कृष्ण ने जन्म लेते ही किये थे ये 6 चमत्कार

Bhagwaan Shri Krishna Ke Janm Ke Bad Kiye Gye 6 Chamtkar

भगवान कृष्ण का जन्म द्वापर युग में उनके मामा मथुरा नरेश कंस और अन्य दुष्टों के दमन के लिए हुआ था | वासुदेव और देवकी की वे आठवी संतान थे जिनका जन्म बाकी सात संतानों की तरह कारागार में हुआ था | कंस को अपने काल के बारे में पहले से ही भविष्यवाणी हो चुकी थी कि देवकी की आठवी संतान द्वारा ही उनकी मृत्यु होगी | इसी कारण दुष्ट और अधर्मी कंस ने देवकी और वासुदेव को कैद कर रखा था और उनके होने वाली संतानों को मार देता था |

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कृष्ण के जन्म ( कृष्ण जन्माष्टमी ) के समय कुछ ऐसे चमत्कार घटित हुए जिससे कृष्ण का बाल भी बांका नही हो सका | आइये जानते है भगवान कृष्ण ने वो कौनसे चमत्कार किये थे |

कृष्ण जन्म पर हुए चमत्कार

देवकी और वासुदेव को विष्णु ने दिए दर्शन

भगवान श्री कृष्ण के जन्म से कुछ समय पहले सामने शंख, चक्र, गदा, पद्म धारण किए चतुर्भुज भगवान विष्णु प्रकट हुए।

उन्होंने कृष्ण अवतार के रूप उनके यहा जन्म लेने की बात बताई और नवजात कृष्ण को नंदगाँव भेजने का मार्ग सुझाया |

जन्म के समय सैनिको का मूर्छा जाना और कारावास का स्वत: ही खुलना : 

मथुरा नरेश को बच्चे के जन्म की सुचना जेल के बाहर खड़े पहरेदार देते थे | पर जब श्री कृष्ण के जन्म का समय हुआ तब वे सब मूर्छित हो गये और जेल के दरवाजो के ताले स्वत: ही खुल गये | जिससे की वासुदेव कृष्ण को सुरक्षित स्थान पर ले जाने में सक्षम हुए |

नंदगाव में योगमाया का जन्म

जब कृष्ण का जन्म हुआ , उसी समय नंदगाव में नन्द बाबा और यसोदा के एक कन्या ने जन्म लिया जिसका नाम योग माया था | इस कन्या का जन्म ही श्री कृष्ण की जगह लेने के लिए हुआ था | विष्णु के आदेश पर वासुदेव को कृष्ण को इस घर में छोड़ कर अपने साथ योगमाया को जेल में लाना था |

कृष्ण के चरणों से यमुना हुई शांत

जेल से जब वासुदेव श्री कृष्ण को टोकरे में डालकर मथुरा से नन्द गाँव जा रहे थे , तब बीच में यमुना को उन्हें पार करना था | यमुना उस समय अपने चरम वेग से प्रवाहित हो रही थी | वासुदेव ने टोकरी सहित कृष्ण को अपने माथे पर ले लिया और यमुना पार करने लगे | श्री कृष्ण के चरणों को स्पर्श कर यमुना नदी गदगद हो गयी और शांत पड़ गयी |

घनघोर वर्षा में वासुकी नाग ने की कृष्ण की रक्षा

उस भाद्रपद कृष्ण अष्टमी जन्माष्टमी की अँधेरी रात में तेज वर्षा हो रही थी | वसुदेव ने टोकरी में कृष्ण को रखकर अपने सिर पर टोकरी को विराजमान कर लिया और यमुना को पार करने लगे | | वर्षा से कान्हा का बचाव करने के लिए तब वासुकी नाग ने अपने फन फैला कर कृष्ण की रक्षा की थी |

योगमाया को मार नही सका कंस

नन्द बाबा के कृष्ण को छोड़कर वासुदेव अपने साथ उस कन्या (योगमाया ) को लेकर फिर से उस जेल में आ गये | कैदखाने के फिर से ताले लग गये और बेहोश पहरेदार जाग गये | जागने पर उन्हें बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी | वे तुरंत अपने महाराज कंस को यह सुचना दी | कंस भागते हुए अपने काल को मारने के लिए जेल आये और उस कन्या को जैसे ही मारने लगे | वह कन्या आकाश में उड़ गई और वहां से कहा- ‘अरे मूर्ख, मुझे मारने से क्या होगा? तेरा काल तो नन्द गाँव में जा पहुंचा है। वह जल्द ही तेरा संहार करेगा |

उसके बाद श्री कृष्ण को मारने के लिए कंस ने कई दैत्य दानवो को भेजा पर हर बार उन दैत्यों का ही संहार हुआ |

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