पिथौरागढ़ की रहस्यमयी पवित्र पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर

Patal Bhuvaneshwar Cave Temple, History & Story in Hindi: उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा भक्तों की आस्था का केंद्र है। यह गुफा विशालकाय पहाड़ी के करीब 90 फीट अंदर है। यह गुफा उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के प्रसिद्ध नगर अल्मोड़ा से शेराघाट होते हुए 160 किलोमीटर की दूरी तय कर पहाड़ी वादियों के बीच बसे सीमान्त कस्बे गंगोलीहाट से 14 किमी पर  स्थित है। पाताल भुवनेश्वर गुफ़ा किसी आश्चर्य से कम नहीं है।

Pitouragadh shivling mahima

पाताल भुवनेश्वर गुफा के आश्चर्यजनक फैक्ट्स 

आइये जानते है कि कैसे यह गुफा इतनी चमत्कारी और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है .


पाताल भुवनेश्वर मुख्य शिवलिंग 

इस गुफा में जो शिवलिंग है वो तीनो महादेवो से बना है . शैय्या पर लेटे विष्णु जी , ब्रह्मा जी और महेश . तीनो रूप मिलकर इस शिवलिंग का निर्माण करते है . 

पाताल भुवनेश्वर शिवलिंग ...


गणेशजी का कटा मस्तक

हिंदू धर्म में भगवान गणेशजी को प्रथम पूज्य माना गया है। गणेशजी के जन्म के बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि एक बार भगवान शिव ने क्रोधवश गणेशजी का सिर धड़ से अलग कर दिया था | कहते है की यह सिर कटने के बाद पाताल भुवनेश्वर गुफ़ा में स्थापित हो गया | इस गुफा के बारे में यह जानकारी स्कंदपुराण में बताया गया है . यहा यह गणेश जी का सिर आदि गणेश के नाम से जाना जाता है .  

इसके ऊपर आपको एक ऐसी अजीबोगरीब सशस्त्र अमृत कमल  फूल रूप में चट्टान दिखाई देगी जहाँ से लगातार निचे बने आदि गणेश पर  पानी टपक रहा है . कहते है कि जब गणेश जी सिर कटा था तब वे जीवित इसी अमृत से रहे थे जब तक उनका धड जुड़ नही गया .  

Ganesh Sir in patal bhuwneshwar gufa

भगवान शिव ने की थी यहां 108 पंखुड़ियों वाले कमल की स्थापना

पाताल भुवनेश्वर में गुफा में भगवान गणेश के कटे सिर के शिलारूपी मूर्ति के ऊपर 108 पंखुड़ियों वाला ब्रह्मकमल विराजित है । इस कमल से दिव्य बूंद शिलारूपी मस्तक पर टपकती है | मान्यता है की यह 108 पंखुड़ियों वाले कमल की स्थापना स्वयं भगवान शिव ने की थी | आज भी इसमे चमत्कारी रूप से पानी गणेश जी के कटे हुए सर पर टपकता है . 

पत्थर बताता है कब होगा कलयुग का अंत

कलियुग का अंत कब होगा , इससे जुड़ा भी एक दिव्य और चमत्कारी पत्थर इस गुफा में विराजमान है | यहा चार युगों से जुड़े हुए चार पत्थर स्थापित हैं। इनमें से एक पत्थर जिसे कलियुग का प्रतीक माना जाता है, वह धीरे-धीरे ऊपर उठ रहा है। जब यह पूरी तरह निकल कर ऊपर दिवार से टकरा जायेगा तब कलियुग का अंत हो जायेगा | 

दूसरा दरवाजा रावण की मृत्यु के बाद सतयुग में बंद हो गया था . 

द्वापर में जब कौरवो की मृत्यु हुई तब दूसरा दरवाजा रण द्वार बंद हो गया था . 

एक दरवाजा इसका कभी बंद नही होता जो है धर्म द्वार . 


मंदिर में मूर्तियों के रूप में देवता

यहीं पर केदारनाथ, बद्रीनाथ धाम और अमरनाथ के भी दर्शन होते हैं। बद्रीनाथ में बद्री पंचायत की शिलारूप मूर्तियां हैं जिनमें धर्मराज यमराज , धन के देवता कुबेर, जल के देवता वरुण, लक्ष्मी, गणेश तथा गरूड़ शामिल हैं। गुफा की दिवार पर तक्षक नाग की आकृति उभरी हुई है | पास की गुफा में कालभैरव की जीभ के दर्शन होते हैं।

pataal bhuwneshar gufa


मोक्ष द्वार

इसके बारे में मान्यता है कि मनुष्य कालभैरव के मुंह से गर्भ में प्रवेश कर पूंछ तक पहुंच जाए तो उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। यह भी गुफा के अन्दर गुफा है जिसमे प्रवेश द्वार पर भैरव की सवारी स्वान की लम्बी जीभ जैसी आकृति बनी हुई है . 

काल भैरव जीभ पाताल गुफा मंदिर


पौराणिक महत्व

स्कन्दपुराण में वर्णन है कि स्वयं महादेव शिव पाताल भुवनेश्वर में विराजमान रहते हैं और अन्य देवी देवता उनकी स्तुति करने यहाँ आते हैं। यह भी वर्णन है कि त्रेता युग में अयोध्या के सूर्यवंशी राजा ऋतुपर्ण जब एक जंगली हिरण का पीछा करते हुए इस गुफ़ा में प्रविष्ट हुए तो उन्होंने इस गुफ़ा के भीतर महादेव शिव सहित 33 कोटि देवताओं के साक्षात दर्शन किये। द्वापर युग में पाण्डवों ने यहां चौपड़ खेला और कलयुग में जगदगुरु आदि शंकराचार्य का 822 ई के आसपास इस गुफ़ा से साक्षात्कार हुआ तो उन्होंने यहां तांबे का एक शिवलिंग स्थापित किया |

बद्रीनाथ धाम की हिंदी जानकारी 

पाताल भुवनेश्वर गुफा से चारो धाम 

यहा के पंडित बताते है कि स्कंदपुराण में बताया गया है कि जो व्यक्ति इस रहस्यमयी पवित्र पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर में आकर दर्शन करता है उसे चारो धाम की यात्रा के बराबर पूण्य की प्राप्ति होती है . 

यहा इस गुफा में केदारनाथ के साथ साथ पञ्च बद्री (विष्णु , लक्ष्मी , कुबेर , गरुड़ , यम ) मिट्टी रूप में प्राकृतिक रूप से विराजमान है . 

इसके ऊपर अमरनाथ जी है . जिसका रूप बिलकुल अमरनाथ की गुफा से मिल खाता है . चट्टानों से नुकीली बर्फ का रूप बनता है जो किसी चमत्कार से कम नही है . 

पाताल देवी भुवनेश्वरी :- 

काल भैरव गुफा के सामने आपको एक चट्टान महिला के रूप में दिखाई देगी जो पातळ की देवी भुवनेश्वरी माता है

इस चट्टान में माँ का पूरा मुंह आँख , नाक सभी है . भक्तो ने इन्हे चुनरी ओढा रखी है .  

 गंगेश्वर की जताये  :- 

इस गुफा में आपको भगवान शिव की बिखरी सफ़ेद जताए चट्टानों पर देखने को मिलेगी जो गंगा के धरती पर अवतरण पर उन्होंने फैलाई थी . 

शिव जटाओ में गंगा पाताल भुवनेश्वर गुफा


साभार : अजबगजब.कॉम

सारांश 

  1. पिथौरागढ़ पाताल भुवनेश्वर गुफा (Mysterious Facts About Pithoragarh  Patal Bhuvaneshwar Cave ) और उससे जुडी चमत्कारी बातो को आपने जाना   . यह बहुत ही पौराणिक गुफा है जहाँ कई धार्मिक घटनाये घटी है .    

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