म में पीपल की पूजा का महत्व है। संस्कृत में इसे प्लक्ष भी कहा गया है। इसमे तीन देवताओ ब्रह्मा विष्णु महेश का वास बताया गया है | सुबह से शाम तक इसने धन की देवी लक्ष्मी का वास होता है | अमावस्या पर इसमे पितरो के लिए पूजा जाता है | पीपल के वृक्ष में जड़ से लेकर पत्तियों तक 33 कोटि देवताओं का वास होता है और इसलिए पीपल का वृक्ष प्रात: पूजनीय माना गया है। औषधीय गुणों के कारण पीपल के वृक्ष को ‘कल्पवृक्ष’ की संज्ञा दी गई है। उक्त वृक्ष में जल अर्पण करने से रोग और शोक मिट जाते हैं। यह एकमात्र ऐसा पेड़ है जो पुरे दिन रात ऑक्सीजन देता है |

2 बरगद या वटवृक्ष : बरगद को वटवृक्ष कहा जाता है। हिंदू धर्म में वट सावत्री व्रत एक त्योहार पूरी तरह से वट को ही समर्पित है। पीपल के बाद बरगद का सबसे ज्यादा महत्व है। इन दोनों पेड़ो में ही त्रिदेवो का वास है ।

पांच वट वृक्ष

हिंदू धर्मानुसार पांच वटवृक्षों बताये गये है । अक्षयवट, पंचवट, वंशीवट, गयावट और सिद्धवट के बारे में कहा जाता है कि इनकी प्राचीनता के बारे में कोई नहीं जानता। संसार में उक्त पांच वटों को पवित्र वट की श्रेणी में रखा गया है। तीर्थराज प्रयाग में अक्षयवट, नासिक में पंचवट, वृंदावन में वंशीवट, बिहार के गया तीर्थ में गयावट और उज्जैन में पवित्र सिद्धवट है।

3 आम है खास : हिंदू धर्म में जब भी कोई मांगलिक कार्य होते हैं तो घर या पूजा स्थल के द्वार व दीवारों पर आम के पत्तों की लड़ लगाकर मांगलिक उत्सव के माहौल को धार्मिक और वातावरण को शुद्ध किया जाता है। अक्सर धार्मिक पंडाल और मंडपों में सजावट के लिए आम के पत्तों का इस्तेमाल किया जाता है।

4 शमी  वृक्ष 

वराहमिहिर के अनुसार जिस साल शमीवृक्ष ज्यादा फूलता-फलता है उस साल सूखे की स्थिति का निर्माण होता है। विजयादशमी के दिन शमी पूजा करने का एक तात्पर्य यह भी है कि यह वृक्ष आने वाली कृषि विपत्ती का पहले से संकेत दे देता है | पांडवो ने इसी पेड़ के ऊपर अपने शस्त्र छिपाए थे और फिर इसी वृक्ष की पूजा करने विजय प्राप्त की थी |

5 बिल्व वृक्ष : बिल्व अथवा बेल (बिल्ला) विश्व के कई हिस्सों में पाया जाने वाला वृक्ष है। भारत में इस वृक्ष का पीपल, नीम, आम, पारिजात और पलाश आदि वृक्षों के समान ही बहुत अधिक सम्मान है। हिन्दू धर्म में बिल्व वृक्ष भगवान शिव की आराधना का मुख्य अंग है। इसमे मुख्य तीन पत्ती पाई जाती है | पर यदि किसी को पांच पत्ती , सात पट्टी बेल पत्र मिले तो यह शिव कृपा प्राप्त होने का संकेत है |

धार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण होने के कारण इसे मंदिरों के पास लगाया जाता है। बिल्व वृक्ष की तासीर बहुत शीतल होती है।

बेल वृक्ष की उत्पत्ति के संबंध में ‘स्कंदपुराण’ में कहा गया है कि एक बार देवी पार्वती ने अपनी ललाट से पसीना पोछकर फेंका, जिसकी कुछ बूंदें मंदार पर्वत पर गिरीं, जिससे बेल वृक्ष उत्पन्न हुआ। इस वृक्ष की जड़ों में गिरिजा, तना में महेश्वरी, शाखाओं में दक्षयायनी, पत्तियों में पार्वती, फूलों में गौरी और फलों में कात्यायनी वास करती हैं।

कहा जाता है कि बेल वृक्ष के कांटों में भी कई शक्तियाँ समाहित हैं। यह माना जाता है कि देवी महालक्ष्मी का भी बेल वृक्ष में वास है। जो व्यक्ति शिव-पार्वती की पूजा बेलपत्र अर्पित कर करते हैं, उन्हें महादेव और देवी पार्वती दोनों का आशीर्वाद मिलता है।

6 अशोक वृक्ष : अशोक वृक्ष को हिन्दू धर्म में बहुत ही पवित्र और लाभकारी माना गया है। अशोक का शब्दिक अर्थ होता है- किसी भी प्रकार का शोक न होना। मांगलिक एवं धार्मिक कार्यों में अशोक के पत्तों का प्रयोग किया जाता है।

माना जाता है कि अशोक वृक्ष घर में लगाने से या इसकी जड़ को शुभ मुहूर्त में धारण करने से मनुष्य को सभी शोकों से मुक्ति मिल जाती है। अशोक का वृक्ष घर में उत्तर दिशा में लगाना चाहिए जिससे गृह में सकारात्मक ऊर्जा का संचारण बना रहता है। घर में अशोक के वृक्ष होने से सुख, शांति एवं समृद्धि बनी रहती है एवं अकाल मृत्यु नहीं होती।

7 नारियल का वृक्ष : हिन्दू धर्म में नारियल के बगैर तो कोई मंगल कार्य संपन्न होता ही नहीं।

पूजा के दौरान कलश में पानी भरकर उसके ऊपर नारियल रखा जाता है। यह मंगल प्रतीक है। नारियल का प्रसाद भगवान को चढ़ाया जाता है।

पेड़ का प्रत्येक भाग किसी न किसी काम में आता है। ये भाग किसानों के लिए बड़े उपयोगी सिद्ध हुए हैं।

8 अनार : अनार के वृक्ष से जहां सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता हैं वहीं इस वृक्ष के कई औषधीय गुण भी हैं। पूजा के दौरान पंच फलों में अनार की गिनती की जाती है।

अनार को दाडम या दाड़िम आदि अलग-अलग नाम से जानते हैं।

अनार का प्रयोग करने से खून की मात्रा बढ़ती है। इससे त्वचा सुंदर व चिकनी होती है। रोज अनार का रस पीने से या अनार खाने से त्वचा का रंग निखरता है।

9 नीम का वृक्ष

नीम एक चमत्कारी वृक्ष माना जाता है। नीम जो प्रायः सर्व सुलभ वृक्ष आसानी से मिल जाता है। नीम को संस्कृत में निम्ब कहा जाता है। यह वृक्ष अपने औषधीय गुणों के कारण पारंपरिक इलाज में बहुपयोगी सिद्ध होता आ रहा है। चरक संहिता और सुश्रुत संहिता जैसे प्राचीन चिकित्सा ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है।

नीम के पेड़ का औषधीय के साथ-साथ धार्मिक महत्त्व भी है। मां दुर्गा का रूप माने जाने वाले इस पेड़ को कहीं-कहीं नीमारी देवी भी कहते हैं। इस पेड़ की पूजा की जाती है। कहते हैं कि नीम की पत्तियों के धुएं से बुरी और प्रेत आत्माओं से रक्षा होती है।

10 केले का पेड़ : केले का पेड़ काफी पवित्र माना जाता है और कई धार्मिक कार्यों में इसका प्रयोग किया जाता है। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को केले का भोग लगाया जाता है। केले के पत्तों में प्रसाद बांटा जाता है। माना जाता है कि समृद्धि के लिए केले के पेड़ की पूजा अच्छी होती है। गुरूवार के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा में इस पेड़ के पत्ते काम में लिए जाते है |

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सारांश 

  1.  तो दोस्तों यहा आपने जाना  हिन्दू धर्म में १० सबसे पवित्र और धार्मिक पेड़ो के बारे में और उनकी  महिमा में हमने यह आर्टिकल लिखा है.  इसे अपने दोस्तों पर परिवार जनो के साथ जरुर शेयर करे .  

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