असुर , दैत्य , दानव और राक्षस में क्या अंतर होता है 

प्राचीनकाल में हमें पुराणों के माध्यम से पता चलता है कि नकारात्मक शक्तियां जो धर्म और देवताओ के विरुद्ध थे वे जातियां ही असुर थी . असुर का अर्थ है सुर के विपरीत . असुर में ही तीनो दूसरी जातियां समाहित है जैसे दैत्य , दानव और राक्षस .

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हम में से ज्यादातर लोग इन्हे एक ही जाति का मान लेते है पर इनमे आपस में काफी अंतर होता है . 

इन सभी जातियों में ज्यादातर ऋषि कश्यप के वंशज है . 


 दैत्य कौन थे ?

दैत्य शब्द दिति से बना है .दिति माता और कश्यप के पुत्र दैत्य थे . हिरण्यकशिपु और हिरण्याक्ष रूपी दैत्य दिति और कश्यप के पुत्र थे और उनके वंशज ही दैत्य कहलाये . इन दोनों ने अपनी शक्ति को तीनो लोको में दर्शाया .  

देवताओ की पुकार पर फिर भगवान विष्णु ने अपने दो अवतारों से इन दोनों का अलग अलग संहार किया . 

हिरण्यकशिपु को भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर वध किया 

तो हिरण्याक्ष के संहार के लिए  भगवान विष्णु ने वराह भगवान का अवतार लिया . 

दैत्यों की वंशावली 

हिरण्यकशिपु  का पुत्र प्रहलाद बहुत ही बड़ा विष्णु भक्त था , फिर प्रहलाद का पुत्र विरोचन हुआ हो बहुत बड़ा दानवीर था . इसने दान के रूप में अपना सिर स्वर्ग के राजा इंद्र को दे दिया था . 

विरोचन के पुत्र बलि थे जिन्हें भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण करके ठग लिया था और उन्हें पाताल लोक भेज दिया था . 

 बलि के पुत्र थे बाणासुर जिन्हें फिर भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण ने पराजित किया था . 

दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य जी थे जिन्होंने दैत्यों को ज्ञान , बुद्धि और नीतिशास्त्र सिखाया था . 


दानव कौन थे ?

ऋषि कश्यप की ही एक दूसरी पत्नी दनु के वंशज दानव कहलाये . इन्हे दैत्यों के छोटे भाई के रूप में बताया गया है . यह बहुत ही विशालकाय हुआ करते थे . 


राक्षस कौन थे ?

राक्षसो की शुरुआत हेति व प्रहेति से  हुई थी  . संभवत वे ही पहले राक्षस थे .   इनके वंश में ही एक राजा हुआ जिसका नाम था लङ्कु . इसने ही लंका नगरी बसाई थी . 

उसके बाद इन्ही के वंशजो में माल्यवान, माली और सुमाली तीन महा प्रतापी राक्षस हुए . देवताओ से युद्ध हारने के बाद सुमाली ने अपनी बहिन कैकसी का विवाह पुलस्त्य ऋषि के पुत्र विश्रवा से करवा दिया . 

ऋषि और राक्षस योनी से फिर तीन पुत्र और एक पुत्री का जन्म हुआ जिनके नाम थे राक्षसराज लंकापति रावण , कुम्भकरण , विभीषण और शूर्पनखा . 

उसके बाद की रामायण तो आप जानते ही है . कैसा विश्वामित्र के कहने पर राम लक्ष्मण ने राक्षसों का संहार किया .

महाभारत में भी राक्षस

महाभारत में बताया गया है कि हिमाचल प्रदेश के पास हिडिम्ब राक्षस अपने परिवार के साथ  रहा करता था ,

वो जंगलो में रहने वाले वो नरमांस खाने वाला अत्यंत डरावना  राक्षस था . 

भीम और उसी राक्षस के  युद्ध में हिडिम्ब  की मृत्यु हो जाती है और उसकी बहिन हिडिम्बा का विवाह भीम से हो जाता है . 

भीम का पुत्र घटोत्कच हुआ और उसका पुत्र बर्बरीक और आज बर्बरीक के शीश दान के कारण कृष्ण का वरदान से उनकी  पूजा श्याम नाम से होती है . 


सारांश 

  1. तो दोस्तों यहा आपने विभिन्न तरह की असुर जातियों के बारे में विस्तार से जाना कि दैत्य , राक्षस और दानव कौन थे और इनमे क्या अंतर होता है . आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी . 

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