देवराज इंद्र से जुड़ी कुछ रोचक बाते

Devraj Indra Se Judi Rochak Baate : इन्द्र के बारे में हम सभी यह जानते है की वे स्वर्ग के राजा है , खूबसूरत अप्सराओं के नृत्य प्रिय है | वे बहुत ही वैभवशाली और सभी सुख सुविधाओ के भोगकर्ता है | उनके सहयोगी अग्नि देवता , वरुण देव , पवन देव आदि है | देवताओ के गुरु देवगुरु बृहस्पति है |

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किन्तु इस लेख में हम आपको इन्द्र से जुड़े कुछ ऐसे तथ्य या रहस्य बताने जा रहे हैं जिनसे ज्यादातर लोग अवगत नहीं हैं। कई बार उनकी नकारात्मक छवि को भी देखा गया लेकिन फिर भी उनसे जुड़े बहुत से किस्से काफी रोचक हैं।

सफेद हाथी ऐरावत की सवारी करने वाले “इन्द्र” देवताओ में अग्रणी है और स्वर्ग के सबसे बड़े पदाधिकारी है | इनके पास शक्तिशाली वज्र है जो दैत्यों का संहारक है | इंद्र को उनके छल के कारण अधिक जाना जाता है
ये कश्यप ऋषि और अदिति के पुत्र हैं | इन्द्र की पत्नी को इन्द्राणी कहा जाता है।


अदिति और दिति

पुराणों के अनुसार ऋषि कश्यप की 2 मुख्य पत्नियां अदिति और दिति थीं। अदिति के पुत्र आदित्य या देवता कहलाए और दिति के पुत्र दैत्य या सुर के नाम से जाने गए।

वेदों में भी इन्द्र की स्तुति में लिखे मंत्र मौजूद हैं। इन्द्र के बाद अग्नि, सोम, सूर्य देवता , चंद्र देवता , अश्विन, वायु, वरुण, उषा, पूषा आदि का जिक्र होता है। अधिकांश मंत्रों में इन्द्र को एक पराक्रमी योद्ध के तौर पर दर्शाया गया है जिनकी सोमपान में रुचि है।

मेघो और वर्षा के देवता

इन्द्र को मेघों और वर्षा का देवता (God Of Rain ) कहा जाता है | यह भी माना जाता है कि इन्द्र के पास एक ऐसा शस्त्र है जिसका प्रयोग मेघों और बिजलियों को किसी भी स्थान पर गिरा सकता | गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा के पीछे इंद्र और कृष्ण की कहानी है | इस प्रसंग में श्री कृष्ण ने ब्रजवासियों को इंद्र की जगह गोवर्धन पर्वत को पूजने की बात कही थी |

वैसे भी देवताओं ने समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत को ग्रहण किया था इसलिए वे अजर और अमर हो गए।

इंद्र के अन्य नाम

इंद्र को सुरेश, सुरेन्द्र, देवेन्द्र, देवेश, शचीपति, वासव, सुरपति, शक्र, पुरंदर, देवराज भी कहा जाता है।

स्वर्ग की सत्ता हाथ से जाने से डरते है इंद्र

इंद्रपद पर आसीन देवता किसी भी साधु और राजा को अपने से शक्तिशाली नहीं बनने देता था इसलिए वह कभी तपस्वियों को अप्सराओं से मोहित कर पथभ्रष्ट कर देता है तो कभी राजाओं के अश्वमेघ यज्ञ के घोड़े चुरा लेता है।

अहिल्या के साथ छल से सहवास

इंद्र ने गौतम ऋषि की अति सुन्दर पत्नी अहिल्या के साथ धोखे से सहवास किया | उन्होंने गौतम ऋषि का रूप लेकर अहिल्या को धोखे से अपने जाल में फंसा लिया | ऋषि गौतम को जब यह पता चला तो उन्होंने अहिल्या को पत्थर की मूर्ति बनने का श्राप दे दिया था |

इंद्र को मिला श्राप 

इंद्र के चित्र में आप देखेंगे उसके शरीर पर हजारो आँखे जैसी संरचना है पर यह आँखे नही बल्कि एक श्राप के कारण हुआ है . आपको हमने पहले बताया कि इन्द्र ने एक बार गौतम ऋषि की सुन्दर पत्नी अहिल्या के साथ छल से उसके पति का रूप धर कर सहवास कर लिया था . 

गौतम ऋषि को जब इन्द्र के इस छल का पता चला तो उन्होंने इंद्र को श्राप दिया कि तुमने एक योनी को पाने के लिए इतना बड़ा कुकृत्य किया है अत: मैं तुम्हे श्राप देता हूँ की तुम्हारे शरीर पर हजारो योनियाँ उत्पन्न हो जाएगी . 

बस फिर क्या था श्राप के प्रभाव से देवराज इंद्र के शरीर पर हजारो योनियों रूपी  छेद उत्पन्न हो गये . यह देखकर इन्द्र बहुत ज्यादा अपनी करनी पर शर्मिंदा हुए . उन्होंने गौतम ऋषि के पैरो में गिर कर अपने अपराध की क्षमा मांगी . 

गौतम ऋषि ने फिर दया करके उन हजारो योनियों को हजार आँखों के रूप में बदल दिया .  

कर्ण के साथ छल

कर्ण के पास सूर्य कवच और कुंडल थे जो अजेय माने गये है | अर्जुन के पिता देवराज इंद्र ही थे अत: युद्ध में अपने पुत्र अर्जुन की विजय निश्चित करने के लिए उन्होंने महादानी कर्ण से दान मांग लिया | इंद्र ब्राह्मण का वेश धारण कर कर्ण के दरबार में पहुचे और दान में उनका कुंडल और कवच मांग लिया | इसी दान के कारण कर्ण कमजोर पड़ गये और महाभारत युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए |

क्यों घरो में इन्द्र की पूजा नही होती ? 

श्री कृष्ण के गोवर्धन उठाने से पहले भारत में पहले इन्द्रोत्सव मनाया जाता था जिसमे वर्षा के देवता इंद्र देव की पूजा अर्चना की जाती है और उन्हें धन्यवाद दिया जाता था . इससे इंद्र का अभिमान बढ़ने लगा पर श्री कृष्ण ने द्वापर में सभी को समझाया की वो इंद्र की जगह गोवर्धन पर्वत की पूजा करे क्योकि गोवर्धन पर्वत के कारण ही उन सभी का जीवन धन्य हो गया . इससे नाराज होकर इंद्र ने घोर वर्षा की और श्री कृष्ण ने गोवर्धन को उठाकर सभी को बचाया . इंद्र कृष्ण के सामने हार गये और तभी से इंद्र की पूजा घर घर में होना बंद हो गयी . 

इन्द्र देव से जुड़े सार रूपी बाते 


माता पिता अदिति और ऋषि कश्यप
पत्नी इन्द्राणी शची 
पुत्र पुत्री जयंत , कुंती पुत्र अर्जुन , वसुक्त, वृषा, वानरराज बालि
वाहन ऐरावत हाथी  
मंत्र ॐ आग्नेय नमः 
दुसरे नाम सुरेश, सुरेन्द्र, देवेन्द्र, देवेश , सुरपति आदि 




सारांश 

  1. देवराज इन्द्र स्वर्ग के देवता से जुड़ी जरुरी रोचक बाते आपने इस आर्टिकल के माध्यम से जानी . इन्द्र के माता पिता कौन थे , इंद्र की पत्नी और पुत्र का क्या नाम था आदि . आशा करता हूँ की आपको यह पोस्ट जरुर अच्छी लगी होगी . 

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