कौन है देवगुरु बृहस्पति
Dev Guru Brihaspati Se Judi Baate. ये देवताओ के गुरु माने जाते है जबकि इनके विपरीत गुरु शुक्राचार्य को दैत्यों का गुरु माना गया है | यह अत्यंत शक्तिशाली ऋषि है और इनके बिना कोई भी यज्ञ सम्पूर्ण फल वाला नही माना जाता है | इन्हे गृहपुरोहित , तीक्ष्णशृंग आदि नामो से जाना जाता है |
बृहस्पति देव बहुत बड़े ज्ञानी थे . उन्होंने वास्तुशास्त्र , नीतिशास्त्र , अर्थशास्त्र और धर्म के बारे में बड़े ज्ञान भर शास्त्रों की रचना की है |मनुष्यों और देवताओं के बीच मध्यस्थता रखने के कारण इनकी पूजा जरुर करनी चाहिए जिससे की आपकी विनती यह देवताओ तक शीघ्रता से पहुंचा दे | यह ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति नामक ग्रह के रूप में जाने जाते है और सभी ग्रहों में सबसे बड़े आकार के है |
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देवगुरु बृहस्पति का परिवार
इनके माता पिता सुरूपा और महर्षि अंगीरा ऋषि थे | महर्षि अंगीरा ऋषि बृहस्पति देव और दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य के भी गुरु थे . इनकी दो पत्नियां थी जिनके नाम तारा और शुभा था |
कैसे दिखते है बृहस्पति
इन्होने पीले वस्त्र धारण किये हुए है , गले में सुन्दरतम मोतियन माला , मस्तिष्क पर स्वर्ण मुकुट शोभायमान है | यह कमल के पुष्प पर आसीन है | इनके चार हाथ है जिनमे रुद्राक्ष की माला , स्वर्ण दंड , एक में जल पात्र और एक हाथ वरदान देने की मुद्रा में है |
इनका रथ आठ घोड़ो वाला सोने का है | यह सोने के महल में ही निवास करते है | भगवान सूर्य के समान इनके शरीर की कांति है |
कैसे बने देव गुरु
सुरूपा और महर्षि अंगीरा के पुत्र बृहस्पति ने प्रभास तीर्थ पर भगवान शिव की घोर तपस्या की , फलस्वरूप भगवान शिव शंकर ने उन्हें दर्शन दिए और उन्हें नवग्रहों में स्थान दिया और साथ ही साथ उन्हें देवताओ के गुरु की संज्ञा भी दी |
देवताओ के गुरु बृहस्पति के पाँच मुख्य मंत्र
आइये जानते है वे दिव्य और शक्तिशाली गुरु मंत्र जिनसे प्रसन्न होते है गुरुवर बृहस्पति देव | हर गुरूवार के दिन इन मंत्रो का रुद्राक्ष की माला एक साथ जप करे और गुरु की कृपा के पात्र बने |
यह देवताओ को मनुष्यों के बीच मध्यस्था रखते है और मनुष्यों की प्रार्थना देवताओ तक जल्द पहुंचाते है | यह नवग्रह में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखते है अत: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इनकी पूजा करने से दुसरे ग्रह भी अपनी कृपा पूजा करने वाले पर रखते है |
देवगुरु बृहस्पति की पूजा से मिलने वाला फल
इनके बिना कोई हवन पूर्ण नही होता | यह ज्ञान नीति धर्म और वास्तु के महा गुरु है | यदि कोई व्यक्ति इनकी पूजा करता है तो ये अपना ज्ञान उसे प्रदान करते है | ज्ञान प्राप्ति पर मनुष्य आध्यातिम्क सुख की प्राप्ति करता है |
मंत्र उच्चारण से पूर्व पीले वस्त्र धारण करे और मंत्र उच्चारण के बाद पीली चीजो जैसे दाल आदि का दान करे |
- ।। ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम: ।।
- ।। ॐ बृं बृहस्पतये नम: ।।
- ।। ॐ क्लीं बृहस्पतये नम: ।।
- ।। ॐ गुं गुरवे नम: ।।
- ।। ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:।।
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सारांश
- तो दोस्तों आपने जाना कि कैसे देवगुरु बृहस्पति देवताओ के गुरु बने और इनसे जुड़ी रोचक बातें कौनसी है . आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी .
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