दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य से जुडी मुख्य 10 बाते
हमारे धार्मिक ग्रंथो के अनुसार प्राचीनकाल से ही मनुष्य जीव जन्तुओ दानवो देवताओ का अस्तित्व था |
एक तरह सकारात्मक उर्जा वाले देवता तो दूसरी तरफ नकारात्मक उर्जा और तामसिक दैत्य . दोनों ही तरह की उर्जाओ के अपने अपने राजा और गुरु थे . दोनों ही एक दुसरे के विपरीत थे और एक दुसरे से इर्षा का भाव रखते थे
देवताओ के गुरु बृहस्पति तो दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य थे | वे हमेशा दैत्यों का मार्गदर्शन किया करते थे और हमेशा देवताओ पर विजय प्राप्त करने के लिए मोटीवेट करते थे . वो बताते थे की कि किस तरह ब्रह्मा और महेश की तपस्या करके वरदान मांगना है और फिर अपने राज्य का विस्तार तीनो लोको में करना है .
आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि गुरु शुक्राचार्य से जुड़ी अनोखी बातें और उनके जीवन के बारे में .
कौन थे गुरु शुक्राचार्य
भक्त प्रह्लाद को तो हम सभी जानते है जिनकी रक्षा और होलिका का संहार का पर्व हम होली मनाते है . भक्त प्रह्लाद दैत्य जाति में जन्म लेकर भी भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त थे .प्रहलाद के ही भांजे और ऋषि भृगु का पुत्र का नाम था शुक्राचार्य .
ब्रह्मा जी के मानस पुत्र अंगऋषि इनके गुरु थे और उनकी संतान थी गुरु बृहस्पति . अंगऋषि दोनों के ही गुरु थे जिसमे एक बना देवताओ का गुरु तो दूसरा बना दैत्यो का गुरु .
क्यों बने शुक्राचार्य दैत्यों के गुरु
बाल्यकाल में ही गुरु अंगऋषि के आश्रम में उन्हें भेदभाव दिखाई देने लगा . अंगऋषि अपने पुत्र को विशेष ज्ञान और ध्यान देते थे . इस बात से नाराज होकर शुक्राचार्य अपने गुरु का आश्रम छोड़ कर चले गये और उन्होंने फिर गौतम ऋषि से आगे का ज्ञान लिया .
बाद में जब उन्हें पता चला कि अंगऋषि का पुत्र बृहस्पति देवताओ का गुरु बन गया है तो उन्होंने इर्षावश दैत्यों का गुरु बनने का फैसला ले लिया .
गुरु शुक्राचार्य से जुड़ी रोचक बातें
- शुक्राचार्य ने अपने कई शिष्यों को दीक्षा देकर कई दैत्यों को तीनो लोको का राजा बनाया था |
- शुक्राचार्य ने भगवान शंकर की तपस्या से मृत संजीवनी विद्या की प्राप्ति की और कई बार मरे हुए दैत्यों को जीवित किया |
- गुरु शुक्राचार्य नीति शास्त्र के प्रवर्तक भी रहे जो की ज्ञान और नीति का भंडार है |
- इन्हे वीर्य के अधिष्ठाता के रूप में भी जाना जाता है |
- महर्षि भृगु और हिरण्यकशिपु की पुत्री दिव्या के पुत्र थे शुक्राचार्य |
- इन्हे योग , मंत्रो , रसो और औषधियों का विशेष ज्ञान था |
- एक बात इन्होने घोर तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न किया और इन्हे धन का स्वामी भी बना दिया गया | वे धन इन्होने दैत्यों के उत्थान में लगा दिया |
- इनके परम आराध्य भगवान शिव थे | इन्होने कई घोर तपस्या करके दुर्लभ वरदान पाए है |
- इनके तीन संतान थे , देवयानी नाम की पुत्री और दो पुत्र जिनके नाम शंद और अमर्क थे |
- वामन अवतार के रूप में जब विष्णु बलि से तीन पग जमीन मांगने आये तो यह बलि के कमण्डल में बैठ गये , कमंडल से पानी निकालते समय राजा बलि से गलती से इनकी एक आँख फुट गयी और फिर ये एकाक्ष (एक आँख वाला ) कहलाये |
- गुरु शुक्राचार्य का असुरो का आचार्य होने के कारण असुराचार्य के नाम से भी जाना जाता है .
सारांश
- तो दोस्तों यहा हमने दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य से जुड़ी रोचक बातें आपको बताई जिसमे आपने इनके परिवार के बारे में जाना . साथ ही हमने बताया कि क्यों गुरु शुक्राचार्य दैत्यों के गुरु बने . आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी .
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