भैया दूज पर्व का पौराणिक महत्व और महिमा
Bhai Duj Parv Pouranik Mahatva दीपावली के साथ ही भाई-बहन के पावन प्रेम की प्रतीक भैया दूज (भाई द्वितीया ) का अपना विशेष महत्व है। भारतीय बहनें इस पर्व पर भाई की मंगल कामना कर अपने को धन्य मानती हैं ।
भैयादूज हिन्दू समाज में भाई-बहन के पवित्र रिश्तों का प्रतीक है| यह पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है| भाई-बहन के पवित्र रिश्तों के प्रतीक के पर्व को हिन्दू समुदाय के सभी वर्ग के लोग हर्ष उल्लास से मनाते हैं|
2023 में भैया दूज का पर्व कब है
इस साल 2023 में भैया दूज का पर्व 14 नवम्बर मंगलवार को है . रक्षा बंधन , भाई पंचमी की तरह यह भी पर्व भाई बहिनों के प्रेम का प्रतीक है .
भाई बहिन का प्रेम पर्व
इस पर्व पर जहां बहनें अपने भाई की दीर्घायु व सुख समृद्धि की कामना करती हैं तो वहीं भाई भी सगुन के रूप में अपनी बहन को उपहार स्वरूप कुछ भेंट देने से नहीं चूकते| इस पर्व पर बहनें प्राय: गोबर से मांडना बनाती हैं, उसमें चावल और हल्दी के चित्र बनाती हैं तथा सुपारी फल, पान, रोली, धूप, मिष्ठान आदि रखती हैं, दीप जलाती हैं। इस दिन यम द्वितीया की कथा भी सुनी जाती है| मृत्यु क देवता यमराज और उनकी बहिन यमुना के प्रेम पर समर्पित यह त्यौहार मनाया जाता है |
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भैयादूज में दान का महत्व –
भारतीय संस्कृति में प्रत्येक धार्मिक अनुष्ठान के साथ दान का विशेष महत्व है| दान में केवल मानव ही नही पशु पक्षी भी सम्मिलित होतें हैं | भाई दूज के दिन किसी निर्धन या विद्वान ब्रह्मण को भोजन करना चाहिए, साथ ही गाय, कुत्ता व पक्षियों को भी यथायोग्य भोजन दिया जाये| परिवार के सभी लोग सूर्य को जल दें, जो बहनें व्रत रखती हैं, वह दोपहर बाद भोजन कर सकती हैं, लेकिन जब तक भाई की आरती कर लें| भाई को चाहिए जी वो सामर्थ्य के अनुसार अपनी बहिन को उपहार अवश्य दे और यदि बहन किसी संकट में है तो उसे उस स्तिथि से उभारे |
भैया दूज में यमुना स्नान का महत्व
यह दिन शनि देव के पुत्र यम और पुत्री यमुना का पर्व है . अत: जो भाई बहिन भाई दूज ( यम द्वितीया) के दिन एक साथ हाथ पकड़ कर यमुना जी ने दुबकी लगाते है , उनकी आयु यमराज जी बढ़ा देते है . वो अकाल मृत्यु के शिकार नही होते है .
यही कारण है कि इस दिन यमुना नदी में लोग स्नान के लिए दूर दूर से आते है .
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