कथा – शिव ने क्यों किया कामदेव को भस्म

दोस्तों हम सभी जानते है कि शिव का त्रिनेत्र खोलना कितनी बड़ी तबाही ला सकता है . जब जब शिव जी ने अपने त्रिनेत्र को क्रोध के साथ खोला है , पूरा का पूरा ब्रह्माण्ड हिल गया है . आज हम इस आर्टिकल में (Shiv Aur Kamdev Ki Pouranik Kahani ) जानेंगे जिसमे कामदेव को अपनी जान देनी पड़ गयी थी . 

Story About Lord Shiva and Kamdev . कामदेव को काम वासना प्रेम का देवता माना गया है | इस जगत में काम इच्छा के यही जनक है | पर एक बार ऐसा क्या हुआ की खुद कामदेव को भगवान रूद्र ने भस्म कर दिया |

shiv ne kiya kamdev ko bhasm

शिव के गले में रहने वाले वासुकी नाग के बारे में जाने

घोर तपस्या में लीन शिव 

दक्ष प्रजापति के हवन में माँ सती अपने और अपने पतिदेव शिव का जब अपमान ना सह सकी तो उन्होंने उसी पवित्र हवन कुंड में खुद को सती कर लिया | इस कृत्य से भगवान शिव पूरी तरह टूट गये और घोर तपस्या में लीन हो गये | समय के साथ माँ सती ने हिमालय की पुत्री के रूप में फिर से शिव मिलन के लिए जन्म ले लिया पर शिवजी वर्षो तक अपनी उसी तपस्या में लीन ही रहे |

शिव तपस्या भंग करने को चुना काम देव को 

देवताओ ने शिव पार्वती मिलन के लिए भगवान शिव की उस तपस्या को भंग करने के उपाय सोचने लगे और तब सभी की सहमती पर भगवान कामदेव को इस कार्य में लगा दिया गया |

कामदेव शिव तपोस्थली पर पहुँचे और तरह तरह के प्रयोग करके शिव का ध्यान भंग करने में लग गये | उसी में एक प्रयोग पुष्प बाण शिव पर छोड़ने का था | 

क्यों शंख से नही की जाती है शिवलिंग की पूजा 

शिव की तपस्या भंग , और कामदेव भस्म 

इस तरह कामदेव उनकी तपस्या भंग करने में सफल हो गये पर शिव उनमे इतने क्रोधित हुए की अपनी तीसरी आँख से अग्नि निकालकर पल भर में ही उन्हें भस्म कर दिया |


shiv ne kiya kamdev ko bhasm


देवता एक तरफ शिवजी के फिर से जाग्रत होने पर खुश थे तो दूसरी तरफ अपने प्राणों का बलिदान देने वाले कामदेव पर दुखी थे |

कामदेव की पत्नी रति अपने पति के भस्म को देखकर जोर जोर से रोने लगी और भोलेनाथ से विनती करे लगी की उसे उनका पति फिर से लौटा दे |

कामदेव का पुनः जीवन

शिव ने उन्हें आश्वासन दिया की द्वापर युग में भगवान कृष्ण और रुक्मणी  के पुत्र रूप में फिर से कामदेव जन्म लेंगे | इस तरह द्वापर में फिर से काम देव का जन्म कृष्ण के पुत्र के रूप में हुआ . इस पुत्र का नाम प्रद्युम्न था जो कामदेव के अवतार थे . 

क्यों भक्त कहते है शिव वाहन  नंदी के कानो में अपनी बाते 

सारांश 

  1. तो दोस्तों हिन्दू पौराणिक कथा में आपने जाना कि कैसे कामदेव को शिव क्रोध अग्नि से भस्म होना पड़ा . क्यों कामदेव से शिव हो गये इतने ज्यादा रुष्ट की खोलना पड़ गया अपना तीसरा नेत्र .  आशा करता हूँ की यह पोस्ट आपको जरुर पसंद आई होगी .  


Post a Comment

Previous Post Next Post