अमरनाथ शिवलिंग की शिव पार्वती कथा और यात्रा से जुडी रोचक बाते 

Amarnath Barfani Yatra Sampurn Jankari . अमरनाथ अर्थात अमरता की कथा सुनाने वाले अमर शिव शंकर जो सभी के नाथो के नाथ है | हिन्दू धर्म में परम आस्था का प्रतीक और दुर्गम अमर यात्रा सभी को रोमांचक करती है | प्रकृति का सुन्दरतम नजारा ,रोमांच , धर्म और आस्था जब साथ होते है तो बस यह पल जीवन के यादगार पलो में शामिल हो जाता है |

अमरनाथ यात्रा सम्पूर्ण जानकारी

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अमरनाथ दर्शन 2023 

अमरनाथ शिवलिंग के दर्शन इस साल 2023 में 1 जुलाई 2023 से  शुरू हो जायेंगे . यात्रा के के इच्छुक भक्तो को ऑनलाइन और ऑफलाइन पहले रजिस्ट्रेशन करवाना होगा और उसके बाद अपने शेड्यूल के अनुसार दर्शन करने के लिए यहा आना होगा . 

जान ले की अमरनाथ यात्रा के लिए 17 अप्रैल से रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरने शुरू हो गये है . 

बता दे कि अमरनाथ में भी उत्तराखंड के चार छोटे धामों की तरह गरमियों में ही दर्शन की व्यवस्था होती है . इस साल यह लगभग 2 महीने (62) दिनों के लिए दर्शन खुले रहेंगे . इसके साथ मौसम का भी बहुत बड़ा रोल होता है . यदि मौसम ख़राब रहा तो बीच में ही अमरनाथ यात्रा को रोक दिया जाता है . 

अमरनाथ शिवलिंग की कहानी पुराणों से

पुराणों में एक प्रसंग आता है कि एक बार माँ पार्वती ने हठ पकड़ ली की आप तो अमर है और मुझे हर बार नए नए अवतार लेकर और फिर तपस्या करके आपको क्यों पाना होता है ? यह क्यों होता है ! इसके पीछे के कारण मुझे समझाए ? आपके रूप आपके अमरता का मुझे कारण बताये | शिवजी माँ पार्वती की जिद्दके आगे हार गये और एक गुप्त जगह पर उनके सभी प्रश्नों के जवाब देने के लिए राजी हो गये | यह रहस्य इतने शक्तिशाली और अमरता का पान थे की जो कोई भी इन्हे सुन लेता वो अमर हो जाता |

शिव पार्वती आये अमरनाथ क्षेत्र में 

इस कारण शिव जी मां पार्वती को लेकर किसी गुप्त स्थान की ओर चल पड़े। सबसे पहले भगवान भोले ने अपनी सवारी नंदी को पहलगाम पर छोड़ दिया, इसलिए बाबा अमरनाथ की यात्रा पहलगाम से शुरू करने का बोध होता है। आगे चलने पर चंद्रमा को चंदनबाड़ी में अलग कर दिया और गंगा जी को पंचतरणी में। उसके बाद गले पर लिपटे वासुकी सर्प को शेषनाग पर छोड़ दिया। इस प्रकार इस पड़ाव का नाम शेषनाग पड़ा। आगे अपने पुत्र गणेश को गणेश टॉप पर छोड़ दिए | पिस्सू घाटी में पिस्सू नामक कीड़े को भी त्याग दिया। इस प्रकार महादेव ने अपने पीछे जीवनदायिनी पांचों तत्वों को भी अपने से अलग कर दिया। और अब शिवजी के साथ सिर्फ माँ पार्वती ही उस गुफा में पहुँच पाए |

कबूतर के जोड़े ने सुनी कथा 

एक जगह बैठकर शिवजी ने कथा सुनाना शुरू कर दिया | कथा सुनते सुनते कब माँ पार्वती सो गयी पर उस गुफा में कोई इस कथा पर हामी भर रहा था | जब शिवजी ने कथा पूरी सुना दी तब उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ की पार्वती तो सो रही है तो कथा में हुंकार कौन भर रहा था | तब शिवजी ने ऊपर एक पत्थर पर एक जोड़ा कबूतर कबूतरी का देखा | शिवजी इस रहस्य को इस तरह किसी अनचाये के सुनने पर बड़े क्रोधित हुए और अपने क्रोध से उन दोनों को भस्म करने ही वाले थे की कबूतरों ने अमर कथा का वास्ता देते हुए खुद के प्राणों की विनती की |

शिवजी शांत हुए और उन्हें वरदान दे दिए की तुमने अमरता की कहानी पूरी सुनी है और तुम एक कथा के साक्षी हो अत तुम आज से अमर हो और भक्तो को दर्शन युगों युगों तक देते रहोगे |

तो दोस्तों यह थी अमरता की कथा का पान करने वाले अमरनाथ तीर्थ की पौराणिक कथा . 

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अमरनाथ शिवलिंग से जुडी रोचक बातें 

👆 १) चन्द्र की कला पर निर्भर करता है ज्योतिर्लिंग का आकार : यह दुनिया का एकमात्र शिवलिंग है जो चन्द्रमा की रौशनी के आधार पर घटता बढ़ता है | श्रावणी शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शिवलिंग पूर्ण हो जाता है और फिर उसके बाद आने वाली अमावस्या को बहुत छोटा हो जाता है |

👆 २) कितने दिन का मेला भरता है : अमरनाथ शिवलिंग के दर्शन सिर्फ 45 दिन के लिए ज्यादा से ज्यादा होते है | यह जुलाई और अगस्त के महीने में श्रावणी मेले का समय होता है | आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होने वाला मेला रक्षाबंधन तक चलता है |

👆 ३) क्यों कहते है अमरनाथ : इस जगह गुप्त क्षेत्र में भगवान शिव ने माँ पार्वती को अमरता की कथा सुनाई थी जिसे सुनने वाला अमर हो जाता है | यह कथा उस गुफा में एक तोते के जोड़े ने भी सुन ली और श्रद्धालुओं का मानना है की वे शिव के परम भक्तो को आज भी उस गुफा में दर्शन देते है |

👆 ४) किसने की अमरनाथ गुफा की खोजे : ऐसा माना जाता है की एक मुस्मिल गडरिए ने सबसे पहले इसकी खोज की जिसका नाम बूटा मलिक था | आज भी इसके परिवार को दान में चढ़ाई गयी राशि का एक भाग मिलता है |

👆 ५) वैज्ञानिक हो चुके है फैल : इस गुफा में अपने आप ही शिवलिंग का बनना एक राज बना हुआ है | धार्मिक लोग इसे शिव शंकर का चमत्कार मानते है पर वैज्ञानिक लोगो ने जब इस पर शोध किया तो उनके हाथ कुछ भी नही लगा | गर्मी के समय में शिवलिंग बर्फ से बनना और चन्द्र की कला पर निर्भरता विज्ञान के लिए एक पहेली बना हुआ है | हर जगह भुरभुरी बर्फ पर यहा शिवलिंग में ठोस बर्फ का जमाना किसी अचरज से कम नही है |

👆 ६) शिवलिंग के साथ पार्वती पीठ और गणेश पीठ के भी दर्शन : अमरनाथ की गुफा में सिर्फ शिवलिंग ही नही बल्कि पार्वती और गणेश के रूप में दो अन्य लिंग का भी निर्माण बर्फ से होता है |

👆 ७) कैसे जमती है बर्फ अमरनाथ में : अमरनाथ की गुफा के ऊपर पानी जमा होता है जो बूंद बूंद करके निचे शिवलिंग वाले हिस्से में गिरता रहता है | और इस तरह इस अमरनाथ बर्फानी शिवलिंग का निर्माण होता है |

👆 ८) हर साल आते है लाखो लोग : इस आध्यात्मिक यात्रा पर हर साल लाखो भक्त आते है | यात्रा में 5 दिन का समय लगता है |

अमरनाथ यात्रा पर कैसे जाए 


अमरनाथ शिवलिंग भारत के उत्तर में जम्मू  में एक दुर्गम पहाड़ी रास्ते पर है जहाँ कई किलोमीटर आपको पदयात्रा करके ही जाना पड़ता है . 

- सबसे पहले आपको जम्मू तक आना होगा . 

- इसके बाद आप श्रीनगर तक बस या कार के द्वारा आये . जम्मू से श्रीनगर 250 किमी की दुरी पर है . श्रीनगर से  पूर्व दिशा में पड़ता है अमरनाथ जी की पवित्र गुफा . 

अमरनाथ जी की गुफा

- श्रीनगर से आपको फिर पहलगाम या बालटाल आना होगा . यह दो स्थान ऐसे है जहाँ से यह पवित्र यात्रा शुरू होती है . दोनों जगह श्रीनगर से 92 किमी की दुरी पर है . यहा तक आप कार या बस के द्वारा आ सकते है . 

- पहलगाम या बालटाल से फिर यात्रा पैदल ही शुरू होती है . पहलगाम से अमरनाथ की यात्रा 48 किमी की तो बालटाल से सिर्फ 14 किमी की है . लेकिन  14 किमी की यात्रा ज्यादा कठिन है क्योकि इसमे कई जगह सीधी चढ़ाई है . अत: बीमार और बुजुर्ग व्यक्ति पहलगाम से यात्रा शुरू करते है . 

-  यदि आप पहलगाम से यात्रा शुरू करते है तो इसमे आपको तीन दिन का समय लग जाता है .  इसमे आपको पांच पड़ाव मिलते है जिसमे आप आराम कर सकते है . 

पहला पड़ाव :- 16 किमी की यात्रा के बाद चंदनवाड़ी . इसे आप चेक पोस्ट भी कह सकते है . 

दूसरा पड़ाव :- चंदनवाड़ी से तीन किमी पर  पिस्सू टॉप . यहा चढ़ाई क्षेत्र है . 

तीसरा पड़ाव :- पिस्सू टॉप से करीब 9 किलोमीटर दूर है शेषनाग जगह . यह सीधा रास्ता है . 

चौथा पड़ाव :- शेषनाग से 14 किमी की दुरी पर  पंचतरणी का 

फिर  पंचतरणी से अमरनाथ की दुरी है सिर्फ 6  किमी की . 

अमरनाथ यात्रा


श्री नगर या जम्मू कैसे पहुंचे ?  

रेल द्वारा :- अमरनाथ यात्रा पर जाने के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन जम्मू का है . 

बस द्वारा : - बस के द्वारा भी आप जम्मू आ जाये और फिर यात्रा शुरू कर सकते है . 

एयरप्लेन द्वारा : नजदीकी एयरपोर्ट है श्री नगर . वहा से आप फिर ट्रेन या बस द्वारा जम्मू आ जाये . 


अमरनाथ से जुड़े जरुरी प्रश्न उत्तर 


प्रश्न 1 इस साल Amarnath Yatra 2023 कब से कब तक है ? 

उत्तर 1. इस साल भक्तो के लिए अमरनाथ बर्फानी की यात्रा 1 जुलाई 2023 से शुरू होकर 31 अगस्त 2023 तक लेगी . 

प्रश्न 2 अमरनाथ यात्रा 2023 का रजिस्ट्रेशन कब से शुरू होगा और कैसे कराए  रजिस्ट्रेशन ? 

उत्तर 2 . इस साल 2023 में अमरनाथ बर्फानी यात्रा का रजिस्ट्रेशन 17 अप्रैल से शुरू हो गया है . आप अमरनाथ शाइन की ऑफिसियल वेबसाइट पर यह फॉर्म भर सकते है . 

लिंक :- https://jksasb.nic.in/onlineservices/register.aspx

प्रश्न 3  अमरनाथ यात्रा में कितना पैदल चलना पड़ता है ? 

उत्तर 3 . अमरनाथ यात्रा में आपको 48 किमी पैदल चलना पड़ता है , यह सफर पूरा करने में 3 दिन लगते है यानी की हर दिन 15 किमी की यात्रा पूरी करनी होती है . बीच बीच में ऑक्सीजन कम होने पर आपको   ऑक्सीजन भी उपलब्द कराई जाती है . 


सारांश 

  1. तो दोस्तों आपने अमरनाथ शिवलिंग के बारे में रोचक जानकारी इस आर्टिकल के द्वारा पाई . इसके साथ ही हमने अमरनाथ शिवलिंग से जुड़ी पौराणिक कथा भी आपको बताई है . आपने जाना कि अमरनाथ बर्फानी शिवलिंग की यात्रा आप कैसे कर सकते है .  आशा करता हूँ आपको यह आर्टिकल जरुर पसंद आया होगा . 

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