एकादशी का पारण कब और कैसे करे

वैष्णव भक्तो के लिए भगवान विष्णु और कृष्ण की भक्ति और उपवास करने के लिए एकादशी का अत्यंत महत्व है | साल में कुल ये 24 आती है जिसमे बारह शुक्ल पक्ष की तो 12 कृष्ण पक्ष की होती है | जब किसी साल में अधिकमास आये तो साल की चौबीस एकादशियाँ ना होकर छब्बीस हो जाती है . इस दिन भगवान विष्णु और कृष्ण की भक्ति और व्रत का होता है | पुरे विधि विधान और एकादशी व्रत के नियमो से उपवास किया जाता है |

एकादशी का पारण क्या होता है

ध्यान रखे एकादशी पर चावल खाना वर्जित है | आज हम इस लेख के माध्यम से जानेंगे की ग्यारस का पारण कब और कैसे करे | पारण से जुड़े मुख्य नियम क्या है आदि . पारण का अर्थ है कैसे तोड़े अपना एकादशी का व्रत और उपवास |

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एकादशी का पारण कैसे करे 

एकादशी के व्रत को तोडना ही पारण करना होता है | यह ग्यारस के अगले दिन यानि द्वादशी को सूर्योदय के बाद किया जाता है | ध्यान रखे यह द्वादशी की तिथि में ही किया जाना चाहिए | अत: मुख्य रूप से यह समय है द्वादशी का पहली एक चौथाई अवधि जिसे हम हरि वासर भी कहते है | इसमे आपको व्रत नही खोलना है और इसके बाद प्रातः काल में जो अवधि आ रही है उसमे व्रत खोलना चाहिए . यदि आप इस घड़ी में व्रत नही तोड़े तो आप फिर मध्यान में पारण कर सकते है |

एकादशी का पारण कैसे करना चाहिए


यहा यह जरुर ध्यान रखे कि आपको एकादशी का पारण द्वादशी में ही करना होगा वरना फिर दोष लगेगा .

पारण से जुड़े नियम 

* एकादशी व्रत को खोलने के लिए सबसे उत्तम तिथि द्वादशी यानी की बारस की है . 

* बारस के दिन भी प्रातकाल के समय या फिर अपरान्ह पर ही पारण करना चाहिए . 

* पारण से पहले गौ गास निकालना चाहिए , भगवान को भोग लगाना चाहिए और हो सके तो किसी कर्मकांडी ब्राह्मण को भोजन कराके दान दक्षिणा देकर ही व्रत खोलना चाहिए . 

सारांश 

  1. तो दोस्तों आपने जाना कि एकादशी व्रत का पारण कैसे किया जाता है ग्यारस का व्रत खोलने के क्या नियम है . आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी 

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