साई बाबा से जुड़े प्रश्न उत्तर

Important Questions and Answers Regards Sai Baba . 

साई बाबा की महिमा दिन प्रतिदिन बढती जा रही है और यही कारण है कि भारत के टॉप 10 मंदिरों में साई समाधी मंदिर का नाम भी आता है . साई बाबा को बहुत से भक्त भगवान का अवतार बताते है जो हिन्दू मुस्लिम एकता को बढ़ाने के लिए आये थे . 

sai baba Questions and Answers

अपने भक्तो के बीच रह कर उन्होंने बहुत से चमत्कार किये और उन्हें ज्ञानवर्धक शिक्षाए दी . 

आज हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि साईं बाबा से जुड़े मुख्य प्रश्न उत्तर जिससे की आप साई बाबा और शिर्डी को अच्छे से जान सके . 

शिर्डी के आस पास दर्शनीय स्थल और घुमने की जगहे कौनसी है 


साई बाबा हिन्दू थे या मुस्लिम ?

दोस्तों इस प्रश्न का उत्तर देना बहुत ही कठिन है . साई बाबा का पहनावा और अल्लाह मालिक कहना उनके मुस्लिम होने को बताता है जबकि मस्जिद का नाम द्वारकामाई रखना , हनुमान मंदिर में भजन कीर्तन करवाना और दीपावली और बाकि दिनों में दीपक जलाना हिन्दू होने का प्रमाण देता है . 

इन्हे कुरान की आयते भी याद थी तो गीता के श्लोक भी . 

साई बाबा के लिए दोनों धर्म ही आदरणीय थे . वे बस एक ही ईश्वर के होने की बात करते थे जिन्हें वो मालिक कहते थे . इनके जन्म और माता पिता के बारे में कोई नही जानता . 


साई बाबा शिर्डी कब आये थे ?

साई बाबा पहली बार शिर्डी महज 16 साल की उम्र में आये थे . उनके शिर्डी आने का कारण उनकी गुरु की समाधी थी जो एक नीम के पेड़ के पास थी . शिर्डी आकर वे इस समाधी का ध्यान करते हुए तप करने लगे . 

लोगो ने कई दिनों तक उन्हें भूखे प्यासे समाधी करते हुए देखा तो उनसे पूछा तो उस बालक ने उन्हें अपने गुरु की समाधी की बात बताई . 

लोगो के होश तब उड़ गये जब उन्होंने वो जमीन खोदी और उन्हें जलते हुए दीपक दिखाई दिए .  

साई बाबा की उड़ी प्रसादी क्या है ?

साई बाबा ने लोगो के कष्ट हरने के लिए और उन्हें स्वास्थ्य लाभ देने के लिए  तरह तरह की औसदियो से एक कुण्ड में आग प्रज्ज्वलित की . यह आग 150 सालो से अभी भी लगातार जल रही है और इससे जो राख उत्पन्न होती है उसे साई उड़ी कहा जाता है . 

साई भक्त शिर्डी में द्वारकामाई ने इस धुनी के दर्शन करते है और वहा से उड़ी प्रसाद लेते है . 

साई बाबा की पूजा का विशेष दिन 

शिर्डी में स्थित समाधी मंदिर में हर गुरूवार , शनिवार और रविवार को भक्तो की अपार भीड़ दर्शनार्थ  आती है . 

इन सबमे सबसे बड़ा दिन गुरुवार को माना गया है , गुरुवार इसलिए क्यों कि गुरु के रूप में साईं बाबा की पूजा गुरुवार को होती है . जबकि शनिवार और रविवार छुट्टी के दिन होते है इसलिए साई बाबा के मंदिर में भक्तो की भीड़ उमड़ पड़ती है . 

गुरूवार को साई बाबा के लिए व्रत रखा जाता है और विशेष पूजा अर्चना की जाती है . 

साई बाबा ने कब ली महासमाधी 

साईं बाबा ने महा समाधी 83 साल की उम्र में 15 अक्टूबर सन् 1918 को ली थी . यह दिन विजयदशमी का था . यही कारण है कि इस दिन को महाप्रयाण दिवस भी कहा जाता है .  इनके मृत शरीर को जलाया नही बल्कि दफना कर समाधी बना दी गयी और अब उसी समाधी के ऊपर शिर्डी में समाधी मंदिर आप लोग देख रहे है . 

साई महासमाधी

समाधी के पीछे साई बाबा की संगमरमर की मूर्ति स्थापित की गयी है . 

साई बाबा की दो अनमोल शिक्षाए क्या थी ? 

साई बाबा की दो अनमोल शिक्षाए थी , श्रद्धा और सबुरी . 

श्रद्धा का अर्थ है कि अच्छी और समर्पित भावना जबकि सबुरी का अर्थ है - सब्र करना . 

साई बाबा ने अपने भक्तो को सन्देश दिया कि सब्र और सबुरी रखकर वे ईश्वर के समीप जा सकते है . 

साई का कहना था कि ईश्वर पर हमेशा विश्वास रखे और सब्र रखे वो आपकी विनती को जरुर सुनेगा . 

साई बाबा के प्रिय भोग कौनसे है 

बाबा साई को आप पूजा के उनके प्रिय भोग का प्रसाद जरुर लगाये . इस भोग में आप आटे , सूजी या बेसन से बना हलवा अर्पित कर सकते है , इसके साथ बाबा साई के लगने वाले प्रिय भोग में चावल दाल से बना खिचड़ा और पालक की सब्जी भी शामिल है .

साथ ही भोग के साथ आपके मन के भाव भी श्रद्धा और सबुरी से भरे हुए होने चाहिए . 

साई बाबा का पारिवारिक रिश्ता किसके साथ था ? 

साईं बाबा के माता पिता का नाम कोई नही जानता , ना ही किसी को यह पता है कि वो हिन्दू थे या मुस्लिम .

साई बाबा को जब लोग मुस्लिम कहते तो वो गीता की गुप्त बातें बताकर खुद की पहचान बता दिया करते थे , और जब कोई उन्हें हिन्दू कहता तो वो कुरान की आयतों सुना दिया करते थे . 

साई बाबा का मानव को एक सीधा सा सन्देश था कि जात पात तो मनुष्यों की देन है . ईश्वर ने तो सभी को इंसान के रूप में पैदा किया था तब यहा धरती पर आकर वो क्यों मजहब और धर्म में बंट गये . 


शिर्डी में कुछ लोगो ने उन्हें अपने परिवार की सदस्यों के रूप में ही देखा था जिसमे सबसे पहले नाम आता है बैजा बाई का . बैजा बाई साई बाबा   को अपने पुत्र के समान ही मानती थी और उनकी देखभाल करती थी . 


Conclusion (निष्कर्ष )

दोस्तों इस तरह इस आर्टिकल के माध्यम से आपने साई बाबा से जुड़ी रोचक बातें प्रश्न उत्तर के माध्यम से जान लिया है . आशा करता हूँ की यह पोस्ट आपको बहुत ज्ञानवर्धक लगी होगी और आपके साई ज्ञान को बढ़ाएगी . 

यदि आपके कोई प्रश्न उत्तर रह गये है तो आप हमें निचे दी गयी ईमेल पर मेल कर सकते है , हम यथासंभव आपके प्रश्नों के उत्तर देने की कोशिश करेंगे . 

इस आर्टिकल को साईं भक्तो के साथ शेयर जरुर करे जिससे की साई की महिमा का वो भी रस पान कर सके . 

हमें ईमेल करे - factniks@gmail.com 

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