आंवले के पेड़ की उत्पति कैसे हुई – पौराणिक कथा

Story behind birth of Phyllanthus emblica (Amla Tree)  हमारे सनातन धर्म में हर प्राकृतिक चीजे पूजनीय है क्योकि उनका निर्माण किसी ना किसी प्रयोजन के लिए भगवान ने किया है . इसमे एक है निस्वार्थ भाव से अपनी सेवा देने वाले पेड़ . हिन्दू धर्म में कई पेड़ पूजनीय है जो अपनी विशेषता और पौराणिक कथाओ के द्वारा देवता तुल्य समझे जाते है . 

आंवले के पेड़ की उत्पति कैसे हुई

आज हम बात करेंगे आंवले के पेड़ की और उसके महत्व और महिमा को जानेंगे . 

कार्तिक मास की शुक्ल नवमी पर आंवले की पूजा अक्षय नवमी (आंवला नवमी ) के रूप में की जाती है |

कैसे उत्पन्न हुआ आंवले का पेड़ 

पूर्वकाल में समस्त संसार जब जलविलीन था तब ब्रहमा जी प्रब्रह्मा (विष्णु जी ) के ध्यान में मग्न  थे | नारायण भगवान  ध्यान में उनके आगे का श्वास निकला और फिर भगवत दर्शन की कामना और ख़ुशी में उनकी आँखों से आंसू निकल गये | यह तब आये जब उनकी तपस्या पूर्ण हुई और नारायण ने उन्हें अपने दर्शन दिए .  यह आंसू की बूंद पृथ्वी पर गिरी और इसने आंवले के पेड़ का रूप ले लिया | 

अत: ब्रह्मा जी के भगवत सुमिरण करते हुए जो प्रेम विभोर आंसू जमीन पे गिरे उनसे आंवले का पेड़ बना . 

आंवले के पेड़ की महिमा


इस वृक्ष से कई शाखाये और उपशाखाये निकली | समस्त ब्रह्माण्ड में सबसे पहले पेड़ो में आंवले के पेड़ (Phyllanthus emblica) ही उत्पन्न हुआ अत: इसे आदिरोह के नाम से भी जाना जाता है | इस पेड़ के बाद ही ब्रह्मा जी ने मनुष्य और देवताओ को उत्पन्न किया था |

पढ़े : आंवला नवमी की कहानी – आंवले के दान से मिला हर सुख

यही पेड़ भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है | इसे सभी पेड़ो में सबसे उत्तम बताया गया है |

आंवले के पेड़ की पूजा से शिव और विष्णु की होती है पूजा

हम सभी जानते है भगवान विष्णु को तुलसी का पौधा अत्यंत प्रिय है तो महादेव शिव को बिल्व का पेड़ | इन दोनों पेड़ो के गुणों का मिश्रित रूप आंवले का पेड़ है | अत: इस पेड़ की पूजा से शिव और विष्णु की पूजा का फल प्राप्त होता है | यह सार स्वयं माँ लक्ष्मी ने बताया था |

आंवले का धार्मिक महत्व – Religious Beliefs on Amla Tree

इस पेड़ की महिमा इतनी बड़ी है कि इस पेड़ के स्मरण मात्र से ही गोदान का फल प्राप्त हो जाता है | इसके दर्शन से दुगुना और इसके फल को खाने से तिगुना फल मिलता है | इस पेड़ की पूजा करने से व्यक्ति के पाप नष्ट होते है और समस्त कामनाओ की पूर्ति होती है |

शास्त्रों में बताया गया है कि जो व्यक्ति कार्तिक मास की नवमी और चतुर्दशी को इस पेड़ के निचे आंवले की महिमा की कथा सुनता है , इसी पेड़ के निचे भोजन करता है उसका बहुत कल्याण होता है | कार्तिक मास में हर संध्या आंवले के पेड़ के निचे दीपदान करने से उसके जीवन में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है |

आंवले के पेड़ के निचे किया गया दान कोटि गुना पुन्य देने वाला होता है |

आंवले से जुड़ा पर्व आंवला नवमी 

कार्तिक मास की शुक्ल नवमी को आंवले के पेड़ की पूजा अर्चन की जाती है और उन्हें भगवान विष्णु का स्वरुप माना जाता है . इस दिन महिलाये आंवले के पेड़ की पूजा करती है और उसके परिक्रमा करती है .

साथ ही इस दिन आंवले के दान का अत्यंत फल प्राप्त होता है और इस दिन आंवले का सेवन करना स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त किया जाता है .

इस साल आंवला नवमी का पर्व 21 नवम्बर 2023  को आ रही है.  


सारांश 

  1. हिन्दू धर्म में आई पौराणिक कथा के अनुसार कैसे आंवले के पेड़ का जन्म हुआ  और क्यों इसे विष्णु का स्वरुप माना जाता है .आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी. 

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