भारत के मुख्य पवित्र धार्मिक पर्वत

Bharat Ke Dharmik Aur Pouranik Parvat Kounse Hai . हिन्दू धर्म में भगवान को कण कण में बताया गया है | हम प्रकृति में भी देवता को देखते है | हमने पहले आपको बताया था की हिन्दू धर्म में वे 10 पवित्र और धार्मिक पेड़ जिनका पूर्ण सम्मान और वंदना की जानी चाहिए | भारत की पवित्र नदियों के बारे में भी बताया गया है | आज हम बात करेंगे उन धार्मिक और देवता तुल्य पर्वतो की जिनका जिक्र पुराणों में भी मिलता है | ये सभी पूजनीय और वन्दनीय है है और इन पहाड़ो पर देवताओ का वास बताया गया है | आइये जाने इनकी कथा महत्व और महिमा के बारे में |

bhart ke prasidh parvat kounse hai




1. हिमालय पर्वत (Himalaya Parvat)

हिमालय भारत के सबसे पवित्र पर्वतों में से एक है। हिमालय की श्रृंखलाओं में अनेक धार्मिक स्थल भी हैं। इनमें हरिद्वार, बद्रीनाथ धाम , केदारनाथ, गोमुख, देव प्रयाग, ऋषिकेश, कैलाश मानसरोवर तथा अमरनाथ प्रमुख हैं। यहा से भारत की पवित्र और धार्मिक नदियाँ बहती है | । पुराणों में इन्हे पर्वतराज हिमालय के नाम से प्रसिद्धि प्राप्त है | इन्हे भगवान शिव का ससुर और माँ पार्वती का पिता बताया गया है |

यह पर्वत तीन समानांतर श्रेणियों- महान हिमालय, मध्य हिमालय और शिवालिक से मिलकर बना है जो पश्चिम से पूर्व की 2500 किमी की लंबाई तक फैला है |

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2. विंध्याचल पर्वत (Vindhyachal parvat)

यह भारत के पवित्र पर्वतों में से एक है। हिमाचल के समान इसका भी धर्मग्रंथों एवं पुराणों में विस्तृत उल्लेख मिलता है। विंध्याचल पर्वत शृंखला भारत के पश्चिम-मध्य में स्थित प्राचीन गोलाकार पर्वतों की श्रृंखला है जो भारत उपखंड को उत्तरी भारत व दक्षिणी भारत में बांटती है। इस श्रृंखला का पश्चिमी अंत गुजरात में पूर्व में वर्तमान राजस्थान व मध्य प्रदेश की सीमाओं के नजदीक है।

Vindayachal Parvat


पुराणों के अनुसार इस पर्वत ने सुमेरू से ईर्ष्या रखने के कारण सूर्यदेव का मार्ग रोक दिया था और आकाश तक बढ़ गया था, जिसे अगस्त्य ऋषि ने नीचे किया। यह शरभंग, अगस्त्य इत्यादि अनेक श्रेष्ठ ऋषियों की तपोस्थली रहा है।

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3.गोवर्धन पर्वत (Govardhan parvat)

गोवर्धन उत्तर प्रदेश के कृष्ण जन्मस्थली मथुरा जिले में स्थित एक पवित्र पर्वत है। यह भगवान श्रीकृष्ण की लीलास्थली है। यहीं पर भगवान श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में ब्रजवासियों को इन्द्र के प्रकोप से बचाने के लिये गोवर्धन पर्वत अपनी तर्जनी अंगुली पर उठाया था। 

गोवर्धन पर्वत को भक्तजन गिरिराज जी महाराज भी कहते हैं। गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा का अत्यंत महत्व है जिसे करने भक्त दूर दूर से आते है | यह परिक्रमा दानघाटी मंदिर से शुरू होती है और यही पर खत्म | परिक्रमा 21 किमी की बताई जाती है |

समय के साथ साथ गोवर्धन पर्वत विलुप्त होता जा रहा है , कहते है जब गोवर्धन पर्वत पूर्ण रूप से विलुप्त हो जायेगा तब कलियुग का अंत हो जायेगा . 

4. कैलाश पर्वत (Kailash Parvat)


कैलाश पर्वत तिब्बत में स्थित एक पर्वत श्रेणी है जिसे शिव निवास स्थान भी कहा जाता है । इसके पश्चिम तथा दक्षिण में मानसरोवर तथा रक्षातल झील हैं। पुराणों के अनुसार भगवान अनेक देवताओं, राक्षसों व ऋषियों ने इस पर्वत पर तप किया है।

 जनश्रुति है कि आदि शंकराचार्य ने इसी पर्वत के आसपास शरीर त्यागा था। इस पर्वत के पास आलौकिक शक्ति महसूस होती है | आज तक कोई मनुष्य इस पर चढ़ नही पाया है | सूर्य की किरणे जब इस पर्वत पर गिरती है तो यह स्वर्ण की तरह चमक उठता है | यह आस्था को बढ़ाने वाला नजारा होता है |


5. गब्बर पर्वत (Gabbar parvat)

गब्बर पर्वत भारत के गुजरात में बनासकांठा जिला स्थित एक छोटा सा पहाड़ी टीला है। यह प्रसिद्ध तीर्थ अम्बाजी से मात्र 5 कि.मी की दूरी पर गुजरात एवं राजस्थान की सीमा पर स्थित है। यहीं से अरासुर पर्वत पर अरावली पर्वत से दक्षिण पश्चिम दिशा में पवित्र वैदिक नदी सरस्वती का उद्गम भी होता है।

यह प्राचीन पौराणिक 51 शक्तिपीठों में से एक गिना जाता है। पुराणों के अनुसार यहां सती शव का हृदय भाग गिरा था। इसका वर्णन तंत्र चूड़ामणि में भी मिलता है। मंदिर तक पहुंचने के लिये पहाड़ी पर 999 सीढिय़ां चढ़नी पड़ती हैं। पहाड़ी के ऊपर से सूर्यास्त देखने के अनुभव भी बेहतरीन होता है।


6. चामुंडा पहाड़ी (Chamunda pahadi)

चामुंडा पहाड़ी मैसूर का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है। यह मैसूर से लगभग 13 किमी दक्षिण में स्थित है। इस पहाड़ी की चोटी पर चामुंडेश्वरी मंदिर है, जो देवी दुर्गा को समर्पित है। यह मंदिर देवी दुर्गा की राक्षस महिषासुर पर विजय का प्रतीक है। मंदिर मुख्य गर्भगृह में स्थापित देवी की प्रतिमा शुद्ध सोने की बनी हुई है। इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में किया गया था।


मंदिर की इमारत सात मंजिला है जिसकी ऊंचाई 40 मी. है। मुख्य मंदिर के पीछे महाबलेश्वर को समर्पित एक छोटा सा मंदिर भी है जो 1000 साल से भी ज्यादा पुराना है। पहाड़ की चोटी से मैसूर का मनोरम दृश्य दिखाई पड़ता है। मंदिर के पास ही महिषासुर की विशाल प्रतिमा रखी हुई है।

7. माउंट आबू (Mount Abu)


माउंट आबू राजस्थान के सिरोही जिले में स्थित एक प्रसिद्ध हिल स्टेशन है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक यहा हिन्दू धर्म के 33 कोटि देवी देवताओ का वास है । यह महान पर्वत कई साधू संतो की तपोस्थली रहा है | त्रिदेवो के अवतार भगवान दत्तात्रेय ने यही तपस्या की थी | ऋषि वशिष्ठ ने इस पर्वत पर यज्ञ आयोजित किया था |

यह पर्वत को प्राचीन काल में अर्बुदा-पर्वत कहा गया है जो की एक शक्तिपीठ माँ का नाम है | अर्बुदा शक्तिपीठ |

8. त्रिकुटा पर्वत (Trikuta Parvat )

इस पर्वत पर भारत के उत्तर दिशा का सबसे बड़ा मंदिर वैष्णो देवी का स्तिथ है | यहा हर साल लाखो भक्त माँ के बुलावे पर दर्शन करने आते है | वैष्णो देवी को पहाड़ो वाली माँ , त्रिकुटा महारानी आदि नाम से पुकारा जाता है | कथा के अनुसार भक्त श्रीधर को वैष्णो देवी की तीन पिण्डियो के दर्शन इसी पर्वत की गुफा में हुए थे |


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सारांश 

  1.  तो सनातन प्रेमियों  इस आर्टिकल में आपने जाना भारत के पौराणिक धार्मिक पर्वतो के बारे में जिनकी महिमा पुराणों में बताई गयी है . इन पर्वतो को आज भी देवता तुल्य समझकर पूजा जाता है . पर्वत वर्षा और नदियों के लिए सबसे जरुरी होते है और जीवन दाता है .  

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