गोदावरी नदी का पौराणिक महत्व और अवतरण कथा

Religious Importance of Godawari River in India . भारत की संस्कृति में साधू संतो , देवी देवताओ के साथ प्राकृतिक चीजो का भी बहुत पौराणिक महत्व रहा है | हमारे शास्त्रों में इनके लिए कई धार्मिक प्रसंग आये है | भारत की पवित्र नदियाँ , भारत के धार्मिक पर्वत भी अपने प्रसंगों और कथाओ के कारण पूजनीय रहे है | आज इसी सन्दर्भ में हम आपको गोदावरी नदी की महिमा के बारे में बताने जा रहे है | आप इस पोस्ट में जानेंगे कि कैसे माँ गोदावरी धरती पर आई और इसके पीछे कौनसी कथा शास्त्रों में बताई गयी है |

godawari nadi ka pouranik mahtav

गोदावरी नदी का संक्षिप्त परिचय :

गोदावरी नदी को दक्षिण भारत की गंगा कहा जाता है | इसका नामकरण भी महा तपस्वी गौतम ऋषि की महातपस्या के कारण हुआ था | अत: उन्ही के नाम पर इस पवित्र नदी का नाम गोदावरी रखा गया | यह नदी लगभग 1440 कि.मी. की है जो दक्षिण भारत में पश्चिमी घाट से लेकर पूर्वी घाट तक प्रवाहित होती है | यह महाराष्ट, तेलंगना और आंध्र प्रदेश से बहते हुए राजहमुन्द्री शहर के निकट से बंगाल की खाड़ी मे जाकर मिलती है। गोदावरी नदी की काफी गहराई है। इसकी औसत गहराई 17 फीट और अधिकतम गहराई 62 फीट है।

गोदावरी का उद्गम स्थल :

भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है नासिक के पास त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग | त्रयंबकेश्वर के बाद और नासिक से पहले चक्रतीर्थ नामक एक कुंड है जो ब्रम्ह्गिरी पर्वत के निकट है | इसी जगह से गोदावरी का उद्गम होता है | इस नदी के जल से स्नान करके त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से महा पूण्य की प्राप्ति होती है |

godawari river origin

शास्त्रों में इस नदी के लिए यह श्लोक बताया गया है :-

सप्तगोदावरी स्नात्वा नियतो नियताशन: ।

महापुण्यमप्राप्नोति देवलोके च गच्छति ॥


श्लोक का अर्थ :-  इसका अर्थ है कि जो व्यक्ति सप्त गोदावरी में स्नान करता है उससे महापूण्य की प्राप्ति होती है और वह व्यक्ति जीवन के अंत के बाद फिर देव लोक को गमन करता है .

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क्यों धरती पर अवतरित हुई गोदावरी नदी – पौराणिक कहानी

Hindi Story Of Godavari River . एक समय की बात है नासिक के पास ही महर्षि गौतम का आश्रम था | वे बहुत सिद्ध पुरुष थे पर कुछ दुष्ट लोगो को वे हमेशा खटकते थे | उन लोगो ने एक साजिस रची और गौ हत्या का पाप महर्षि गौतम पर लगा दिया | अपने ऊपर लगे हुए इस झूठे महापाप का सच्च लाने के लिए ऋषि ने भगवान शिव की घोर तपस्या की | जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और वर मांगने के लिए कहा |

तब गौतम ऋषि ने वरदान के रूप में इस जगह गंगा के अवतरण की बात कही और अपने ऊपर लगे आरोप को गलत साबित करने की मांग की | उनकी विनती तो भोलेनाथ ने स्वीकार कर लिया और गोदावरी के रूप में अनवरत गंगा धार बहने लगी | तभी से इसे दक्षिण की गंगा पुकारा जाता है |

गोदावरी नदी की कहानी

गोदावरी नदी की सहायक शाखाये

गौतमी , वसिष्ठा , आत्रेयी , कौशिकी , भारद्वाजी , तुल्या , वृद्धगौतमी ये गोदावरी की मुख्य शाखाये है |

गोदावरी नदी से जुड़ी रोचक बाते 

प्रश्न 1 : गोदावरी नदी का नामकरण किस ऋषि पर हुआ है ?

उत्तर 1 : गोदावरी नदी का नाम गौतम ऋषि पर रखा गया है . 

प्रश्न 2 : गोदावरी नदी  की लम्बाई और गहराई कितनी है ?

उत्तर 2 : गोदावरी नदी की लम्बाई 1700 किमी की और गहराई औसतन 17 फीट की है  .

 प्रश्न 3 : गोदावरी नदी  और गंगा नदी में क्या समानता है ? 

उत्तर 3 : ये दोनों ही नदी महा तपस्या करके भगवान से विनती करके मांगी गयी है . गंगा को भागीरथ ने तो गोमती को गौतम ऋषि ने धरती पर उतारा है . दोनों नदी के तटो पर तीर्थ स्थल बने हुए है . एक उत्तर की गंगा तो दूसरी दक्षिण की गंगा कहलाती है . एक नदी के तट पर काशी विश्वनाथ तो दूसरी नदी के तट पर  त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग है 

प्रश्न 4 : गोदावरी नदी का उद्गम स्थल कहाँ से होता है ? 

उत्तर 4 : गोदावरी नदी  का उद्गम स्थल नासिक के पहले  ब्रम्ह्गिरी पर्वत से निकलती है . 

प्रश्न 5 : गोदावरी नदी किन किन राज्यों से बहती है ? 

उत्तर 5  : गोदावरी नदी  महाराष्ट्र , छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और उड़ीसा से बहती हुई बंगाल की खाड़ी में गिरती है . यह पश्चिम से पूर्व की तरफ बहती है . 

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