पुरुषोत्तम मास महत्व  | मलमास की पौराणिक कथा

Adhik Maas 2023 Dates हर तीसरे साल भारतीय हिन्दू कैलेंडर में अधिक मास यानी की पुरुषोत्तम मास आता है . इस साल भी 2023 में अधिक मास आ रहा है और बहुत से भक्त यह जानना चाहते है कि यह किस दिन से शुरू होगा और कब खत्म होगा.

इससे पहले अधिक मास 2020 में आया था और फिर 2026 में आएगा . 

adhik maas ka mahtav


पुरुषोत्तम मास जिसे हम मलमास के नाम से भी जानते है ,| पर क्या आप जानते है की पुरुषोत्तम मास के महत्व को बताने वाली पौराणिक कहानी क्या है | यदि आपको नही पता तो इस पोस्ट के माध्यम से आप जानेंगे की क्यों पुरुषोत्तम मास में पूजा आराधना का अत्यंत महत्त्व है |

पुरुषोत्तम मास 2023 कब से कब तक ? 

इस साल भी 2023 में अधिक मास आ रहा है जिससे की साल के 12 महीने की जगह 13 महीने में बदल जायेंगे . यह अतिरिक्त बढ़ा हुआ महिना ही मलमास है .

साल 2023 में अधिक मास 18 जुलाई 2023 से शुरू हो रहे हैं जिसका समापन 16 अगस्त 2023 को होगा. यह एक अतिरिक्त मास साल 2023 के सावन महीने को दो महीने का कर देगा . 

इस पुरे महीने में सूर्य अपनी राशि नही बदलता है अर्थात उसका संक्रांति नही होती है , यही कारण है कि इसे मलिन मास यानि की मलमास कहते है .

पुरुषोत्तम भगवान की भक्ति का समय

मलमास अपने नाम के कारण बहुत दुखी था तब भगवान श्री कृष्ण ने उसे अपने सभी गुण और नाम दिए | उन्होंने इस मास को वरदान दिया की इसमे की गयी पूजा पाठ का फल कई गुणा मिलेगा | हालाकि इस मास में विवाह जैसे मांगलिक कार्य वर्जित है |

पुरुषोत्तम मास की पौराणिक कथा 

स्वामीविहीन मलमास ने विष्णु को सुनाया दुखड़ा अधिकमास (मलमास) या पुरुषोत्तम मास से जुड़ी एक रोचक कथा इस तरह है की एक बार स्वामीविहीन होने के कारण यह मास भगवान विष्णु के पास गया और अपने दुःख की व्यथा सुनाने लगा | उसने बताया मुझे (अधिकमास ) को लोग मलमास के नाम से पुकारते है जो उसे शर्मिंदा करता है अत: मेरी इस समस्या का कोई हल निकले प्रभु |

तब लक्ष्मी नारायण विष्णु उन्हें गोलोक में श्री कृष्ण के पास ले जाते है | भगवान कृष्ण मलमास की व्यथा को दूर करने के लिए उन्हें पुरुषोत्तम नाम देते है | साथ ही यह वरदान देते है की आज के बाद मैं उसका स्वामी रहूँगा और मेरे सभी गुण इस मास में समाविष्ट हो जायेंगे |

पुरुषोत्तम मास की पूजा का फल 10 गुणा 

उन्होंने बताया कि जो भक्त इस पुरुषोत्तम मास में मन और आत्मा से भक्ति और धर्म कर्म के कार्य करेगा , उसे कई गुणा फल की प्राप्ति होगी | इस मास में तीर्थ स्थलों में स्नान , पूजन , यज्ञ हवन , अनुष्ठान और दान का अत्यंत महत्व रहेगा |

पुरुषोत्तम मास में क्या करें

पुरुषोत्तम मास को मलमास या अधिक मास भी कहा जाता है। जिस माह में सूर्य संक्रांति नहीं होती वह मलमास कहलाता है। इन दिनों में कोई भी मांगलिक कार्य करना वर्जित रहता है। परंतु इस दौरान किए गए धर्म-कर्म से जुड़े सभी कार्य विशेष फलदायी रहते हैं। मलमास में केवल ईश्वर के लिए व्रत, दान, हवन, पूजा, ध्यान आदि करने का विधान है। ऐसा करने से पापों से मुक्ति मिलती है और कई गुणा पुण्य प्राप्त होता है। आज हम आपको बता रहे हैं कि इस दौरान आपको क्या करना चाहिए।

धार्मिक ग्रंथो का ज्ञान

पुरुषोत्तम मास में ज्यादातर समय प्रभु भक्ति में लगाना चाहिए | धार्मिक किताबे , शास्त्र और पुराणों को पढना चाहिए | कथाओ के सन्दर्भ में एक दुसरे से बात कर ज्ञान बाँटना शुभ रहता है |

दिनचर्या

सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्थान करे | भगवान सूर्य को फिर ताम्बे के लौटे से जल अर्पित करे | सुबह शाम मंदिर जाये | धार्मिक क्रियाओ में मन को लगा रखे | हो सके तो एक समय भोजन करे और जमीन पर ही शयन करे |

दान करें

पुराणों में बताया गया है कि यह माह व्रत-उपवास, दान-पूजा, यज्ञ-हवन और ध्यान करने से मनुष्य के सभी पाप कर्मों का क्षय होकर उन्हें कई गुना पुण्य फल प्राप्त होता है। इस माह में आपके द्वारा गरीब को दिया एक रुपया भी सौ गुना फल देता है।

दीप दान

मलमास में दीपदान, जरुरतमंदो को वस्त्र और श्रीमद्भगवद्गीता (गीता )के दान का विशेष महत्व है। इस मास में दीपदान करने से धन प्राप्ति के योग बनने के साथ कई पुण्यो की प्राप्ति होती है ।


पुरुषोत्तम मास में क्या नही करना चाहिए 


वाद विवाद ना करे 

इस विशेष महीने में कोशिस करे की आपका वाद विवाद और लड़ाई किसी से ना हो हो . यह महिना पूण्य कमाने का है अत: सात्विक कार्य करे और लोगो का दिल जीतने का ही प्रयास करे . 

तामसिक भोजन से दूर रहे 

इस महीने आपका आहार भी सात्विक होना चाहिए . भगवान की भक्ति करने से कई गुणा फल प्राप्त होता है और खाने में तामसिक भोजन , लहसुन प्याज ,  ज्यादा मसालों और शराब से दूर ही रहे . इसके साथ साथ बासी भोजन , पत्ता और फुल गोभी का भी त्याग करे . 

विवाह और मांगलिक कार्य ना करे 

खरमास में विवाह और मांगलिक कार्य भी नही किये जाते है . हालाकि कुछ महीने पहले ही देव शयनी एकादशी पर देवता सो गये है अत: तभी से 4 माह के लिए ये सभी मांगलिक कार्य बंद हो जाते है . 

इसके अलावा दुसरे शुभ कार्य जैसे नए गृह में प्रवेश , मुंडन आदि कार्य बंद हो जाते है . 

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सारांश 

  1. मित्रो अधिकमास क्या होता है और इसे धर्म कर्म के लिए क्यों मुख्य माना गया है . धार्मिक पुराणों में अधिकमास (मलमास ) को लेकर क्या महिमा बताई गयी है . क्यों तीर्थस्थलों में इस महीने सबसे ज्यादा श्रद्दालु आते है . यह सब बाते हमने आपको बताई . साथ ही आपने जाना कि इस साल 2023 में Adhikmas Dates Kya Hai और इसमे कौनसे काम हमें करने चाहिए . आशा करता हूँ कि आपको यह पोस्ट जरुर अच्छी लगी होगी .  

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