गढ़ कालिका मंदिर उज्जैन

Garh kalika temple ujjain, tantra mantra place उज्जैन धार्मिक शिव नगरी के कालीघाट स्थित कालिका माता अत्यंत प्राचीन मंदिर को गढ़ कालिका (Gadh Kalika Temple Ujjain ) के नाम से जाना जाता है। देवियों में कालिका को सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। गढ़ कालिका के मंदिर में मां कालिका के दर्शन के लिए रोज हजारों भक्तों की भीड़ जुटती है।इस मंदिर में मुख्य दर्शन माँ के मुख के होते है जिनकी लाल जिव्हा बाहर निकली हुई है |

gadh kalika mandir ujjain


मंदिर का इतिहास

तांत्रिकों की आराध्य देवी का यह मंदिर कितना पुराना है इसके बारे में कोई नही जानता | यहा लगी मूर्ति सतयुग काल की है जबकि मंदिर का निर्माण द्वापर युग में हुआ बताया गया है । कलियुग में इस मंदिर का जीर्णोद्धार सम्राट हर्षवर्धन द्वारा करवाया गया है । मंदिर के प्रवेश-द्वार के आगे ही सिंह वाहन की प्रतिमा बनी हुई है।

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कालिदास थे यहा के परम भक्त

महाकवि कालजयी कालिदास जी की यह परम आराध्य देवी थी | माँ के चमत्कार से ही उनके व्यक्तित्व में निखार आया उन्होंने काव्य के क्षेत्र में बहुत नाम कमाया | कालिदास रचित ‘श्यामला दंडक’ महाकाली स्तोत्र एक सुंदर रचना है जो उनका सबसे पहला स्त्रोत बताया गया है |

भगवान राम से भी जुड़ी है इसकी कथा

लिंग पुराण में कथा है कि जिस समय रामचंद्रजी युद्ध में विजयी होकर अयोध्या धाम  जा रहे थे, वे रुद्रसागर तट के निकट ठहरे थे। इसी रात्रि को भगवती कालिका भक्ष्य की शोध में निकली हुईं इधर आ पहुंचीं और हनुमान को पकड़ने का प्रयत्न किया, परंतु हनुमान ने महान भीषण रूप धारण कर लिया। तब देवी डरकर भागीं। उस समय अंश गालित होकर पड़ गया। जो अंश पड़ा रह गया, वही स्थान कालिका के नाम से विख्यात है।

इसी मंदिर के निकट लगा हुआ स्थिर गणेश का प्राचीन और पौराणिक मंदिर है। इसी प्रकार गणेश मंदिर के सामने भी एक हनुमान मंदिर प्राचीन है, वहीं विष्णु की सुंदर चतुर्मुख प्रतिमा है। खेत के बीच में गोरे भैरव का स्थान भी प्राचीन है। गणेशजी के निकट ही से थोड़ी दूरी पर शिप्रा नदी की पुनीत धारा बह रही है। इस घाट पर अनेक सती की मूर्तियां हैं। उज्जैन में जो सतियां हुई हैं; उनका स्मारक स्थापित है। नदी के उस पार उखरेश्वर नामक प्रसिद्ध श्मशान-स्थली है

यहां पर नवरा‍त्रि में लगने वाले मेले के अलावा भिन्न-भिन्न मौकों पर उत्सवों और यज्ञों का आयोजन होता रहता है। मां कालिका के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।

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शक्तिपीठो में शामिल 

उज्जैन में हरसिद्धि माता का मंदिर श्क्तिपीठो में शामिल है जो भारत और भारत के पडोसी देशो में मिलाकर 51 है पर बहुत से लोगो का कहना है कि गढ़कालिका मंदिर भी सती के शक्तिपीठो में एक है .

उनका मानना है कि इस जगह माँ सती के होठ गिरे थे और यहा शक्तिपीठ की स्थापना हुई थी जबकि हरसिद्धि मंदिर की तरह माँ की दायिनी कोहनी गिरी थी .

तांत्रिको की प्रसिद्ध स्थली है यह मंदिर

उज्जैन में गढ़कालिका मंदिर एक सिद्ध तांत्रिक स्थल भी है . नवरात्रि में यहा भारत भर से तांत्रिक आकर माँ के दर्शन और शक्ति साधना करते है . दशहरे पर यहा निम्बू का प्रसाद बांटा जाता है . 

नवरात्रि के अगले दिन दशमी पर यहा कपडे से बने नर मुंड माँ काली को चढ़ाये जाते है . 

नवरात्रि में माँ के अद्भुत और अनोखे अलग अलग तरह के श्रंगार हर दिन किये जाते है जो बहुत ही गजब के होते है . 


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