क्यों भक्तो में खाटू श्याम जी है इतने प्रसिद्ध

Why Khatu Shyam Ji So Famous in his Bhakts . Know Story of Him and his temple .खाटू श्याम जी कलियुग के ऐसे भगवान है जिनकी आस्था दिन पर दिन बढती जा रही है | स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र की युद्ध भूमि से इनका शीश नव देवियों से संचित करके कलियुग में घर घर में पूजे जाने का वरदान दिया था | आज इन्हे हारे का सहारा , लखदातार आदि नामो से जाना जाता है | राजस्थान की राजधानी जयपुर से 80km की दुरी पर खाटू गाँव में यह दरबार किसी को निराश नही करता और उसके जीवन के दुःख हर लेता है | जो एक बार खाटू धाम आकर इनके दर्शन कर लेता है वो हमेशा के लिए इनका हो जाता है |

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क्या आप जानते है खाटू श्याम जी श्याम बाबा से जुड़ी ये अनोखी रोचक बातें 

कौन है खाटू श्याम जी – श्याम बाबा

महाभारत काल में भीम के पुत्र घटोत्कच और पुत्रवधू कामकंकता (मोर्वी ) के सुपुत्र वीर बर्बरीक हुए | इन्होने महीसागर संगम (गुजरात ) में देवी कात्यायनी की घोर तपस्या की | माँ ने प्रसन्न होकर उन्हें ऐसी भभूत दी जिसे वो यदि बाण में लगाकर छोड़ दे तो बड़ी से बड़ी सेना जल भस्म हो जाये | माँ की कृपा से वे त्रिलोकी में सबसे बड़े धनुर्धर बन चुके थे | इन्हे तीन बाण धारी भी पुकारा जाने लगा |

माँ को दिया था वचन , दूंगा हारे का साथ

कुरुक्षेत्र के मैदान में पांडव और कौरव सेना आमने सामने अपनी जीत के लिए खड़ी थी | और जिस तरफ श्री कृष्ण हो फिर वो पक्ष कैसे हार सकता था | अत: वीर बर्बरीक ने कौरवो की तरफ से युद्ध में भाग लेने का निर्णय लिया | श्री कृष्ण जानते थे कि यदि बर्बरीक कौरवो की तरफ से युद्ध लडेगा तो पांडवो को हार का सामना करना पड़ सकता है |

धर्म की जीत के लिये  लिया शीश का दान

धर्म की जीत हो और अधर्म की हार हो अत: श्री कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से वीर बर्बरीक का शीश विच्छेद कर दिया | इस महादान के बाद उनके आग्रह पर नव शक्तियों ने इस शीश को अमृत से सींचा | कृष्ण ने उन्हें अपना नाम श्याम दिया और कलियुग में सच्चे दरबार और घर घर पूजे जाने का वरदान दिया | तुम्हारे स्मरण मात्र से ही भक्तों का कल्याण होगा और धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष कि प्राप्ति होगी. हारे हुए को सहारा तेरे द्वार पर मिलेगा |

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श्याम बाबा के शीश दान करने की भूमि चुलकाना धाम मंदिर 

खाटू भूमि से शीश का प्रकट होना

आज से 300 साल पहले खाटू नगरी में एक गौ माँ का दूध स्वत ही जमीन में रसने लगा | यह बात उस गौ मालिक गोपाल को चकित कर गयी | उस नगरी के राजा को भी सपने में एक शीश के दर्शन हुए और राजा से उसी जगह जमीन खोद कर मंदिर में शीश स्थापना की बात कही | अगले दिन राजा उसी जगह अपने साथियों के साथ गया और जमीन खोदने लगा | थोड़ी खुदाई के बाद उन्हें शीश के दर्शन हुए | और उन्होंने गाजे बाजे के साथ शीश की स्थापना कर मंदिर का निर्माण करवाया |

➜ खाटू श्याम जी का प्राचीन शिवलिंग जिसमे से निकली थी खून की धार

भक्तो की होने लगी मन्नते पूर्ण

खाटू के इस मंदिर में फिर आस पास से भक्तो की भीड़ बाबा के दर्शन करने आने लगी | उन्हें बाबा के दर्शन करके असीम शांति की प्राप्ति होती | उनके जीवन में दुखो के बादल छठ जाते | धीरे धीरे पूजा राजस्थान और फिर भारत के कोने कोने से भक्त आकर श्याम दर्शन पाने लगे | आज बाबा की नगरी में उनके भक्तो की संख्या 50 लाख से ऊपर हो गयी है | बाबा श्याम का सबसे प्रिय दिन एकादशी का बताया जाता है | इस दिन लाखो भक्त बाबा श्याम के दर्शन पाने खाटू धाम आते है |

खाटू श्याम मंदिर सूरत धाम से जुड़ी जानकारी 


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