हनुमान जी के असंभव काम


Hanuman Ji Ke Mahan Kary . यदि दुनिया में सबसे बड़े सेवक का नाम पूछेंगे तो मैं आपको हनुमान जी का ही नाम लूँगा | इन्होने अपना जीवन अपने प्रभु श्री राम की सेवा में लगा दिया है | ये अष्ट चिरंजीवी में से एक है जो आज भी श्री राम की भक्ति में दुबे रहते है | रामायण में इन्होने श्री राम की अनेको बार सहायता की है |

hanuman ji ke asambhav kaam kounse hai

वाल्मीकि रामायण के उत्तर कांड में स्वयं भगवान श्रीराम ने अगस्त्य मुनि से कहा है कि हनुमान के पराक्रम से ही उन्होंने रावण पर विजय प्राप्त की है। आज हम आपको हनुमानजी द्वारा किए गए कुछ ऐसे ही कामों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें करना किसी और के वश में नहीं था , यह उनके किये गये असंभव कार्य थे –

1. समुद्र को एक छलांग में लांघना

माता सीता की खोज करने के लिए हनुमान जी 100 योजन विशाल समुद्र को देखकर सभी वानर सेना दुखी हो गयी | यह समुन्द्र पार करना किसी के वश की बात नही थी | तब भी सभी को महाबली हनुमान पर पूर्ण विश्वास था | बस जरुरत थी हनुमान जी को उनकी शक्तियों का स्मरण कराने की | सभी ने हनुमान का गुणगान किया और उन्हें विश्वास दिलाया की यह समुद्र लांघने का कार्य उनके सामने बहुत छोटा सा है | बस फिर क्या था राम का नाम लेकर कुछ पल में ही पार कर दिया समुन्द्र को हनुमान ने |

समुन्द्र लांघते हुए हनुमान


2. माता सीता की खोज

जब श्री राम अपने भाई के साथ माता सीता की खोज में लगे हुए थे तब उन्हें पता चला की लंकापति रावण उन्हें अपरहण कर अपने साथ लंका ले गया है | भारत और लंका के बीच हिन्दु महासागर फैला हुआ था | तब सीता की सबसे पहले खोज समुदंर पार करके हनुमान जी ने ही की थी | वे सीता मैया से अशोक वाटिका में मिले और उन्हें आश्वासन दिया की जल्द ही श्री राम रावण का वध कर उन्हें मुक्त करा देंगे |

3. अक्षयकुमार का वध व लंका दहन

हनुमान जी सीता मैया से मिलने के बाद लंका में पकडे गये | उन्हें रावण के समक्ष लाया गया | बालाजी ने अपनी पूंछ से अपने लिए रावण के सिंगासन से भी ऊँचा सिंगासन लगाया | यह देख रावण और उनका दरबार वानर हनुमान पर क्रोधित हो गये | हनुमान जी ने भी रावण के पुत्र अक्षयकुमार के साथ कई राक्षसों को काल का ग्रास बना दिया | लौटे वक़्त हनुमान ने सोने की लंका को अपनी पूंछ में लगी आग से स्वाहा कर दिया |


मान्यता है की सोने की लंका का जलना माँ पार्वती के श्राप के कारण हुआ था |

4.सूर्य को निगल लेना

अपने बाल्यकाल में ही एक बार हनुमान जी को इतनी भूख लगी की उन्होंने आकाश में चमक रहे सूर्य को खाने के लिये उड़ गये | उन्होंने सूर्य देवता को एक लाल रंग का फल समझ लिया था | सूर्य हनुमानजी के मुँह में जाने लगा, चारो तरफ अँधेरा छा गया। उस समय सूर्य पर ग्रहण चल रहा था। पर हनुमानजी को जब तक कोई रोक पाता तब तक तो सूर्य भगवान उनके मुँह मे थे।

5. लक्ष्मण को जीवन देने के लिए पहाड़ को लाना

लक्ष्मण के मूर्छित होने पर विभीषण के कहने पर लंका से वैद्य सुषेण को बुलाया गया। सुषेण ने जल्दी ही संजीवनी बूटी हिमालय से लाने को कहा | इस कार्य को करने के लिए हनुमान जी रवाना हुए , पर जब उन्हें संजीवनी बूटी नही पता चली तो वे पूरा पहाड़ द्रोणागिरी ही उठा लाये | आज भी यह श्री लंका में श्रीपद नाम से पुकारा जाता है |

6. अनेक राक्षसों का वध

युद्ध में हनुमानजी ने अनेक पराक्रमी राक्षसों का वध किया, इनमें धूम्राक्ष, अकंपन, देवांतक, त्रिशिरा, निकुंभ आदि प्रमुख थे। हनुमानजी और रावण में भी भयंकर युद्ध हुआ था। रामायण के अनुसार हनुमानजी का थप्पड़ खाकर रावण उसी तरह कांप उठा था, जैसे भूकंप आने पर पर्वत हिलने लगते हैं। हनुमानजी के इस पराक्रम को देखकर वहां उपस्थित सभी वानरों में हर्ष छा गया था।

कैसे बने हनुमान जी इतने महाशक्तिशाली

7. राम लक्ष्मण के जीवन बचाए

अहिरावण राम और लक्ष्मण को अपनी माया के प्रभाव से पाताल लोक ले गया | वह अपनी कुलमाता के सामने इन दोनों दशरथ नन्दनो की बलि चढ़ाना चाहता था | तब हनुमान जी ने पाताल लोक में प्रवेश कर अपना पञ्चमुखी हनुमान रूप धारण किया और अहिरावण का वध कर राम और लक्ष्मण को अपने साथ ले आये |

Other Similar Posts



हनुमान जी को प्रसन्न करने के उपाय

 हिन्दू धार्मिक पुराणों से जाने चार युग

भारत के सबसे अमीर 12 मंदिर , जहाँ आता है जमकर चढ़ावा 

आठ सिद्धियाँ कौनसी होती है - जाने अष्ट सिद्धि की शक्तियां







Post a Comment

Previous Post Next Post