योग नगरी ऋषिकेश यात्रा का महत्व , दर्शनीय स्थल

Rishikesh Religious Impotance in India  भारत की सबसे खुबसूरत प्राकृतिक सुन्दरता लिए उत्तराखंड के मुख्य शहरों में ऋषिकेश का नाम आता है . देहरादून से 43 किमी दक्षिण-पूर्व में और हरिद्वार से लगभग 25 किमी उत्तर की दुरी शिवालिक पहाड़ियों की तलहटी पर ऋषिकेश स्थित है | यहा गंगा पहाड़ो से उत्तर के समतल मैदानों में आती है |

ऋषिकेश तीर्थ यात्रा


प्रकृति प्रेमियों के लिए ऋषिकेश स्वर्ग से कम नही है। हरिद्वार में आने वाले यहा जरुर आते है क्योकि दोनों शहर सिर्फ 20 किमी की दुरी पर है | ऊँचे पहाड़ , पहाड़ से निकलने वाली पवित्र गंगा , गंगा में रिवर राफ्टिंग का आनंद   और राम और लक्ष्मण झूले का आनंद आपको यहा बार बार आने के लिए प्रेरित करता है |

ऋषिकेश है चार धामों का प्रवेश द्वार 

उत्तराखंड के इस अति सुन्दर शहर को ही चार धाम (यमनोत्री , गंगोत्री , केदारनाथ , बद्रीनाथ ) का प्रवेश द्वार माना जाता है .

➜ वो जगह जहाँ लिखी गयी थी महाभारत -व्यास पोथी उत्तराखंड 

➜ पञ्च केदारो के दर्शन से पूरे होते है केदारनाथ के दर्शन 

कैसे जाये ऋषिकेश

वायुमार्ग-

नजदीकी एयरपोर्ट ऋषिकेश से 18 किमी. की दूरी पर देहरादून है। बड़े शहरो से यह जुड़ा हुआ है |

रेलमार्ग-

ऋषिकेश का नजदीकी रलवे स्टेशन ऋषिकेश है जो शहर से 5 किमी. दूर है। ऋषिकेश देश के प्रमुख रेलवे स्टेशनों से जुड़ा हुआ है। आप देहरादून या हरिद्वार तक भी रेल से आ सकते है और फिर ऋषिकेश के लिए कार या बस से आ सकते है . 

सड़क मार्ग

ऋषिकेश अच्छे से अन्य शहरो से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है |


ऋषिकेश का पौराणिक महत्व 

🔵 कहते है कि इसी स्थान पर शिव जी ने ब्रहमांड को खत्म करा देने वाले हलाहल विष का पान किया था . यहा शिवजी का नीलकंठ मंदिर भी स्थापित है . 

🔵 ऋषिकेश से जुड़ी एक पौराणिक कथा यह भी है कि इसका नाम एक भगवान के नाम पर ही ऋषिकेश हुआ है . 

बहुत साल पहले ऋषिकेश में एक संत रहा करते थे जिनका नाम था रिहाना रिशी और सोम ऋषि  . उन्होंने भगवान की घोर तपस्या की और भगवान ने प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए . कहते है उन्हें ऋषिकेश रूप वाले भगवान ने दर्शन दिए थे और इसी कारण इस शहर का नाम ऋषिकेश रखा गया .  उन्ही का मंदिर ऋषिकेश में भरत मंदिर के नाम से जाना जाता है . 

मुनि ने विष्णु से आग्रह किया की माया से मुक्ति का उपाय बताये तब विष्णु ने कहा की ऋषि अर्ताथ इन्द्रियों को वश में करके जो इस स्थान में मेरा ध्यान करेगा वो शहर ऋषिकेश कहलायेगा . 

🔵 ऐसा भी कहा जाता है कि यहा लक्ष्मण ने गंगा नदी को एक विशिष्ट जगह से पार किया था और उसी मार्ग पर आज लक्ष्मण झुला बना हुआ है . 

ऋषिकेश कहलाती है योग नगरी 

इस शहर में से होकर गंगा समतल मैदान में से होकर गुजरती है . यहा से ही गंगा पहाड़ी बहाव को छोड़कर मैदानी रूप ले लेती है . गंगा नदी के किनारे आपको बहुत से आश्रम , कुटिया और घाट मिल जायेंगे जहाँ साधू संतो का बसेरा है . 

ऋषिकेश नगरी अपनी योग विद्या के लिए पुरे विश्व में जानी जाती है .  कहते है कि योग की शुरुआत यही से हुई थी और विश्व में योग की रोशनी फैलाने में इस नगरी का ही बहुत बड़ा हाथ है . यहा के आश्रमों में देश विदेश से श्रद्दालु आते है और योग की की शिक्षा प्राप्त करते है . प्राकृतिक सुन्दरता से भरा यह शहर शांत चित्त में योग साधना सिखाता है . 

ऋषिकेश में दर्शनीय धार्मिक स्थल

लक्ष्मण झूला

गंगा नदी के एक किनारे को दूसरे किनारे से जोड़ता यह झूला ऋषिकेश की विशिष्ट पहचान है। पौराणिक मान्यता है की शेषनाग के अवतार लक्ष्मण ने गंगा नदी को पार करने के लिए सबसे पहले जूट की रस्सी से इसका निर्माण किया था | इसके बाद मुख्य निर्माण 1939 में किया गया । यह 450 फीट लम्बा झुला है | इस झूले की तरह ही एक और अन्य राम झूला है | इन झूलो से गंगा नदी को पार करते समय रोमांचित सफ़र का आनदं उठाया जा सकता है | राम झूला शिवानंद और स्वर्ग आश्रम को जोड़ता है। इसे शिवानंद झूला भी पुकारा जाता है

त्रिवेणी घाट

ऋषिकेश का त्रिवेणी घाट पर हिन्दुओ की माता तुल्य तीन नदियाँ  मिलती हुई बताई जाती है  जो है गंगा, यमुना और सरस्वती | इनके संगम पर स्नान का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है | श्रद्धालु यहा स्नान करते है और संध्या में गंगा आरती में शामिल होते है | यहा से ही गंगा नदी दाई तरफ मुड जाती है .  यह मन मोह लेनी वाली मुर्तिया है जिसमे से एक शिवजी की जटाओ में गंगा नदी का प्रवेश और दूसरी कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता जी का ज्ञान कराने वाले श्री कृष्ण जी . 

त्रिवेणी घाट ऋषिकेश मंदिर


स्वर्ग आश्रम

स्वामी विशुद्धानन्द द्वारा स्थापित यह आश्रम ऋषिकेश का सबसे प्राचीन आश्रम है। स्वामी जी को ‘काली कमली वाले’ नाम से भी जाना जाता था। इस स्थान पर बहुत से सुन्दर मंदिर बने हुए हैं। यहां खाने पीने के अनेक रेस्तरां हैं जहां केवल शाकाहारी भोजन ही परोसा जाता है। आश्रम की आसपास हस्तशिल्प के सामान की बहुत सी दुकानें हैं। यहा रुकने की व्यवस्था है और आप ऑनलाइन या ऑफलाइन बुकिंग के द्वारा यहा कमरे बुक कर सकते है . 

स्वर्गाआश्रम ऋषिकेश


नीलकंठ महादेव मंदिर

पौराणिक कथा के अनुसार इसी जगह पर भगवान शिव ने पर समुद्र मंथन से निकला हलाहल विष का पान किया और नीलकंठ कहलाये थे | उन्ही की इस महा कारज के कारण इस मंदिर का नाम नीलकंठ महादेव मंदिर रखा गया | मंदिर के आँगन में एक झरना है जिसमे भक्त नहाके भोले के दर्शन करते है |

ऋषिकेश महादेव

➜ यमनोत्री धाम की यात्रा से जुड़ी रोचक बाते 

इस मंदिर में भव्य चित्रण समुन्द्र मंथन का किया गया है जिसमे से निकलने वाले विष को नीलकंठ महादेव ग्रहण कर रहे है |

भरत मंदिर

भरत जो की विष्णु जी का ही ऋषिकेश रूप है , यहा रैम्भ ऋषि और सोम ऋषि की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर विष्णु जी ने उन्हें दर्शन दिए थे .   जिसे आदि गुरू शंकराचार्य ने 12 सदी में बनवाया था | यह मंदिर विदेशी आक्रमण के दौरान क्षतिग्रस्त हुआ | मंदिर के मुख्य गर्भगृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा शालीग्राम के पत्थर पर बनी हुई है | साथ ही गुरू शंकराचार्य द्वारा स्थापित श्री यन्त्र के भी दर्शन होते है |

भरत मंदिर ऋषिकेश


साथ ही अक्षय तृतीया के दिन इस मूर्ति के चरणों के दर्शन होते है . बसंत पंचमी के दिन इस मंदिर में मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा हुई थी .  

कैलाश निकेतन मंदिर

इस मंदिर में सभी देवी देवताओ की मुर्तिया विराजमान है | लक्ष्मण झूले से उतरते ही यह मंदिर आता है | 12 खंडो से बना यह मंदिर दुसरे मंदिरों से अलग है |

वशिष्ठ गुफा

संत वशिष्ठ राजा राम के पुरोहित थे | उनकी यह निवास स्थली थी | यहा अनेको संत साधू ध्यान मुद्रा में देखे जा सकते है | यह गुफा 3 हजार साल से भी ज्यादा पुरानी है और ऋषिकेश से २२ किमी की दुरी पर बद्रीनाथ जाने वाले मार्ग पर पड़ती है | यह ध्यान लगाने की पावन जगह है जहा संत वशिष्ठ का विशेष आशीष प्राप्त होता है |

गीता भवन

राम झुला पार करने पर आता है गीता भवन जिसमे रामायण और महाभारत के वर्तान्तो के चित्रों की अनुपम चित्रण दिखाई देता है | यहा प्रवचन सत्संग के कार्यक्रम होते रहते है | भक्तो को अपने भक्तिमय वातावरण के कारण चर्चा में बना रहता है | श्री जयदयाल गोयन्दकाजी ने 1950 में इसका निर्माण करवाया था | यही गीताप्रेस की एक शाखा से आप धार्मिक किताबे खरीद सकते है | रहने के लिए यहा सैकड़ो कमरे है |

रिवर राफ्टिंग का आनंद :

गंगा नदी पर आप रिवर राफ्टिंग का आनंद  उठा सकते है | इसके लिए आपको पहले से ऑनलाइन या फिर ऑफलाइन बुकिंग करानी होती है | यह उच्च रोमांचित यात्रा है | ज्यादातर यह नवजवानों के द्वारा ही की जाती है . 

रिवर राफ्टिंग ऋषिकेश


बंजी जंपिंग हाइट पॉइंट  

यदि आप रोमांचक सफ़र का आनंद लेना चाहते है तो ऋषिकेश में आपको हाइट से छलांग लगाने का बंजी जंपिंग हाइट पॉइंट   मिल जायेगा . यह 12 से 45 साल तक की उम्र के लोगो के लिए है . इसकी रेट 2000 से 4000 तक होती है . 

बंजी हाइट


उत्तराखंड के चार धाम कौनसे है


सारांश 

  1.  आपने जाना उत्तराखंड के ऋषिकेश शहर का पौराणिक महत्व और इस जगह के दर्शनीय स्थलों की जानकारी . साथ ही हमने बताया कि क्यों ऋषिकेश को योग नगरी कहा जाता है और आप कैसे इस शहर तक आ सकते है .

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