वृंदावन का गोपेश्वर मंदिर – भगवान शिव को बनना पड़ा गोपी

Vrindavan Gopeshwar Mahadev Temple .  विश्व का एकमात्र ऐसा शिव मंदिर जहा शिव की पूजा गोपी के रूप में की जाती है | यह मंदिर वृंदावन में गोपेश्वर मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है | इसका एक अन्य नाम गोपीनाथ मंदिर भी है | यह शिव कृष्ण की रास में शामिल होने के लिए गोपी बन कर आये थे |

गोपेश्वर मंदिर वृंदावन


एक दिन भोले भंडारी , बन के ब्रज की नारी

रास में आ गये | रास में आ गये

पार्वती भी मना कर हारी , ना माने त्रिपुरारी

वृंदावन आ गये | वृंदावन आ गये |

ऐसा बना दो मुझको , कोई ना जाने इस राज को

मैं हूँ सहेली तेरी , ब्रज राज को

लगा के बिंदिया , चाल चले मतवाली

वृंदावन आ गये |

रास में आ गये ,रास में आ गये

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गौ स्थल से बना गोपेश्वर

पुराण में बताया गया है की स्कंद पुराण के केदार खंड में गोपेश्वर को गोस्थल कहा गया है, माना जाता है कि गोपीनाथ मंदिर का स्वयंभू शिवलिंग अनंत काल से वहां है। उस समय यह स्थान एक घने जंगल से घिरा था, जिसका इस्तेमाल केवल चरवाहे मवेशियों को चराने के लिये किया करते थे। 

एक विशेष गाय प्रत्येक दिन शिवलिंग पर अपना दूध अर्पण कर जाती। चरवाहा चकित थे कि यह गाय दूध क्यों
नहीं देती है। एक दिन उसने उसका पीछा कर देखा कि वह अपना दूध भगवान शिव को स्वेच्छा से अर्पित करती थी। यही कारण था कि इस स्थान को गोस्थल कहा गया जो बाद में बदलकर गोपीनाथ के नाम पर गोपेश्वर (Gopeshwar ) हो गया।

 

गोपेश्वर मंदिर वृन्दावन

पौराणिक कथा – क्यों बने शिव कृष्ण के लिए गोपी

भगवान कृष्ण की बाल लीलाए इतनी आनंद देने वाली होती थी की सम्पूर्ण ब्रज उसके आनंद में डूब जाता था | कृष्ण जब बांसुरी की मधुर आवाज का संगीत निकालते थे तब सभी गोपियाँ दिव्य आनंद की स्थिति में चली जाती है | यह वही परमआनंद की दशा थी जिसे हजारो तप करके साधू संत प्राप्त करते थे | ऐसा ही एक बार हुआ जब नरमुंड माला पहनने वाले शिव अपनी साधना में थे | उन्हें कान्हा की मधुर बंसी की आवाज सुनाई दी जिसमे ब्रजवासी झूम झूम कर नाच रहे थे | तब शिव भी रास लीला में जाने के लिए उत्सुक हो उठे |

gopeshwar mahadev


शिव चले रास देखने

भगवान शिव भी इस रास के साक्षी बनने ब्रज आने लगे पर रास्ते में ही उन्हें नदी की देवी ‘वृनदेवी’ खड़ी ने रोक लिया | उन्होंने शिवजी को वहा जाने से मना कर दिया क्योकि उस जगह कोई पुरुष को जाने की अनुमति नही थी | यदि आप महिला के वस्त्र और श्रंगार में जा सके है तो मैं आपको जाने दूंगी |

भगवान शिव कृष्ण के प्रेम में गोपी बनने को भी तैयार हो गये | तब वृनदेवी ने उनके सामने गोपी वाले वस्त्र पेश कर दिए। शिव ने उन्हें पहना और नदी पार करके चले गए। यह रास में शामिल होने की उनकी बेताबी ही थी।

तो शिव को भी रास लीला में शामिल होने के लिए महिला बनना पड़ा। प्रेम, खुशी, उल्लास और आनंद का यह दिव्य नृत्य यूं ही चलता रहा।


 गोपेश्वर महादेव मंदिर खुलने तथा बंद होने का समय

यह मंदिर दुसरे मंदिरों की तरह ही नित्य दर्शन के लिए खुलता है . मंदिर में दोपहर में कुछ घंटो के लिए बंद रहता है 

ग्रीष्मकालीन समय तालिका 

सुबह 5 बजे से दोपहर 12 बजे तक , फिर शाम को 4.30 से रात 10 बजे तक . 

शीतकालीन  समय तालिका 

सुबह 5.30 बजे से दोपहर 12 बजे तक , फिर शाम को 4.30 से रात 9 बजे तक . 


गोपेश्वर महादेव मंदिर का मैप 


यह मंदिर वृंदावन के उत्तर में पड़ता है , इस मंदिर के आगे फिर यमुना नदी का केशी घाट है . वंशी बट और यमुना नदी के तट के बीच में पड़ता है . यह मंदिर वृंदावन में प्रसिद्ध है और सभी इसके बारे में जानते है . अत: इसे खोजना आसान है . यहा शिवलिंग का श्रंगार देवी और गोपी के रूप में पूरी तरह किया जाता है . 


गोपेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास 


यह मंदिर कितना पुराना है और यहा का शिवलिंग की क्या कहानी है यह तो पूरी तरह कोई नही जानता पर कहते है कि इस मंदिर का निर्माण श्री कृष्ण के पौत्र व्रजनाभ ने करवाया था . उसके बाद इसका कई बार जीर्णोधार किया जा चूका है . 

सारांश 

  1.  तो दोस्तों वृंदावन में गोपेश्वर मंदिर भगवान शिव का सबसे अनोखा मंदिर है जहाँ भगवान नारी के रूप में गोपी के रूप में विराजित है . यह उनकी महान लीला के कारण हुआ है जो द्वापर में श्री कृष्ण के बाल रूप के दर्शन करने गोपी रूप में आये थे .  आशा करता हूँ कि आपको यह आर्टिकल जरुर पसंद आया होगा .

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