पोंगल त्योहार क्या है और इसे कैसे मनाते है
दक्षिण भारत में तमिलनाडु, केरल और आंध्रप्रदेश का प्रसिद्ध त्योहार पोंगल है जिसका अर्थ है उबालना | इसका अन्य नाम है नया साल | इस दिन उबले चावल के साथ गुड़ का भोग सूर्य देवता को लगाया जाता है | यह भी लोहड़ी की तरह प्रकृति को समर्पित फसलों की कटाई के बाद बनाया जाने वाला पर्व है | यह मुख्य रूप से फसल की कटाई और किसानो से जुड़ा पर्व है | उत्तर भारत में इस समय मकर संक्रांति का पर्व का महत्व है |
दोस्तों इंग्लिश में ऐसे पर्व को हार्वेस्ट फेस्टिवल कहते है जो किसान और फसलो से जुड़ा होता है .
पोंगल 2024 कब है
साल 2024 में पोंगल चार दिवसीय पर्व के रूप में 14 January से 17 January तक मनाया जायेगा |
कैसे मनाते है पोंगल
दोस्तों पोंगल की तैयारी नए साल से ही शुरू हो जाती है . लोग अपने घरो में सफाई करते है और नए कपडे खरीदते है और पोंगल के दिनों में एक दुसरे को बधाई देकर उपहार साझा करते है. घर में कई मिष्टान बनाये जाते है और एक दुसरे के उन्नति की कामना की जाती है .
पोंगल के दिन में पुरानी और यूज़लेस चीजो को इकट्टा करके जला दिया जाता है . पोंगल चार दिन का पर्व है जिसमे हर दिन अलग अलग तरह से उत्सव मनाया जाता है जो हम आपको निचे विस्तार से बता रहे है .
चार दिन मनाते है पोंगल
चार तरह के पोंगल क्रमशः इस प्रकार है -भोगी पोंगल (इंद्र ) ,सूर्य पोंगल ,मट्टू पोंगल (नंदी ) और कन्या पोंगल।
पहले दिन भोगी पोंगल में वर्षा के देवता इन्द्रदेव की पूजा की जाती है। अच्छी वर्षा और फसल के लिए सबसे पहले इनकी याद में पहला दिन पोंगल का बनाया जाता है |
दूसरा पोंगल सूर्य देवता को समर्पित होता है | इसमे मुख्य नए धान का सूर्य को भोग लगाने की प्रथा है | नए बर्तन में मुंग , नया धान , चावल रखा जाता है फिर उसमे गुड़ डालकर सूर्य देवता को भोग लगाया जाता है |
तीसरा पोंगल मट्टू यानि शिव वाहन नंदी की पूजा का पर्व है | फसलो की अच्छी पैदावार के लिए बैल भी किसान का सबसे बड़ा साथी है | अत: इस दिन शिव और उनके नंदी बैल की पूजा की जाती है | इस पर्व के पीछे अपने पालतू जानवर गाय , बैल , बकरी , भैंस की पूजा का विधान होता है जो किसानो की सहायक और डेयरी उत्पाद देने वाले जीव है .
चौथा पोंगल कनु या कनुम कहलाता है जिसका अर्थ होता है यात्रा करना . यह अंतिम दिन होता है उत्सव का जिसमे लोग एक दुसरे के घर जाकर बधाई देते है और इस दिन पोंगल का पर्व समापन हो जाता है .
सारांश
- दक्षिण भारत का मुख्य पर्व पोंगल कैसे मनाया जाता है और इसके पीछे क्या कारण है . आशा करता हूँ आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी.
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