बसंत पंचमी 2024 कब है और जाने माँ सरस्वती की पूजन विधि

Basant Panchami 2024  Importance In Hindu Religion यह त्यौहार ज्ञान संगीत की देवी माँ सरस्वती की याद में मनाया जाता है | हिन्दू धर्म में माँ सरस्वती को ज्ञान की गंगा , संगीत और कला की देवी का परम स्थान प्राप्त है | इसी दिन माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी देवी माँ सरस्वती का अवतरण सृष्टि के सृजनकर्ता ब्रह्माजी ने किया था |

basant panchami par saraswati puja


ब्रह्माजी ने सबसे पहले सृष्टि की रचना की फिर मनुष्य की | फिर उन्होंने वाणी की देवी सरस्वती को अपने कमंडल से जल छिड़क कर उत्पन्न किया और सृष्टि में फिर वाणी का बोध हुआ | इसी कारण सरस्वती को वाणी की देवी कहा जाता है |

वसंत पंचमी त्यौहार 2024 का दिन और मुहर्त :

इस साल बसंत पंचमी 13 फरवरी को दोपहर दो बजकर 9 मिनट पर शुरू हो रही है और फिर अगले दिन 13 फरवरी  को दोपहर 12 बजे 9 मिनट पर खत्म होगी . अत : सूर्योदय पंचमी का 14 फरवरी को होगा अत: 14 फरवरी को ही बसंत पंचमी मनाई जाएगी . 

सरस्वती पूजा का समय : - 

माँ सरस्वती की पूजा का समय 14 फरवरी 2024 में ब्रह्म मुहूर्त से लेकर 12 बजे तक का है अत: सुबह की पूजा ही सबसे उत्तम रहेगी . 

वसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजन का महत्व : यह सर्व साधारण सी बात है की जो देवी देवता जिस क्षेत्र में शक्तिशाली है उनकी उनके समर्प्रित दिन पर पूजा पाठ करने से वो अति प्रसन्न होकर हमें कृपा करते है | इस दिन पूजनकर्ता को कला और ज्ञान के क्षेत्र में सफल होने का आशीष प्राप्त होता है | मनुष्य में ज्ञान का संचार और वाणी में मधुरता आती है |

कैसे करे माँ सरस्वती की पूजा वसंत पंचमी पर

सुबह ब्रह्म मुहूर्त में सूर्योदय से पूर्व नहाकर स्वच्छ पीले या श्वेत वस्त्र पहने और अपने बच्चो को भी इसी तरह तैयार करे | उचित मुहर्त पर पूजन पाठ शुरू करे |

पूजन के लिए यह चीजे जरुरी है –

★ क लकड़ी की चौकी और लाल वस्त्र

★ माँ सरस्वती की तस्वीर या मूर्ति

★ घी का दीपक , मोली रोली, इत्र

★ श्वेत पुष्प , गुलाब पुष्प और गुलाब माला

★ भोग के लिए खीर, सफ़ेद मिठाई और पीले मीठे चावल (अपनी श्रद्दा से इनमे से जो सही लगे वो )

★ नयी पुस्तक और कलम

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बसंत पंचमी पूजन विधि :

सर्वप्रथम माँ सरस्वती की जगह साफ़ जल से पोछा लगाकर शुद्ध करे , फिर चौकी लगाये और उसपे लाल वस्त्र बिछाकर माँ सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर लगा दे | पास में श्री गणेश की तस्वीर लगाये | प्रथम पूज्य देवता गणेश जी और सरस्वती दोनों ही ज्ञान और बुद्धि के देवता है और गणेश जी हर पूजन कार्य में सबसे पहले पूजे जाते है |


अब इन दोनों देवी देवताओ का आचमन करके स्नान कराये | दूर्वा से स्नान शुद्ध जल के छीटे देकर करा दे | फिर इन्हे सफ़ेद पुष्पों की माला पहनाये , पुष्प अर्पित करे और इत्र छिडके | फिर उन्हें भोग अर्पित करे | और फिर गणेश स्तुति के बाद माँ सरस्वती की आरती चालीसा का पाठ करे | और फिर अंत में ज्ञान विद्या और कला के लिए माँ से वंदना करे | नयी कलम और पुस्तक पर रोली मोली से पूजा कर कलम से पुस्तक पर श्री गणेशाय नमः , ॐ श्री सरस्वत्यै नमः लिखे | रोली से स्वस्तिक बनाये और चावल चढ़ाये |

हो सके तो आज माँ सरस्वती के नाम का व्रत रखे और शाम को ही खोले |

रात्रि में फिर से माँ की चौकी पर धुप दीपक करे और फिर जाप करे 108 नाम माँ सरस्वती के |

बसंत पंचमी की पूजा से लाभ 


जो व्यक्ति बसंत पंचमी पर माँ सरस्वती की पंचोपचार पूजा अर्चना दिल से करता है वो कला , विद्या के क्षेत्र में बहुत तरक्की प्राप्त करता है . बहुत से माता पिता बसंत पंचमी के दिन से अपने बच्चे को स्कूल में एडमिशन करवाते है जिससे की उसे विद्या की देवी की कृपा मिले .

हमें पूर्ण आशा है की माँ आपकी वसंत पंचमी की पूजा (Basant Panchami Pooja ) से प्रसन्न होकर आप पर कृपा बढ़ाएगी |

|| जय माँ सरस्वती ||

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