तीर्थ यात्रा में ध्यान रखे यह बाते

Vo Kounsi Baate Hai Jo Tirth Yatra Me Dhyan Rakhni Chahiye . 

तीर्थ दर्शन की परंपरा काफी पुराने समय से चली आ रही है। मान्यता है कि तीर्थ यात्रा से जाने-अनजाने में किए गए पापों से मुक्ति मिल जाती है। इस यात्रा से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। शास्त्र कहते है की आयु के एक पड़ाव पर तीर्थ यात्रा करना सही रहता है , यह आयु पड़ाव तब आता है जब आप ग्रहस्त की जिम्मेदारी अच्छे से निभा चुके हो |

tirth yatra me dhyan rakhe ye baate

आज इस आर्टिकल में हमें जानेंगे कि यात्रा के दौरान और पहले आपको किन बातो का ध्यान रखना चाहिए जिससे की आपकी यात्रा सफल और आनंदमय हो .

क्या होता है चरणामृत का महत्व , जाने चरणामृत से जुड़े नियम 

तीर्थ यात्रा में ध्यान रखने योग्य बाते

⭐ तीर्थ यात्रा को कभी भी पर्यटन स्थल के रूप में ना देखे , यह मोज मस्ती की जगह नही है , मन शुद्ध और विचार दैविक होना अनिवार्य है |

⭐ तीर्थ क्षेत्र में जाने पर मनुष्य को स्नान, दान, जप आदि करना चाहिए। अन्यथा वह रोग एवं दोष का भागी होता है।

अन्यत्र हिकृतं पापं तीर्थ मासाद्य नश्यति।
तीर्थेषु यत्कृतं पापं वज्रलेपो भविष्यति।

इस श्लोक का अर्थ यह है कि किसी अन्य स्थान पर किया हुआ पाप तीर्थ यात्रा में पूजा पाठ से नष्ट हो जाता है, लेकिन यदि पाप तीर्थस्थली में किया गया है तो उसका पाप कभी नष्ट नहीं हो पायेगा । अत: तीर्थ यात्रा में पापो से बचकर सिर्फ धार्मिक कार्य करे और मन को प्रभु में लगादे .

⭐ यात्रा से निकलते समय अपने घर के बुजुर्गो का आशीर्वाद ले , अपने घर के गणेश जी और कुल देवी देवता के आगे मस्तिष्क झुकाए और सफल यात्रा की कामना करे . 

⭐ जो पुत्र या पुत्री अपने माता पिता को तीर्थ यात्रा करवाती है वो बहूत पुण्य प्राप्त करते है |

⭐ जो व्यक्ति दूसरों के धन से तीर्थ यात्रा करता है, उसे पुण्य का सोलहवां भाग प्राप्त होता है। और उससे ज्यादा जो आपको तीर्थ करवा रहे है उन्हें पुण्य प्राप्त होता है |

tirth yatra me dhyan rakhe jaruri baate


⭐ जो व्यक्ति किसी दूसरे कार्य से तीर्थ में जाता है तो व्यक्ति को तीर्थ जाने का आधा पुण्य फल प्राप्त होता है।

⭐ अत: तीर्थ यात्रा का पूर्ण सुख और लाभ इसे प्राथमिक कार्य मानकर ही पाया जा सकता है |

⭐ तीर्थ यात्रा के दौरान कभी भी भिखारी या किसी गरीब और लाचार व्यक्ति का असम्मान ना करे . आपकी परीक्षा लेने के लिए भगवान आपसे किसी भी रूप में मिल सकता है . वो कहते है ना 

पता नही किस रूप में आके नारायण मिल जायेगा , निर्मल मन के दर्पण में वो राम के दर्शन पायेगा . 

⭐ तीर्थ यात्रा के समय मन को भगवान का मंदिर बना ले , आपका आचरण साफ़ सुथरा होना चाहिए , आपके मन के भाव उच्च होने चाहिए . मांस मदिरा , मौज मस्ती और बुराइयों से यात्रा के दौरान दूर रहना चाहिए .

⭐ यात्रा के दौरान भगवान के भजन गाते हुए यात्रा करे और दुसरे यात्रियों को भी जरूरत पड़ने पर सहयोग करे


क्या है भागवत गीता और जाने इससे मिलने वाली शिक्षाओ के बारे में 

हिन्दू धर्म में 108 का महत्व और क्यों होते है माला में 108 ही मनके

सारांश 

  1. तो दोस्तों यहा आपने जाना कि तीर्थ यात्रा करते समय हमें किन जरुरी बातो का ध्यान रखना चाहिए . आशा करता हूँ कि आपको यह पोस्ट जरुर पसंद आई होगी .

पूजा पाठ में काम आने वाले शब्द और उनके अर्थ

देवी देवताओ की पूजा से जुड़े मुख्य नियम क्या है 

Post a Comment

Previous Post Next Post