कृष्ण और रुक्मिणी के विवाह की कहानी

Krishna Aur Rukmani vivah . ऐसा हम सभी जानते है कि जब जब हरि पूर्ण अवतार बचपन से लेकर अंत तक धरती पर रहे है तो उन्होंने अपना जीवन साथी भी चुना है . यह जीवन साथी माँ लक्ष्मी का ही अवतार था . त्रेता में श्री राम बने तो लक्ष्मी ने सीता का अवतार लिया और इसी तरह द्वापर में कृष्ण का विवाह लक्ष्मी की अवतार रुक्मिणी से हुआ .

krishna rukamani vivah


 कौन थी रुक्मिणी

द्वारपर युग में विदर्भ देश के राजा भीष्मक की पुत्री का नाम था रुक्मिणी . राजा भीष्मक के दरबार में श्री कृष्ण के चमत्कारी किस्सों को सुना करती है . वो बिना देखे ही श्री कृष्णा से प्रेम करने लगी और उन्ही से विवाह के सपने संजोने लगी .  कहते है कि रुक्मिणी माँ लक्ष्मी का ही अवतरण थी

शिशुपाल से तय था विवाह

राजा भीष्मक के एक पुत्र भी था जिसका नाम था रुक्म . वो शिशुपाल का मित्र था और उसी से अपनी बहिन की शादी करवाना चाहता था . जरासंध भी भीष्मक के मित्र थे और वे भी इस विवाह के लिए दवाब डाल रहे थे . उसने अपनी पिता भीष्मक को इस विवाह के मना लिया और विवाह की तारीख भी तय कर दी . इस रिश्ते से रुक्मिणी खुश नही थी क्योकि वो कृष्ण से शादी करना चाहती थी .

रुक्मिणी ने भिजवाया कृष्ण को सन्देश 

रुक्मिणी ने अपनी सहेली के माध्यम से श्री कृष्ण को यह सन्देश भिजवाया कि वो सिर्फ उससे ही शादी करना चाहती है , शिशुपाल से नही . यदि कृष्ण ने उनसे शादी नही की तो वो अपनी जान दे देगी .

कृष्ण ने रुक्मिणी के बारे में सुन रखा था और उसके प्राण बचाने के लिए उसकी विनती को स्वीकृति दे दी . 

कृष्ण ने किया रुक्मिणी का अपहरण 

रुक्मिणी के सन्देश को पाकर श्री कृष्ण बलराम सहित यादव सेना के साथ  विदर्भ देश पहुंचे , वहा शिशुपाल की बारात आई हुई थी . कृष्ण गुप्त तरीके से  रुक्मिणी के कक्ष आये और उसे अपने साथ ले गये . जब इस बात का पता रुक्म को चला तो वो सेना के साथ कृष्ण के पीछे आया . रास्ते में दोनों के बीच भीषण युद्ध हुआ जिसमे कृष्ण की विजय हुई और वे रुक्मिणी को लेकर द्वारिका आ गये और विवाह कर लिए . 

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रुक्मिणी और कृष्ण की संतान 

विवाह के बाद रुक्मिणी और कृष्ण को एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई जिसका नाम था प्रद्युम्न रखा गया . यह कामदेव के अवतार थे . एक बार शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था जब वे शिव की तपस्या को भंग कर रहे थे .फिर कामदेव की पत्नी रति के आग्रह पर उन्होंने यह वरदान भी दिया कि द्वापर में कामदेव कृष्ण के पुत्र के रूप में जन्म लेंगे . 

जन्म लेते ही इस बालक को शम्भासुर ने हड़प लिया और फिर इस बालक ने उसका वध करके खुद को मुक्त किया . 

कृष्ण की की सात अन्य पटरानियाँ 

रुक्मिणी के अलावा कृष्ण की सात अन्य पटरानियाँ भी थी जिनके नाम है - कालिंदी , भद्रा , सत्या , नग्नजीती , मित्रवृंदा , रोहिणी और लक्ष्मणा .

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सारांश 

  1.  क्यों कृष्ण की पटरानी बनी रुक्मिणी  . कौन थी रुक्मिणी . रुक्मिणी और कृष्ण के विवाह के पीछे की कहानी क्या थी .  आशा करता हूँ कि आपको यह आर्टिकल जरुर पसंद आया होगा . 

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